स्वतंत्र समय, इंदौर
आज शाम तक नाम वापसी के बाद मध्यप्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव की तस्वीर पूरी तरह साफ हो जाएगी। प्रदेश में अधिकांश स्थानों पर भाजपा और कांग्रेस में सीधा मुकाबला है लेकिन इस बार कई स्थानों पर नाराज दावेदारों के कारण पूरा गणित बदलने की संभावना जताई जा रही है। नाम वापसी के पहले उनकी नाराजगी को खत्म करने की पूरी कोशिश की जा रही है, लेकिन कुछ है कि मानने का नाम नहीं ले रहे है। इनमें से एक महू (डॉ. आंबेडकर नगर) विधानसभा से कांग्रेस के पूर्व विधायक अंतर सिंह दरबार भी हैं, जिन्होंने टिकट कटने के बाद निर्दलीय लडऩा निश्चित किया है। यह भी साफ है कि अगर दरबार का चुनावी दरबार सज गया तो वह समस्या खड़ी कर सकते है। इसमें न केवल कांग्रेस बल्कि भाजपा से असंतुष्ट भी उनका अंदरूनी साथ देकर दोनों दलों का पूरा गणित बिगाड़ सकते हैं। इस बार भाजपा ने अपने वर्तमान विधायक उषा ठाकुर को काफी विचार-विमर्श के बाद इस सीट से दोबारा टिकट दिया है तो कांग्रेस से उम्मीदवार रामकिशोर शुक्ला है। शुक्ला पहले कांग्रेसी थे लेकिन कैलाश विजयवर्गीय के चुनाव के दौरान भाजपा में शामिल हो गए थे। 15 साल बाद 27 दिन पहले ही वो भाजपा से वापस कांग्रेस में शामिल हुए और उन्हें टिकट दे दिया गया। वहीं दूसरी ओर अंतरसिंह दरबार कुल पांच बार यहां से चुनाव लड़ चुके हैं। 1998 व 2003 में वो यहां से विधायक रहे लेकिन इसके बाद लगातार तीन चुनाव वो हार चुके हैं। दो बार कैलाश विजयवर्गीय और एक बार उषा ठाकुर ने उन्हें हराया है। कांग्रेस ने इसी कारण उनका टिकट काटा है।
दोनों दल के असंतुष्टों का साथ
टिकट कटने के बाद दरबार और उनके समर्थकों ने विद्रोह का रास्ता अपनाया है और निर्दलीय चुनाव लडऩे का निश्चय किया है। उन्हें मनाने की तमाम कोशिशें कांग्रेस के बड़े नेता कर रहे हैं लेकिन वो टिकट से कम पर मानने को तैयार नहीं है। इससे महू का पूरा गणित बदलने की पूरी संभावना है। दरबार के निर्दलीय लडऩे से कांग्रेस को तो नुकसान होगा ही, उसके साथ ही भाजपा को भी नुकसान होने की संभावना है। स्थानीय भाजपा उम्मीदवार को टिकट देने की मांग करने वाले भी उनका साथ दे सकते हैं। खुद उनसे जुड़े आदिवासी वोटों के भी बंटने की उम्मीद है। उषा ठाकुर को इससे नुकसान हो सकता है।
पाटीदार समाज भी निर्णायक
महू विधानसभा अपने आप में महत्वपूर्ण सीट है। यह विधानसभा इंदौर जिले में आती है लेकिन इसका संसदीय क्षेत्र धार लोकसभा क्षेत्र में आती है। बाबा साहब आंबेडकर की जन्मस्थली होने से यहां देशभर की बड़ी पार्टियों के प्रमुख नेताओं का यहां पर आना-जाना लगा रहता है। यहां आर्मी का बेस कैंप भी है, जिसके कारण यह पूरे देश में सुर्खियों में बनी रहती है। भाजपा और कांग्रेस के अलावा कुछ समय से भीम आर्मी, जयस भी सक्रिय हैं। आदिवासी समाज के साथ पाटीदार समाज का भी सीट पर वर्चस्व है। आदिवासी समाज की संख्या अधिक है और वही परिणाम तय करते हैं। पाटीदार समाज भी निर्णायक है।
9 बार कांग्रेस, 6 बार भाजपा
महू विधानसभा सीट (डॉ. आंबेडकर नगर) पर पहला विधानसभा चुनाव 1952 में हुआ था। तब से लेकर 1972 तक यहां पर लगातार कांग्रेस जीतती रही। यहां पर अब तक कांग्रेस 9 बार तो भाजपा 6 बार जीती है। 1973 में जनसंघ से भेरूलाल पाटीदार ने चुनाव जीता। फिर लगातार दो बार कांग्रेस के उम्मीदवार को जीत मिली। इसके बाद 1985 से भाजपा के भेरूलाल पाटीदार लगातार तीन चुनाव जीते। 1998 से 2008 तक कांग्रेस के अंतर सिंह दरबार 10 साल विधायक रहे। इसके बाद भाजपा के कैलाश विजयवर्गीय लगातार दो चुनाव जीते। 2018 के चुनाव में भाजपा ने उषा ठाकुर को मैदान में उतारा और उन्होंने जीत दर्ज की।
महू सीट से कब-कौन जीता?
चुनाव जीते राजनीतिक दल
1952 आरसी जाल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1957 आरसी जाल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1962 आरसी जाल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1967 आरसी जाल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1972 प्रकाश चंद्र सेठी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1973 भेरूलाल पाटीदार जनसंघ
1977 घनश्याम सेठ पाटीदार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1980 घनश्याम सेठ पाटीदार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1985 भेरूलाल पाटीदार भारतीय जनता पार्टी
1990 भेरूलाल पाटीदार भारतीय जनता पार्टी
1993 भेरूलाल पाटीदार भारतीय जनता पार्टी
1998 अंतर सिंह दरबार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
2003 अंतर सिंह दरबार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
2008 कैलाश विजयवर्गीय भारतीय जनता पार्टी
2013 कैलाश विजयवर्गीय भारतीय जनता पार्टी
2018 उषा ठाकुर भारतीय जनता पार्टी