स्वतंत्र समय, इंदौर
इंदौर जिले की नौ विधानसभा क्षेत्रों में से विधानसभा क्रमांक एक सबसे हॉट सीट के रूप में चर्चा में आ गई है। इस सीट की न केवल इंदौर बल्कि प्रदेश और देश स्तर पर हो रही है। मुकाबला शहर के कद्दावर नेता व भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और इस क्षेत्र में दबंग परिवार से वर्तमान कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला के बीच है। शहर की हवाई एंट्री एयरपोर्ट की एंट्री वाली इस सबसे वीआईपी सीट पर 2018 में संजय शुक्ला पहली बार दो बार के भाजपा विधायक सुदर्शन गुप्ता को 8163 वोट के कम मार्जिन से हराकर जीते थे। इस बार न तो उनके लिए आसान स्थिति है और न ही पहली बार इस सीट से चुनाव लड़ रहे कैलाश विजयवर्गीय के लिए सीधे जीत वाला मुकाबला। इस सीट पर पिछले पांच साल से संजय शुक्ला ने सक्रिय विधायक के रूप में पहचान बनाई है। इसी कारण भाजपा ने इस सीट को कड़ी सीट माना और उस आधार पर शहर के सबसे बड़े नेता कैलाश विजयवर्गीय को इस सीट से खड़ा किया। उनकी उम्मीदवारी से उनके पुत्र आकाश विजयवर्गीय का टिकट भी कट गया है। कैलाश विजयवर्गीय के बारे में एक और रोचक तथ्य यह है कि वो इंदौर जिले की अलग-अलग सीटों से चुनाव लड़ चुके हैं और उन नेताओं में शामिल हैं जो कभी चुनाव में हारे नहीं हैं।
ब्राह्मण, यादव, मुस्लिम और जैन के भरोसे
इस सीट के इतिहास को देखें तो यहां पर अधिकांश बार बीजेपी का कब्जा रहा है। इस क्षेत्र की समुदाय वाली आबादी को देखें तो यादव और ब्राह्मण समाज का वर्चस्व है। कांग्रेस ने पिछली बार संजय शुक्ला पर ब्राह्मण दांव खेला था। इस क्षेत्र में जैन और मुस्लिम समुदाय के मतदाता भी हार-जीत में बड़ी भूमिका निभाते हैं। चंदन नगर और जूना रिसाला जैसे बड़े मुस्लिम क्षेत्र इसी विधानसभा में आते हैं। इस बार भी इन्हीं मतदाताओं के इर्द-गिर्द ही चुनाव की रणनीति बनाई जा रही है। 2013 में यहां बीजेपी से सुदर्शन गुप्ता को 99558 वोट देकर मतदाताओं ने विजय दिलाई थी। वहीं निर्दलीय कमलेश खंडेलवाल को 54176 वोटों के अंतर से हराया था। जबकि कांग्रेस के दीपू यादव मात्र 37595 मत के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे। 2018 में संजय शुक्ला ने सुदर्शन गुप्ता को 8163 वोट से हराकर विजयश्री हासिल की थी।
कैलाश विजयवर्गीय.. एक बार भी नहीं हारे चुनाव
1975 में एबीवीपी से अपनी राजनीति की शुरुआत करने वाले कैलाश विजयवर्गीय सन् 1983 में इंदौर नगर निगम के पार्षद बने। सन् 1990 में इंदौर चार से विधानसभा के लिए पहली बार चुने गए। सन् 1993 और 1998 में इंदौर दो से विधानसभा का चुनाव जीता। सन 2000 में इंदौर के महापौर के रूप में चुने गए। सन् 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में विजयवर्गीय ने महू से चुनाव लडक़र जीत हासिल की। सन् 2015 में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव और पश्चिम बंगाल में बीजेपी का प्रभार सौंप कर बड़ी जवाबदारी दी गई। 2023 में चौथी बार पार्टी ने राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी दी गई।
संजय शुक्ला हार चुके हैं विधायक और महापौर का चुनाव
उधर दूसरी ओर संजय शुक्ला 2018 में भाजपा के सुदर्शन गुप्ता को 9 हजार वोट से हराकर पहली बार विधायक बने। 2022 में इंदौर महापौर का चुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा के पुष्यमित्र भार्गव से हार गए। संजय शुक्ला के पिता विष्णु प्रसाद शुक्ला भाजपा के बड़े नेता थे। शहर में वे बड़े भैया के नाम से जाने जाते थे। उन्होंने दो बार विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन जीत नहीं पाए। चुनावी हलफनामे के अनुसार संजय शुक्ला की संपत्ति 175 करोड़ से भी ज्यादा है। शुक्ला 75 से भी ज्यादा गाडिय़ों के मालिक हैं।
मैदान में कौन-कौन हैं?
कांग्रेसः संजय शुक्ला
भाजपाः कैलाश विजयवर्गीय
आपः अनुराग यादव
बसपाः सुनील अहिरवार
एआईएमआईएमः यासिर पठान
निर्दलीयः संजय शुक्ला, अभय जैन (जनहित पार्टी), अभिनंदन शर्मा, मनीष, राकेश कुमार
इस सीट पर कब-कौन जीता है?
1972: महेश जोशी (कांग्रेस)
1977: ओम प्रकाश रावल (जनता पार्टी)
1980: चन्द्र शेखर व्यास (कांग्रेस)
1980: सत्यनारायण सत्तन (भाजपा)
1985: ललित जैन (कांग्रेस)
1990: ललित जैन (निर्दलीय)
1993: लालचन्द मित्तल (भाजपा)
1998: रामलाल यादव (कांग्रेस)
2003: उषा ठाकुर (भाजपा)
2008: सुदर्शन गुप्ता (भाजपा)
2013: सुदर्शन गुप्ता (भाजपा)
2018: संजय शुक्ला (कांग्रेस)