हर बार जीते हार्डिया की पटेल से इस बार ‘विधायकी’ की कड़ी लड़ाई

 स्वतंत्र समय, इंदौर

इंदौर की विधानसभा पांच में इस बार इस सीट से विधायक महेन्द्र हार्डिया और इसी सीट से विधायक रह चुके सत्यनारायण पटेल के बीच कड़ा मुकाबला होने जा रहा है। पिछली बार की कम मार्जिन की जीत के बाद महेन्द्र हार्डिया का टिकट बदलने की बात चली जरूर लेकिन आलाकमान ने उन्हें ही भरोसमंद माना। दूसरी ओर कांग्रेस के सत्यनारायण पटेल भी काफी समय से इस सीट पर तैयारी कर रहे हैं। इससे मुकाबला कड़ा और दिलचस्प होने की उम्मीद है। प्रियंका गांधी की सभा से लेकर महेन्द्र हार्डिया के गहरे प्रचार के बीच फिर से विधायकी की लड़ाई बहुत रोचक हो गई है। हार्डिया इस सीट को लगातार चार बार फतह कर 20 साल से विधायक हैं। दोनों ही पार्टियां और उम्मीदवार जीत के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। इस सीट पर इंदौर जिले में सबसे ज्यादा उम्मीदवार होने से दो वीवीपैट मशीन का उपयोग किया जाएगा। विधानसभा क्रमांक पांच में महेन्द्र हार्डिया भले ही चार बार से विधायक हैं लेकिन पिछली जीत का मार्जिन कम होने के बाद से ही इस बार यहां से भाजपा से नया उम्मीदवार होने की बात चली थी। टिकट वितरण तक यहां से कई दावेदार भी सामने आए लेकिन अंत में भाजपा ने अनुभव को महत्व देते हुए हार्डिया को फिर से मैदान में उतार दिया। उधर दूसरी ओर कांग्रेस में भी अंत तक सत्यनारायण पटेल और स्वप्निल कोठारी के बीच टिकट की जंग चली। अंत में पूर्व विधायक सत्यनारायण पटेल ने ही बाजी मारी। भाजपा को अपनी बीच बचाने की उम्मीद है तो कांग्रेस को इस सीट पर फिर से काबिज होने का विश्वास है।

दोनों का प्रचार अभियान जोरों पर

इस सीट पर दोनों ही पार्टियों से प्रत्याशी चयन के लिए अंतिम समय तक असमंजस की स्थिति रही। भाजपा से महेंद्र हार्डिया का टिकट होने के पहले काफी कश्मकश चली तो सत्यनारायण पटेल का टिकट भी अंतिम समय में हुआ। सत्यनारायण पटेल के लिए यह विधानसभा नई नहीं है क्योंकि वो इसी क्षेत्र में रहते है और विधायक भी रह चुके हैं। उन्होंने शीर्ष नेता प्रियंका गांधी की सभा कर माहौल बनाने की कोशिश की है। कांग्रेस से टिकट के सभी दावेदारों को साधकर उन्होंने अपनी पार्टी में तो जीत हासिल कर ली लेकिन विधायकी का सपना पूरा हो पाएगा या नहीं, यह देखना होगा। उधर महेन्द्र हार्डिया का प्रचार भी तेज गति से चल रहा है। उनके लिए पूरा क्षेत्र नया नहीं है। उन्हें आरंभ से ही फिर से टिकट मिलने की पूरी उम्मीद थी। जीत का पंजा लगाने के साथ ही पिछली बार के हार के कम अंतर को बढ़ाने की भी उनके सामने चुनौती है।

