स्वतंत्र समय, भोपाल
केंद्र सरकार की सेतु बंधन योजना के अंतर्गत 850 करोड़ रुपए की लागत से प्रदेश के 10 शहरों में प्रस्तावित 21 फ्लाइओवर में से तीन का निर्माण भोपाल में भी होना है। इनके लिए भोपाल हाट से छह नंबर बस स्टाप तक 540 मीटर फोरलेन, आईएसबीटी से रचना नगर 800 मीटर फोरलेन, अयोध्या बाइपास से करोंद तक 750 मीटर सिक्स लेन का चयन किया गया है, क्योंकि इन तीनों स्थानों पर दिनभर ट्रैफिक जाम की समस्या बनी रहती है। गत वर्ष नवंबर माह में इन फ्लाइओवर के निर्माण की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने के लिए कंसल्टेंसी एजेंसी का चयन किया गया था। कंपनी ने आकर यहां सर्वे की शुरूआत भी कर दी, लेकिन प्राथमिकता के मामले में भोपाल पिछड़ गया है। यही हाल ग्वालियर का भी है। ग्वालियर में दो फ्लाइओवर का निर्माण होना है। इनके लिए आमखो से महाराज बाड़ा और हजीरा से चार शहर का नाका का चयन किया गया है, क्योंकि इन दोनों स्थानों पर दिनभर ट्रैफिक जाम की समस्या बनी रहती है।
हालांकि कंपनी को इंदौर, भोपाल और सागर में पहले सर्वे पूरा करने के लिए कहा गया, जिसके चलते ग्वालियर का प्रोजेक्ट होल्ड पर चला गया। इन शहरों में डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार होने के साथ ही फ्लाइओवर के टेंडर तक बात पहुंच गई है, जबकि ग्वालियर में अभी फिजिबिलिटी रिपोर्ट भी तैयार नहीं हो पाई है। सेतु बंधन योजना के अंतर्गत इंदौर में पांच, भोपाल में तीन, ग्वालियर में दो, सागर में चार, जबलपुर में दो सहित रतलाम, खंडवा, धार, छतरपुर और विदिशा में एक-एक फ्लाइओवर प्रस्तावित किया गया था। सबसे अधिक प्राथमिकता इंदौर को
राज्य सरकार ने सेतु बंधन योजना में प्रस्तावित फ्लाइओवर में सबसे ज्यादा प्राथमिकता इंदौर शहर को दी है। यही कारण है कि इंदौर में प्रस्तावित पांच में से चार फ्लाइओवर के सर्वे का कार्य पूरा होने के साथ ही इसके टेंडर जारी करने की तैयारी कर ली गई है। वहीं सागर के चार में से एक सहित धार और विदिशा में प्रस्तावित फ्लाइओवर की भी यही स्थिति है। इनका सर्वे भी पूरा होने के साथ ही लागत भी तय हो गई है। निर्माण से पहले तकनीकी पहलुओं पर नजर रखने के लिए अब सिर्फ सलाहकार फर्म की नियुक्ति का काम शेष रह गया है। ग्वालियर में अभी तक कोई प्रगति नहीं हो सकी है। सर्वे का काम भी पिछड़ा हुआ है।