चुनावी जाजमः कांग्रेस का गढ़, राजपरिवार पर भरोसा जताया, भाजपा ने पूर्व विधायक को आजमाया

खिलचीपुर सीट पर मतदाताओं की संख्या

कुल वोटरः 225679

पुरुष वोटरः 116388

महिला वोटरः 109290

(2023 की स्थिति में)

स्वतंत्र समय, इंदौर

खिलचीपुर सीट कांग्रेस का मजबूत गढ़ है और भाजपा को यहां अपना खाता खोलने में एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है। इस बार यहां कांग्रेस ने अपने तीन बार के विधायक और राज परिवार के सदस्य प्रियव्रत सिंह पर भरोसा जताया है। प्रियव्रत दिग्विजय सिंह के खासमखास रहे हैं और उनके पुत्र जयवर्धन से भी अच्छे समीकरण हैं, ऐसे में आलाकमान ने उन्हें सुरक्षित उम्मीदवार मान कर इस सीट पर उतारा है। वहीं भाजपा ने प्रियव्रत को एक बार पटखनी देने वाले हजारीलाल दांगी पर भरोसा जताया है। चूंकि यहां पर दांगी वोटर्स खासी तादाद में हैं और दांगी वरिष्ठ कद्दावर नेता हैँ, ऐसे में रोचक मुकाबले की उम्मीद की जा सकती है। यह सीट किसान बाहुल्य है और राजस्थान से सटी हुई है। यहां की संस्कृति में राजस्थानी झलक साफ देखी जा सकती है। यही वजह है कि यहां के मतदाता मुद्दों से अधिक राजघराने या आम आदमी को अधिक तवज्जो देते हैं। राजस्थान की तरह लगभग हर पांच साल में यहां का नजारा बदल जाता है।

पहले चुनाव में निर्दलीय ने बाजी मारी थी

इस सीट का गठन 1962 में हुआ। यहां इस दौरान जब पहली बार चुनाव हुए तो कांग्रेस ने प्रभुदयाल चौबे को टिकट दिया। उनके सामने चार निर्दलीय प्रत्याशी थे। निर्दलीय प्रत्याशी हर्ष सिंह पवार ने कांटे के मुकाबले में चौबे को 252 वोटों से हराया था। 1967 में कुल 11 प्रत्याशी मैदान में थे। इस बार भी कांग्रेस ने प्रभुदयाल चौबे को प्रत्याशी बनाया, जबकि उनके सामने भारतीय जनसंघ पार्टी के श्रीवल्लभ मैदान में थे, लेकिन इस बार कांग्रेस के प्रत्याशी प्रभुदयाल चौबे ने जनसंघ के उम्मीदवार को 6965 वोट से हरा दिया।

चौबे फिर विधायक बने

1972 के खिलचीपुर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार प्रभु दयाल चौबे को और जनसंघ ने नारायण सिंह पवार को प्रत्याशी बनाया। इस चुनाव में प्रभुदयाल चौबे ने पवार को 3761 वोटों से हरा दिया, लेकिन 1977 के विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी की तरफ से उम्मीदवार बनाए गए नारायण सिंह पवार ने यह सीट कांग्रेस से छीन ली और उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार कन्हैयालाल को 21151 वोटों से बड़ी मात दी। 1980 में खिलचीपुर विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने फिर से नारायण सिंह पवार को तो कांग्रेस ने भी दोबारा कन्हैयालाल खुबन सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया। इस बार कांग्रेस के उम्मीदवार कन्हैयालाल खुबनसिंग जीते और उन्होंने बीजेपी के नारायण सिंह पवार को 8732 वोटों से हरा दिया, लेकिन वर्ष 1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से सीट छीन ली. इस बार कांग्रेस उम्मीदवार कन्हैयालाल दांगी जीते और उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की तरफ से पहली बार उम्मीदवार बनाए गए।

