चुनावी जाजमः राजपरिवार के विधायक का भाजपा ने काटा टिकट तो कांग्रेस प्रत्याशी के जल रहे पुतले

विधानसभा सीट : नरसिंहगढ़

कुल वोटरः 2,39,262

पुरुष वोटरः 1,21,155

महिला वोटरः 1,18,105

(2018 की स्थिति में)

स्वतंत्र समय, इंदौर

नरसिंहगढ़ विधानसभा सीट की बात की जाए तो यहां पर राजशाही परिवार का प्रभुत्व है। वर्तमान में भाजपा विधायक राज्यवर्धन सिंह रियासत से ताल्लुक रखते हैं। उन्हें इस बार भाजपा से  टिकट की उम्मीद थी लेकिन पार्टी ने परिवारवाद के आरोपों से बचने के लिए मौजूदा विधायक का टिकट काट दिया। ऐसे में भाजपा ने पूर्व विधायक मोहन शर्मा पर भरोसा जताया है। वहीं कांग्रेस उम्मीदवार और पिछली बार के प्रत्याशी व पूर्व विधायक गिरीश भंडारी को टिकट थमाया है।यहां कांग्रेस पर परिवारवाद को बढ़ावा देने के आरोप लग रहे हैं। पार्टी कार्यकर्ता इस समय भंडारी से नाराज हैं और उनके पुतले फूूंके जा रहे हैं। ऐसे में यहां मुकाबला दोनों ही पार्टियों के लिए आसान नहीं है। भाजपा प्रत्याशी 2013 में चुनाव हार चुके हैं, उनके पक्ष में मजबूत बात यह है कि क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय हैं और दो बार विधायक रह चुके हैं। नरसिंहगढ़ सीट के राजनीतिक इतिहास की बात की जाए तो साल 1957 से लेकर 2018 तक 16 चुनाव हुए हैं जिसमें 8 चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली तो 7 चुनाव में जनसंघ और बीजेपी जीती जबकि एक बार निर्दलीय उम्मीदवार विजयी रहा।

कश्मकश भरा था पिछला मुकाबला

2018 के चुनाव में नरसिंहगढ़ सीट पर भाजपा प्रत्याशी राज्यवर्धन सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी गिरीश भंडारी को कड़े मुकाबले में 9,534 मतों के अंतर से हराकर चुनाव जीता था। वैसे राज्यवर्धन सिंह पहले कांग्रेस में थे और 1985 से 1990 तक कांग्रेस से विधायक रहे। बाद में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से अनबन होने से उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया। राज्यवर्धन के पिता स्वर्गीय भानू प्रताप सिंह 1962 में विधानसभा और लोकसभा दोनों का चुनाव लड़े और दोनों ही चुनाव में जीत हासिल की। बाद में वह लोकसभा चले गए। नरसिंहगढ़ विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी पार्टी के प्रत्याशी मोहन शर्मा ने कुल 56147 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी और कांग्रेस उम्मीदवार गिरीश भंडारी दूसरे स्थान पर रहे थे, जिन्हें 52984 वोट मिले और वे  3163 वोटों के अंतर से विधानसभा चुनाव हार गए थे। इसी तरह 2013 में नरसिंहगढ़ विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी गिरीश भंडारी ने मोहन शर्मा को 23018 वोटों से पराजित किया था।

जनता से 400 साल पुराना रिश्ता

यहां से भाजपा ने विधायक राज्यवर्धन सिंह का टिकट काटते हुए पूर्व विधायक मोहन शर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है। कभी कांग्रेस पार्टी से विधायक रहे राज्यवर्धन सिंह के मुताबिक जनता से उनका 400 साल पुराना रिश्ता है और उनके विधायक रहते क्षेत्र से भ्रष्टाचार खत्म हो गया था। किसानों के लिए भी ठोस कदम उठाए थे। राज्यवर्धन सिंह को उम्मीद थी कि उन्हें टिकट मिलेगा लेकिन पार्टी ने इस बार उन्हें चुनावी रण से दूर ही रखा।

मोहन जोशी कई पदों पर रहे, पूर्व विधायक भी

भाजपा प्रत्याशी राजगढ़ जिले के कट्टर हिन्दूवादी नेता के रूप में जाने जाते हैं। कई वर्षों से हिन्दू उत्सव समिति नरसिंहगढ़ के अध्यक्ष के साथ ही भाजपा राजगढ़ के पूर्व जिला उपाध्यक्ष रहे। 2003 में भाजपा के टिकट पर नरसिंहगढ़ से विधानसभा चुनाव लड़ा और लगातार 2 बार 10 वर्षों तक नरसिंहगढ़ के विधायक चुने गए। 2013 में नरसिंहगढ़ विधानसभा का चुनाव हार गए।

भंडारी का विरोध शुरू

विधानसभा में एक बार फिर गिरीश भंडारी को तीसरी बार प्रत्याशी बनाया गया है। लेकिन इस बार टिकट की घोषणा के साथ ही नरसिंहगढ़ विधानसभा के नरसिंहगढ़, बोड़ा और कुरावर सहित कई जगहों पर उनका विरोध शुरू हो गया। सभी बड़े कार्यकर्ता या पदाधिकारी उनके टिकट मिलने से नाराज दिखे और अलग-अलग जगह पुतला दहन किया गया। कार्यकर्ताओं का कहना है कि पिछले 40 सालों से पार्टी का निर्णय एक परिवार तक सिमट कर रह गया है। जिससे पार्टी को खासा नुकसान हो रहा है। पिछली बार गिरीश भंडारी चुनाव हार गए थे। इसके बावजूद उन्हें टिकट दिया गया है। इस मामले में गिरीश भंडारी ने कहा कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का निर्णय है। टिकट किसी एक को मिलना है। हालांकि मानवीय स्वभाव के कारण रोष भी स्वाभाविक है। लेकिन समय के साथ सभी चीजे शांत होगी। हम सभी मिलकर चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे।

रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा

नरसिंहगढ़ क्षेत्र में लोगों को सबसे बड़ी समस्या रोजगार और उद्योग धंधों को लेकर है। यही नहीं इसे दूर करने के लिए यहां के लोग नरसिंहगढ़ को पर्यटन के रूप में बढ़ाना चाहते हैं। महल और झील किले को लेकर क्षेत्र के लोग नरसिंहगढ़ को पर्यटन स्थल बनाने पर जोर दे रहे हैं। वहीं कांग्रेस विधायक राज्यवर्धन सिंह पर विकास नहीं करने का आरोप मढ़ रही है।