यशवंत क्लब : स्पेशल कैटेगरी में नई मेंबरशिप पर रोक बनी रहेगी, अगली सुनवाई 5 दिसंबर को, सचिव ने याचिकाकर्ता को असामाजिक तत्व बताया

स्वतंत्र समय, इंदौर

इंदौर के यशवंत क्लब में स्पेशल कैटेगरी में नई सदस्यता देने पर रोक जारी रहेगी। फर्म्स एंड सोसायटी को क्लब सचिव संजय गोरानी ने सुनवाई के दौरान 20 पन्ने का उत्तर दिया है। इसमें याचिकाकर्ताओं के मुद्दे के साथ ही याचिकाकर्ता पर भी प्रतिकूल टिप्पणी की गई है। वहीं फर्म्स एंड सोसायटी ने सचिव की सदस्यता तत्काल रोक को हटाने की मांग खारिज की है। इसमें अब सुनवाई की अगली तारीख 5 दिसंबर रखी गई है। इस सुनवाई के बाद ही पता चलेगा कि मेम्बरशिप की मौजूदा प्रक्रिया यथावत रहेगी या स्टे हटाया जाएगा। फर्म्स एंड सोसायटी इंदौर के असिस्टेंट रजिस्ट्रार ने गत  दिनों क्लब सदस्य बलमीत सिंह छाबड़ा की आपत्ति के आधार पर यशवंत क्लब को अभी वर्तमान पंजीकृत नियमों के तहत ही चलाने के निर्देश दिए। जिसके चलते नवीन सदस्यता के लिए की जा रही कार्रवाई को विधि अनुसार नहीं माना जाएगा। यानी अभी क्लब नए सदस्य नहीं बना सकता है। इसमें क्लब के पदाधिकारियों को जवाब देने के लिए 6 नवंबर की तारीख असिस्टेंट रजिस्ट्रार बीडी कुबेर ने लगाई थी।

स्पेशल मेंबरशिप कैटेगरी से सदस्यता का प्रावधान नहीं

बता दें कि यशवंत क्लब के संविधान में स्पेशल मेंबरशिप कैटेगरी से सदस्य बनाए जाने का कोई प्रावधान ही नहीं है। संविधान में संशोधन का प्रस्ताव क्लब ने सोसायटी को भेजा हुआ है, लेकिन वह अभी मंजूर नहीं हुआ है। इसके चलते बिना संशोधन के सदस्यता दिया जाना अवैधानिक है। इसी आधार पर छाबड़ा द्वारा यह याचिका लगाई गई थी, जिस पर सोसायटी ने अभी क्लब को पुराने पंजीकृत नियम से ही चलाने का आदेश दिया है। वहीं याचिकाकर्ता ने नई सदस्यता देने में की गई स्क्रूटनी प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े किए।

25 लाख बचाने के लिए रास्ता निकाला

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अजय मिश्रा ने शिकायत दी। मिश्रा का कहना है कि हमने विस्तार से बताया है कि यह बैकडोर से पहले ही अधिक उम्रदराज वालों को सदस्यता दे चुके हैं, ताकि मिस द बस योजना के नाम पर जिन्हें सदस्यता दी गई है उनकी महंगी सदस्यता राशि नहीं चुकाना पड़े। हालांकि नियम के मुताबिक उन्हें भी सदस्यता मौजूदा स्पेशल मेंबरशिप कैटेगरी से देना थी जिसमें 25 लाख रुपए फीस चुकाना होती है, लेकिन यह बचाने के लिए पहले उन्हें सदस्यता दे दी और अब बिना संविधान संशोधन के यह नया काम शुरू कर दिया।

भाई के खातिर संविधान ही बदल डाला था

करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी के आरोपी नरेंद्र गोरानी की मेंबरशिप की खातिर उनके भाई और यशवंत क्लब के सचिव संजय गोरानी ने क्लब का संविधान ही बदल डाला। उन्होंने इसके लिए क्लब का बाकायदा पांच साल पुराना प्रस्ताव ही बदल डाला। नरेंद्र गोरानी को कोर्ट से जमानत मिली गई है जबकि उनका साथी पार्टनर रमेश शाह कोर्ट में पेश नहीं हुआ।

उम्रदराजों को मेंबरशिप!