मुस्लिम इलाकों के साथ श्रमिक-वीआईपी वोटर

यह विधानसभा क्षेत्र मुस्लिम बहुल है। यहां पर खजराना और आजाद नगर जैसे कई बड़े इलाके पूरी तरीके से मुस्लिम बहुल हैं लेकिन पिछले चार विधानसभा चुनावों की बात करें तो यहां पर भाजपा ने कांग्रेस को हराया है। वहीं इस विधानसभा में काफी श्रमिक क्षेत्र होने के साथ ही बायपास व एमआईजी क्षेत्र की कुछ पॉश कॉलोनियां और पलासिया क्षेत्र की कई कॉलोनियां भी आती हैं जिसके कारण पॉश इलाका भी इस विधानसभा में आता है। लेकिन मुस्लिम मतदाताओं की काफी संख्या होने के कारण कई बार दोनों ही पार्टियों के राजनीतिक समीकरण इस क्षेत्र में बिगड़ जाते हैं जिसके कारण कई बार यहां से भाजपा और कांग्रेस को हार का सामना भी करना पड़ता है।

पिछली बार जीत का अंतर मात्र 1133 का

2018 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो यहां पर पिछला मुकाबला कांटेदार था और महज 1,133 मतों के अंतर से बीजेपी यह सीट जीत पाई थी। चुनाव में कुल 13 उम्मीदवार मैदान में थे। बीजेपी के उम्मीदवार महेंद्र हार्डिया को कुल मतों में से 117,836 वोट मिले जबकि कांग्रेस के सत्यनारायण पटेल के खाते में 116,703 वोट गए थे। तीसरे नंबर पर बसपा के उम्मीदवार डोंगर सिंह गोयाल रहे जिन्हें 1,422 वोट मिले। शेष अन्य उम्मीदवारों को एक हजार से भी कम वोट मिले।

जीत का पंजा लगाने की कोशिश में हार्डिया

सन् 1977 में यह सीट कांग्रेस के सुरेश सेठ के पास थी। वह 1977 और 1980 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने तो 1985 में निर्दलीय के तौर पर चुने गए। 1990 में कांग्रेस ने अशोक शुक्ला की जीत के साथ फिर से कांग्रेस को वापसी दिलाई। 1993 में बीजेपी के भंवर सिंह शेखावत ने अशोक शुक्ला को हराकर यह सीट जीत ली। उसके बाद 1998 में विधानसभा चुनाव हुआ में कांग्रेस के सत्यनारायण पटेल ने भंवर सिंह शेखावत को हराकर यह सीट फिर से कांग्रेस की झोली में डाल दी। लेकिन जब 2003 के चुनाव में भाजपा ने महेंद्र हार्डिया को इस सीट से विधायक का टिकट दिया और सत्यनारायण पटेल को बड़े मतों के अंतर से हराकर इस सीट को भाजपा की झोली में डाल दिया। फिर तब से यह सीट लगातार भाजपा के पास ही बनी हुई है।

सत्यनारायण पटेल                  कांग्रेस

महेंद्र हार्डिया                           भाजपा

फैजल वसीम शेख                  एआईएमआईएम

मो जमील                              सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया

मनोहर बिजोरे                       बसपा

विनोद त्यागी                         आप

आबिद हुसैन                         आजाद समाज पार्टी (काशीराम)

निर्दलीय                               अमित सोलंकी, जीयासुद्दीन, चना ज्ञानेश, संजीव, जयेश तायडे, डॉ. सुभाष बारोड (जनहित पार्टी), पूनम खंडेलवाल, अयाज अली, सलीम पठान

कब-कौन जीता है इस सीट पर

1977       सुरेश सेठ                      भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1980       सुरेश सेठ                     भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1985       सुरेश सेठ                      स्वतंत्र

1990       अशोक शुक्ला              भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1993       भंवर सिंह शेखावत       भारतीय जनता पार्टी

1998       सत्यनारायण पटेल      भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

2003       महेंद्र हार्डिया                भारतीय जनता पार्टी

2008        महेंद्र हार्डिया               भारतीय जनता पार्टी

2013       महेंद्र हार्डिया                 भारतीय जनता पार्टी

2018       महेंद्र हार्डिया                 भारतीय जनता पार्टी