1990 के बाद भाजपा के हिस्से में लंबा इंतजार

१990 में इस विधानसभा से बीजेपी ने पवार समाज के पूअर सिंह पवार को उम्मीदवार बनाया। वे जीते और कांग्रेस प्रत्याशी निर्दलीय उम्मीदवार हजारी लाल की वजह से तीसरे क्रम पर पहुंच गई। अगले चार चुनाव में यह सीट कांग्रेस के पास रही। 1993 में इस सीट से डॉ. रामप्रसाद दांगी, 1998 में हजारीलाल दांगी, 2003 में प्रियव्रत सिंह व 2008 में भी प्रियव्रत सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते। 2013 में भाजपा के हजारीलाल दांगी ने कांग्रेस के प्रियव्रत को पराजित कर करीब 23 साल बाद भाजपा के लिए यह राह खोली। भाजपा ने 2018 में भी हजारीलाल दांगी को प्रत्याशी बनाया, लेकिन इस बार कांग्रेस के उम्मीदवार प्रियव्रत सिंह ने अपनी सीट वापस छीन ली। उन्होंने हजारीलाल दांगी को कुल 29756 वोटों के बड़े अंतर से हरा दिया।

इन समाज के प्रत्याशियों को मिली जीत

खिलचीपुर सीट पर अब तक 13 विधानसभा चुनाव हुए हैं। इसमें से 9 बार कांग्रेस, 3 बार बीजेपी व जनसंघ और एक बार निर्दलीय को जीत मिली। इन 13 चुनाव में सौंधिया ठाकुर, दांगी, गुर्जर और पंवार समाज के प्रत्याशी ही जीतते आए हैं। यह सभी पिछड़ा वर्ग से आते हैं। अनुसूचित जाति व दलितों के वोट बड़ी संख्या में हैं, लेकिन वे अपना वर्चस्व नहीं बना पाए।

प्रदेश के दिग्गज नेताओं में शुमार प्रियव्रत

प्रियव्रत सिंह खिलचीपुर रियासत के राजपरिवार से आते हैं। प्रदेश स्तर के कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की इनकी गिनती की जाती है। क्षेत्र की जनता के बीच साफ छवि है। उन्होंने 2000 में निर्विरोध जिला पंचायत सदस्य के रूप में राजनीतिक पारी की शुरुआत की। 2003 से लेकर 2013 तक लगातार 2 बार कांग्रेस पार्टी से चुनाव लडक़र खिलचीपुर के विधायक रहे। 2009 में अखिल भारतीय युवा कांग्रेस के महासचिव व 2018 से फिर खिलचीपुर के विधायक हैं। 29 दिसम्बर 2018 से 20 मार्च 2020 तक कांग्रेस सरकार की कैबिनेट में ऊर्जा मंत्री रहे।

समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष हजारीलाल दांगी कांग्रेस से भी विधायक बने

हजारीलाल दांगी इससे पहले भाजपा के टिकट पर दो बार कांग्रेस के प्रियव्रतसिंह के सामने चुनाव लड़ चुके हैं। सन् 2013 में उन्होंने प्रियव्रत सिंह को हराया था एवं सन् 2018 में उन्हें प्रियव्रत सिंह से हार मिली थी। खिलचीपुर में लगभग 45 हजार दांगी वोटर निवास करते हैं। हजारीलाल दांगी दांगी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। यही कारण रहा, कि भाजपा ने लगातार तीसरी बार उन्हें विधानसभा का टिकट दिया है।हजारीलाल शासकीय शिक्षक से त्यागपत्र देकर 1994 में कांग्रेस से जिला पंचायत अध्यक्ष बने थे। 1998 में पुन: जिला पंचायत अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर कांग्रेस पार्टी से विधायक का चुनाव लडक़र जीता और 1998 से 2003 तक खिलचीपुर विधानसभा से कांग्रेस पार्टी के विधायक रहे। सन् 2009 से भाजपा से जुड़े और 2013 में भाजपा के टिकट पर खिलचीपुर विधानसभा का चुनाव 11479 वोट से जीता । 2018 में पुन: भाजपा के टिकिट पर चुनाव लड़ा और 29756 वोट से चुनाव हार गए थे।

रोजगार में पिछड़ा इलाका

यह सीमावर्ती क्षेत्र है और कांग्रेस को यहां प्रतिनिधित्व करने का लगातार मौका मिला है। इसके बावजूद यहां की बड़ी समस्या रोजगार है और इस वजह से क्षेत्र में पलायन भी देखने को मिलता है। दूसरी ओर यहां पर किसानी मुद्दे ज्यादा हावी हैं। किसानों की मन की थाह के साथ ही राज परिवार वोटर्स की पसंद रहते हैं।