बताया जाता है कि नरेंद्र ने फ्लैट बेचने का सौदा कर लोगों को फ्लैट का कब्जा नहीं दिया। साथ ही आर्बिट्रेशन के बाद पीड़ितों को राशि भी नहीं  लौटाई। ऐसे भाई के लिए क्लब सचिव संजय गोरानी ने क्लब का निजाम ही बदल डाला। उन्होंने बाकायदा अधिक उम्र के भाई को इसमें सदस्यता दिलाई बल्कि एक्स्ट्राऑर्डिनरी जनरल मीटिंग (ईओजीएम) का एजेंडा भी बदल डाला।

यह कहता है नियम

यशवंत क्लब के नियमों की बात करें तो क्लब सदस्य की 18 से 25 साल की उम्र वाली संतान ही सदस्यता ग्रहण कर सकती है। इस नियम को बदलने की शुरुआत फरवरी 2018 में हुई। इस दौरान मैनेजिंग कमेटी में चेयरमैन टोनी सचदेवा और सचिव संदीप पारिख व अन्य पदाधिकारी थे। इसमें एजेंडा जारी किया गया कि जो 18 से 25 की आयु में सदस्य नहीं बन पाए उनके लिए यह सीमा 45 साल कर दी जाए।

कोर्ट ने लगाया स्टे

इस प्रस्ताव के बाद क्लब के मेंबर अनिल पटवा और मनजीत ने इसे चैलेंज किया। उन्होंने कहा कि  एक्स्ट्राऑर्डिनरी जनरल मीटिंग (ईओजीएम) का एजेंडा नहीं बदला जा सकता। ऐसे में यह प्रस्ताव अवैध माना गया। कोर्ट ने भी स्टे लगा दिया। वहीं नई मैनेजिंग कमेटी में पम्मी छाबड़ा चेयरमैन बने। स्टे भी यथावत रहा।

आपराधिक छवि वालों के आवेदन हुए थे मंजूर

याचिका में यह भी कहा गया है कि जिन्हें नई सदस्यता देने के लिए स्क्रूटनी कर चुना गया है, इसमें कई आपराधिक छवि वाले भी हैं। 172 लोगों के आवेदनों को क्लब ने स्क्रूटनी में चुना है। इसमें कई शराब कारोबारी, बिल्डर और तमाम ऐसे लोग शामिल हैं, जिन पर आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं। इसके बाद भी उनके फार्म भी स्क्रूटनी कमेटी ने पास कर दिए हैं और उन्हें सदस्यता के लिए बुलाया जा रहा है। जबकि कुछ लोगों के अपनी मंशानुसार फॉर्म हटा दिए गए हैं। शिकायत के बाद फर्म्स एंड सोसायटी ने क्लब की पूरी मैनेजिंग कमेटी को नोटिस जारी किया। ज्ञात हो कि कुछ समय पहले यशवंत क्लब में नए सदस्यों की एंट्री की खबर आई थी। ऐसा 23 साल बाद किया गया था। इसको लेकर मैनेजमेंट कमेटी ने क्लब की वार्षिक साधारण सभा में एक प्रस्ताव रखा है।

पम्मी गुट ने किया था विरोध

इस प्रस्ताव को लेकर पहले पम्मी गुट ने विरोध जताया था। लेकिन डेढ़ घंटे की लंबी चर्चा के बाद उन्होंने भी सहमति जाहिर कर दी। हालांकि यशवंत क्लब ने उनके सुझाव को मान्य रखा है। पहले सिर्फ 25 नए सदस्य बनाए जाने पर चर्चा की जा रही थी इतना ही नहीं हर सदस्य से 25 लाख रुपए सदस्यता के लिए जमा करवाने को लेकर भी बातचीत की। गई लेकिन इन सब के बीच कई बड़े सदस्यों ने इस पर नाराजगी जताई। वहीं नए सदस्यों की एंट्री से पहले क्लब के विकास को लेकर चर्चा करने की बात कही।