शिखा हमारी संस्कृति की पहचान है, इसके लिए महापुरुषों ने जीवन न्यौछावर किया है : मोरे

स्वतंत्र समय, खरगोन
शरद पूर्णिमा के पर गायत्री शक्तिपीठ में स्थापन और यज्ञोपवित संस्कार का संकल्प युवाओं द्वारा लिया गया। दीपयज्ञ के माध्यम से देवपुजन पर्व पूजन संपन्न हुआ।
शिखा का वैज्ञानिक महत्व बताते हुए परिव्राजक सौरभ मोरे ने बताया कि शिखा हमारी संस्कृति की पहचान है। इसके लिए गुरु गोविंद सिंह जी के पुत्रों ने अपने जीवन को न्योछावर कर दिया था। यह ब्रह्नरंद्र पर स्थापित होती है यहां से ब्रह्मांडीय ऊर्जा संपूर्ण शरीर में प्रवाहित होती है। हर संस्कृति प्रेमी को इसे स्थापित करना चाहिए।
इस अवसर पर औषधि युक्त दिव्य खीर का वितरण कि गई। मुख्य अतिथि डॉ. सुनील पाटीदार ने स्वास्थ्य रक्षा के सरल सूत्र बताए। जिससे अस्थमा के रोग को जड़ से समाप्त किया जा सकता है। शक्तिपीठ के मुख्य प्रबंध ट्रस्टी लक्ष्मण जी पटेल ने युवा प्रतिभाओं का सम्मान किया। बालसंस्कार शाला के नन्हे मुन्ने बच्चो ने प्रेरणा प्रद प्रस्तुतियां देकर उपस्थित परिजनों को भाव विभोर कर दिया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. संतोष पाटीदार ने किया। विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ. एसके आटोदे, डाँ गौरव पाटीदार, बी एस मंडलोई, रमेश पाटीदार ने देव पूजन किया। कार्यक्रम में 24 युवाओं ने शिखा स्थापन संस्कार संपन्न कराया।