स्वतंत्र समय, सागर
मध्य प्रदेश विधानसभा की कई सीटों पर दिलचस्प मुकाबला हो रहे हैं, लेकिन सागर जिले में एक सीट ऐसी है जहां जहां एक युवा इंजीनियर ने मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री की नाक में दम कर दिया है। सागर इलाके की रहली विधानसभा से मंत्री गोपाल भार्गव के सामने कांग्रेस ने ज्योति पटेल को टिकट दिया है। ज्योति ने चुनाव के पहले से ही मंत्री और उनके लोगों को लोहे के चने चबाना शुरू कर दिए थे। खरी खरी बयान बाजी तो करती ही हैं भ्रष्टाचार की पोल खोलने में भी नहीं कतराती हैं। एक ताजा इंटरव्यू में उन्होंने यह तक कह दिया की रावण को भी अपनी शक्ति का अहंकार था लेकिन दो बालकों ने उसे पटखनी दे दी। रहली विधानसभा में भी स्थिति ऐसी ही है।मंत्री गोपाल भार्गव के अहंकार को मैं और मेरी टीम तोड़ेंगे। पढ़ाई में हमेशा से टॉपर रही ज्योति ने इंजीनियरिंग में भी 80त्न से ज्यादा अंक हासिल किए हैं। बतौर इंजीनियर एक कामयाब जीवन जी सकती थी, लेकिन जनभावना की मांग और परिवार के संघर्ष को देखते हुए राजनीति का सफर चुना। ज्योति के तेज तर्रार तेवर और मेहनत की गूंज दिल्ली तक पहुंच गई। बताया जाता है कि प्रियंका गांधी ज्योति को खासा पसंद करती हैं। उन्हीं के इशारे के बाद ज्योति का टिकट हुआ है। ज्योति अपने चुनाव प्रचार में भी दावा कर रही हैं कि मेरी जीत के बाद प्रियंका गांधी की नजर हमारे इलाके पर बनी रहेगी। वह यहां आएंगी और आप लोगों से मिलेंगी।
ज्योति ने 21 साल की उम्र में पहला चुनाव जीता था। जिला पंचायत सदस्य रह चुकी हैं। बताती हैं कि मेरे परिवार ने खूब संघर्ष किया है ।मां को जेल भी जाना पड़ा। सोशल मीडिया प्रोफाइल और चुनाव प्रचार के जरिए यह संदेश भी लगातार देने की कोशिश कर रही हैं कि मैं एक पढ़ी-लिखी और युवा प्रत्याशी हूं। आप अगर मुझे वोट देंगे तो हमारे इलाके का विकास होगा।
भाषण देने की कला और आम लोगों को गले लगाने की अदा के कारण ज्योति को खासा पसंद किया जा रहा है। बच्चों से मिलती हैं तो उनके जैसी बात करने लगते हैं। बुजुर्गों से मिलती हैं तो तुरंत पांव छूकर और गले लगा कर आशीर्वाद लेती हैं। युवाओं के लिए भी ज्योति के पास कई योजनाएं हैं। सोशल मीडिया पर उनकी कई तस्वीरें देखी जा सकती हैं जिसमें उनकी सादगी और गरीबों के प्रति प्यार नजर आता है।
आठ बार से विधानसभा चुनाव जीत रहे गोपाल भार्गव की जीत के असर इस बार भी ज्यादा है, लेकिन ज्योति ने माहौल तो बना दिया है।जिस तरह भाजपा के कई दिग्गज अपनी ही विधानसभा में उलझ कर रह गए हैं, उसी तरह गोपाल भार्गव को भी जी जान से चुनाव लडऩा पड़ रहा है।