स्वतंत्र समय, मुरैना।
भारत जोड़ो अभियान के प्रतिनिधि योगेन्द्र यादव, पी कृष्णप्रसाद, तेजेंदर सिंह विर्क, डॉ सुनीलम, एसकेएम नेता आविद शाह ने अलग-अलग प्रेस वार्ता में कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने पांच चुनावी राज्यों में कॉर्पोरेट भगाओ, भाजपा को सजा दो, देश बचाओ अभियान चलाने का निर्णय किया है। उन्होंने कहा है कि केंद्रीय कृषि मंत्री जो वर्तमान में मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लडऩे आए हैं उन्होंने किसानों के साथ धोखा एवं गद्दारी की है और संयुक्त किसान मोर्चा उन्हें सबक सिखाने एवं हराने के लिए निकला है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा देश के किसानों पर तीन किसान विरोधी कानून थोपे जाने पर देश भर में किसान संगठनों ने 380 दिन तक आंदोलन चलाया, जिसमें 725 किसान शहीद हुए। संयुक्त किसान मोर्चा केंद्र सरकार को विशेष तौर पर प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री को इन शहादतों के लिए जिम्मेदार मानता है।
किसान आंदोलन शुरू होने के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा किसान नेताओं के साथ तीन बार बातचीत की गई जिसमें कृषि मंत्री की भूमिका नकारात्मक रही, जिसके चलते वार्ता विफल रही। 380 दिन बाद सरकार ने मजबूरी में तीनों कृषि कानून वापस लेने का निर्णय लिया तथा कृषि मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल द्वारा किसानों को लिखित आश्वासन दिया गया, जो किसानों के साथ धोखा साबित हुआ। केंद्र सरकार द्वारा किसान संगठनों की सहमति से न तो एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए कमेटी बनाई, न दूसरे आश्वासन पूरे किए गए। संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी ओर से संवाद कायम रखने के लिए फिर एक बार कृषि मंत्री के साथ बैठक की। जिसमें उन्होंने तमाम आश्वासन दिए, लेकिन उनमें से एक भी आश्वासन को केंद्र सरकार द्वारा पूरा नहीं किया गया। मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में खुद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मुरैना जिले के दिमनी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। उनके विधानसभा क्षेत्र में बाजरा सहित अन्य फसलें एमएसपी पर नहीं खरीदी जा रही है। किसानों पर कर्ज बढ़ता चला जा रहा है। कृषि मंत्री किसानों को उनका जायज हक देने के लिए कोई ठोस कदम उठाने को तैयार नहीं है। इसलिए संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा दिमनी विधानसभा क्षेत्र में किसान पंचायत कर किसान विरोधी, कार्पोरेट मुखी केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को हराने की अपील की है, ताकि किसानों की जमीन और कृषि व्यापार कॉरपोरेट को सौंपी न जा सकें।