- अब मास्क को ही अपने बचाव का कवच बनाएं
- जगह-जगह खुदाई बनी शहरवासियों के लिए सिरदर्द
- हवा में कार्बन मोनोऑक्साइड 700 पर पहुंची
स्वतंत्र समय, इंदौर
यूं तो शहर में इस वक्त चुनावी चर्चाओं के साथ वर्ल्ड कप में भारत की लगातार जीत के चर्चे हैं लेकिन जिस वक्त भारत श्रीलंका को 57 रन पर समेट कर हमारा मस्तक वानखेड़े में बुलंद कर रहा था तो मिनी मुंबई में हवा में फैला जहर खुलकर सांसें लेने से रोक रहा था। गुरुवार शाम को शहर का एक्यूआई यानी वायु गुणवत्ता सूचकांक 158 मापा गया। यह हालत सरकारी आंकड़े की है जहां खासी हरियाली है। यदि औद्योगिक इलाकों से लेकर भीड़ भरे चौराहों व खुदाई वाले इलाकों के एक्यूआई निकालें तो संभव है कि यह 300 पार निकले। वायु प्रदूषण अभी दीपावली के आगाज के पहले ही बढ़ रहा है। यह घातक स्थिति की ओर इशारा है। देश में स्वच्छ हवा का तमगा पाए शहर के लिए यह स्थिति इसलिए भी खतरनाक है कि यहां बुजुर्गों की भी खासी तादाद है। वहीं जहरीली हवा तो हर किसी को अपनी जद में ले रही है। सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों की भरमार वाले शहर में कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर इस समय 700 के करीब जा पहुंचा है।
आप ही बरतें सावधानी
ऐसे में स्वास्थ्य के एक्सपर्ट यही कह रहे हैं कि घर से निकलने के पहले अपनी सावधानियां खुद बरतें। सबसे पहले मास्क को बतौर कवच अपनाया जाना चाहिए। इंदौर में पिछले चार सालों में अस्थमा यानी दमे के रोगी बहुत तेजी से बढ़े हैं। दमघोंटू वातावरण और हवा में अशुद्धता की वजह से यह स्थिति बन रही है। जिस दिन अवॉर्ड मिला, उस दिन एक्यूआई 82 था। स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में इंदौर को देश में पहला स्थान मिला था। दस लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों की रैंकिंग में इंदौर सबसे आगे रहा। इसमें 47 शहर सम्मिलित हुए थे। इंदौर में हवा इतनी भी शुद्ध नहीं है कि खुशी मनाई जाए। अगस्त में जब रैंकिंग के परिणाम आए, उस दिन इंदौर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 82 था, जबकि आदर्श स्थिति तब है, जब एक्यूआई 55 तक बना रहे।
इतने संसाधन खर्च लेकिन नतीजा ….
- ढाई सौ करोड़ के नाला टैपिंग में खर्च करने के बाद भी शहर की कान्ह, चंद्रभागा, सरस्वती नदी में सीवरेज का काला पानी बहता दिखाई देता है।
- नर्मदा के प्रोजेक्ट ने भी लंबा समय ले लिया है और लगातार खुदाई से हवा में पीएम 2.5 कण तैर रहे हैं।
- मास्टर प्लान में हरियाली 14 प्रतिशत प्रस्तावित लेकिन यह 5 प्रतिशत भी नहीं।
- स्मार्ट ट्रैफिक व पब्लिक ट्रांसपोर्ट में बेहतर बनने की जरूरत।
प्रदूषण का स्तर जानिए
- 0 से 50 – अच्छा
- 50 से 100 – संतोषजनक
- 101 से 200 – मध्यम
- 201 से 300- खराब
- 301 से 400 – बहुत खराब
- 401 से 500 – अति गंभीर
(भारत सरकार के केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक)
एक्यूआई इसे कहते हैं
एक्यूआई या वायु गुणवत्ता सूचकांक, यह दरअसल एक नंबर होता है जिसके जरिए हवा का गुणवत्ता पता लगाया जाता है। साथ इसके जरिए भविष्य में होने वाले प्रदूषण के स्तर का भी पता लगाया जाता है। भारत में एक्यूआई को मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरनमेंट, फॉरेस्ट और क्लाइमेट चेंज ने लॉन्च किया। इसे ‘एक संख्या, एक रंग, एक विवरण’ के आधार पर लॉन्च किया गया था। दरअसल देश में अभी बहुत बड़ी आबादी है जो शिक्षित नहीं है, इस लिए उन्हें प्रदूषण की गंभीरता को समझाने के लिए इसमें रंगों को भी शामिल किया गया।
शुष्क वातावरण से वायु प्रदूषण, मास्क जरूरी: चिकित्सक
अक्टूबर का मौसम पूरे महीने गर्म रहा है। नवंबर में भी दिन की तपिश 30 डिग्री से ऊपर ही है। इंदौर में लंबे समय बाद इतना गर्म व शुष्क अक्टूबर देखा गया है। नमी कम होने से धूप का असर ज्यादा रहता है और महीन धूल के कण हवा में तैरते रहते हैं जिससे वायु प्रदूषण बढ़ता है। डॉक्टर मोईन अली के मुताबिक सांस के मर्ज से बचने के लिए हर आयु वर्ग को घर से निकलने पर मास्क अनिवार्य रूप से पहनना चाहिए। वायु प्रदूषण से बचाव में यह बेहद कारगर रहेगा।