स्वतंत्र समय, इंदौर
फर्म्स एंड सोसायटी असिस्टेंट रजिस्ट्रार ने यशवंत क्लब को अपने ताजा आदेश से झटका दिया है और इसी के साथ नई मेंबरशिप फिलहाल नहीं दी जा सकेगी। एक क्लब सदस्य की आपत्ति के बाद रजिस्ट्रार ने मौजूदा पंजीकृत नियमों के तहत ही क्लब को संचालित करने के निर्देश दिए हैं। ऐसे में सदस्यता के लिए चल रही वर्तमान कवायद पूरी तरह शून्य मानी जाएगी। अब क्लब पदाधिकारी असिस्टेंट रजिस्ट्रार के समक्ष अपना पक्ष 6 नवंबर को रख सकेंगे। याचिकाकर्ता के अनुसार क्लब में नई मेंबरशिप देने के लिए स्पेशल कैटेगिरी मेंबर बनाने का कोई नियम ही नहीं है। क्लब ने संविधान में संशोधन का प्रस्ताव भी फर्म्स एंड सोसायटी असिस्टेंट रजिस्ट्रार को भेज रखा है। हालांकि इसकी मंजूरी नहीं हुई है। ऐसे में बिना संशोधन नई सदस्यता की कोई मान्यता या वैधानिकता नहीं रह जाती है। इसी को आधार बनाकर याचिका लगाई गई थी।
दागदार भी सफेदपोश बने
याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया है कि नई सदस्यता में छंटनी किए गए नामों में कुछ ऐसे हैं जिन पर अपराध की गंभीर धाराएं दर्ज हैं। स्कू्रटनी कमेटी ने इसकी अनदेखी कर ऐसे सदस्यों को मंजूरी दे दी है। उन्हें मेंबरशिप के लिए कॉल किया जा रहा है। वहीं क्लब से कुछ सदस्यों के फॉर्म हटाए भी गए हैं।
महंगी सदस्यता राशि बचाने का खेल
याचिकाकर्ता के वकील अजय मिश्रा ने बताया कि क्लब में कई उम्रदराज सदस्य पिछले रास्ते से प्रवेश पाए हुए हैं। उन्हें महंगी सदस्यता राशि से बचाने के फेर में क्लब की मिस द बस योजना का अनुचित लाभ दिया गया है। नियमों के तहत उन्हें स्पेशल मेंबरशिप कैटेगिरी के तहत ही सदस्यता दी जाना थी जिसका शुल्क 25 लाख रुपए है। यह सब बिना संविधान संशोधन के किया गया है।
बिल्डरों व शराब कारोबारियों के वारे-न्यारे
क्लब की मेंबरशिप में मैनेजिंग कमेटी ने जिन्हें चयनित किया है, उसमें ज्यादातर जमीन के कारोबार से जुड़े लोग हैं। वहीं शराब कारोबारियों के साथ अखबारों के स्वामी भी हैं। बताया जा रहा है कि इसमें से कई पर संगीन आरोप हैं।
इन्हें बनाया गया पार्टी
याचिकाकर्ता ने क्लब चेयरमैन टोनी सचदेवा, सचिव संजय गोरानी, अतुल सेठ, आदित्य उपाध्याय, रूपल पारिख, अनिमेष सोनी, विपिन कूलवाल, नितेश सोनी और संजय जैन को पार्टी बनाया है। iइसमें पूरी मैनेजिंग को ही नोटिस जारी हुए हैं।