स्वतंत्र समय, शहडोल
शहडोल जिले के जैतपुर विधानसभा से किन्नर प्रत्याशी काजल मौसी की दावेदारी ने फिर से शहडोल को देश के पटल पर चर्चा में ला दिया है। चुनावों को लेकर शहडोल जिला हमेशा से चर्चित रहा है। इमरजेंसी के दौरान यहां इंदिरा गांधी को अपनी सीट गंवानी पड़ी थी। हार का मुंह देखना पड़ा था। शहडोल जिले की तब की सोहागपुर विधानसभा, जो अब जयसिंहनगर बन चुकी है, से कृष्ण पाल सिंह ने जीत हासिल की थी। इसके बाद सोहागपुर विधानसभा की चर्चा उस समय देश में हुई जब किन्नर प्रत्याशी शबनम मौसी ने एक-तरफा जीत हासिल की। देश की पहली किन्नर विधायक का तमगा उन्होंने हासिल किया। अब शहडोल जिले के जैतपुर विधानसभा से किन्नर प्रत्याशी के रूप में काजल मौसी की दावेदारी ने शहडोल को चर्चा में ला दिया है। 23 साल पहले साल 2000 में शहडोल जिले के सोहागपुर (वर्तमान जयसिंहनगर) विधानसभा में हुए उपचुनाव में शबनम मौसी ने जीत दर्ज कर प्रदेश की राजनीति में एक अलग लाइन खींच दी थी। शबनम मौसी देश की पहली थर्ड जेंडर विधायक बनी थी। सोहागपुर सीट 1999 में कांग्रेस के कद्दावर नेता केपी सिंह के निधन से खाली हुई थी। तब उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी से केपी सिंह के पुत्र बृजेश सिंह और भाजपा से लल्लू सिंह मैदान में थे। उस समय शहडोल की जनता ने कांग्रेस और भाजपा के बजाय किन्नर शबनम मौसी को चुनना ज्यादा बेहतर समझा था। शहडोल की जनता की इसी पसंद के बाद प्रदेश में शहडोल को राजनीति में प्रयोग के लिए जाना गया। अब 23 साल बाद जैतपुर विधानसभा से काजल मौसी ने वास्तविक भारत पार्टी से नामांकन दाखिल किया है। काजल मौसी ने कहा आधार कार्ड, पैन कार्ड व अन्य दस्तावेज में महिला लिखा है। इस वजह से लिखा-पढ़ी में भले प्रशासन महिला बताए, लेकिन जनता के बीच काजल मौसी बनकर ही जाएंगी, जिस रूप में जनता उन्हें जानती-पहचानती हैं।