संजय खरे, कटनी
आखिरी तीन दिन के चुनाव में प्रत्याशियों ने पूरी ताकत झोंक दी है। शोर-शराबे का प्रचार बंद होने में 48 घण्टे से भी कम का समय शेष रह गया है, लिहाजा चारों सीटों पर मतदाताओं को साधने दोनों प्रमुख दलों की ओर से निर्णायक रणनीति पर काम होगा। वोटरों को अपने पक्ष में करने साम, दाम, दंड, भेद आजमाए जाएंगे। अंतिम दौर के प्रचार के बाद चारों विधानसभा क्षेत्रों में कांटे के संघर्ष की स्थितियां निर्मित हो रही हैं। बड़वारा और विजयराघवगढ़ में कांग्रेस तथा भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है, जबकि बहोरीबंद में त्रिकोणीय संघर्ष के हालात बन गए हैं। मुड़वारा में भाजपा और कांग्रेस दोनों के वोटों पर निर्दलीय प्रत्याशी बड़े पैमाने पर सेंध लगा रहे हैं। इस बार चुनाव के बीच आई दीवाली ने पर्व को भी सियासत के रंगों से भर दिया। नेताओं ने अपनी दीवाली जनता के बीच मनाई। मेल-मुलाकात का कोई मौका हाथ से नही जाने दिया। बस्तियों में जाकर प्रत्याशियों और उनके समर्थकों ने उपहार भी बांटे। चुनाव आयोग के प्रेक्षकों को नजरों से बचते बचाते मतदाताओं तक दीवाली की मिठाई पहुंचाई गई। अन्नकूट के आयोजनों में भी प्रत्याशियों की मौजूदगी से पर्व का स्वरूप भी इस बार चुनावी हो गया। 17 नवम्बर को वोटिंग है, लिहाजा अब बमुश्किल 3 दिन और 3 रातों का समय ही शेष रह गया है। अंतिम दौर की रणनीति के लिए लगभग सभी उम्मीदवारों ने अपने समर्थकों के साथ बैठकें की और उन्हें मोर्चे पर तैनात किया। इसके साथ ही मतदान के लिए पोलिंग बूथों के मैनेजमेंट को भी अंतिम रूप दिया गया। भाजपा और कांग्रेस समेत अन्य दलों व निर्दलीयों ने अपने-अपने पक्ष में वोटिंग कराने के लिए मतदान केंद्र स्तर पर टीमों की रचना कर दी है। दोनो प्रमुख दलों के पोलिंग एजेंट से लेकर काउंटर पर बैठने वाले कार्यकर्ता तय हो चुके हैं। चुनाव कार्यालयों से आज इन्हें पोलिंग सामग्री के थैले भी दिए जाने लगे। कांग्रेस और बीजेपी के पास तो बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं का नेटवर्क है लिहाजा इन्हें काउंटर पर बैठने से लेकर वोटर्स को मतदान केंद्रों तक लाने वाली टीमों की कोई दिक्कत नही लेकिन छोटे दलों के प्रत्याशियों और निर्दलीयों के पास बूथ स्तर का मैनेजमेंट नही है। उन्हें पैसे देकर लोगों को काम पर लगाना पड़ रहा है।
48 घण्टे पहले की चुनावी तस्वीर
जिले में मतदान के 3 दिन पहले जो तस्वीर उभरकर आ रही है वह 3 दिसम्बर को आश्चर्यजनक नतीजे देने की ओर इशारा कर रही है। यह पहला ऐसा चुनाव है जिसमें मतदाता गहरी खामोशी अख्तियार किये हुए वोटिंग का इंतजार कर रहा है। वोटर्स की खामोशी ने ही प्रत्याशियों को बेचैन किया हुआ है। कटनी जिला वैसे भी चौंकाने वाले परिणामों के लिए जाना जाता है। इस बार भी नतीजे चौंका दे तो कोई आश्चर्य नही। सभी सीटों पर माहौल बनाने के लिए प्रत्याशियों ने पूरी ताकत लगा दी है। बड़े नेताओं की सभाओं के जरिये माहौल को अपने पक्ष में करने के प्रयास हो रहे हैं। मुड़वारा में शिवराज सिंह, विजयराघवगढ़ में स्मृति ईरानी और ज्योतिरादित्य सिंधिया की सभाएं हो चुकी हैं जबकि बहोरीबंद में सपा के प्रत्याशी शंकर महतो के पक्ष में जनमत तैयार करने यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव दो बार आकर क्षेत्र में सभाएं कर चुके हैं। बड़वारा में वीडी शर्मा ने सभा कर पार्टी के लिए वोट मांगे है। सभाओं के मामले में कांग्रेस पीछे है। चारों क्षेत्रों में अब तक किसी बड़े कांग्रेस नेता की सभा नही हुई है। विजयराघवगढ़ में अवश्य पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की सभा आयोजित किये जाने की खबर है। चारों सीटों पर जो ताजा हालात नजर आ रहे हैं उसके मुताबिक बहोरीबंद में भाजपा प्रत्याशी प्रणय पांडे कांग्रेस के सौरभ सिंह और सपा के शंकर महतो के साथ त्रिकोणीय संघर्ष में फस गए हैं। बीजेपी की 18 साल की एंटीनकमबेंसी का असर भी है और क्षेत्र के विकास के मुद्दों को लेकर जनता की नाराजगी भी। प्रणय पांडे गांव गांव जाकर अपनी बात समझा रहे है, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी सौरभ सिंह उन्हें क्षेत्र के पिछड़ेपन, बेरोजगारी और सिंचाई के साधनों की कमी जैसे मुद्दों पर घेर रहे हैं। सपा प्रत्याशी शंकर महतो ने क्षेत्रीय प्रत्याशी के सवाल पर चुनाव लडक़र मुकाबले को रोचक बना दिया है। वे लोधी, पटेल, यादव वोटबैंक पर बड़े पैमाने पर सेंध लगा रहे हैं। क्षेत्र में हुई अखिलेश यादव की सभाओं ने भी माहौल बदला है। विजयराघवगढ़ में भाजपा प्रत्याशी संजय पाठक और कांग्रेस के नीरज सिंह बघेल के बीच सीधा मुकाबला है। संजय पाठक यहां पांचवा चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस ने इस बार पुराने नेताओं को छोडक़र नीरज सिंह को टिकट थमाकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। संजय पाठक क्षेत्र में कराए गए विकास कार्यों का एजेंडा सामने रखकर वोट मांगते हैं तो नीरज कहते हैं कि अब बदलाव ही क्षेत्र के विकास की इबारत लिख सकता है। बीजेपी का चुनाव प्रचार यहां आक्रामक अंदाज में है जबकि कांग्रेस के नेता डोर टू डोर कैम्पेन को ज्यादा महत्व दे थे हैं। पिछला चुनाव लगभग 14 हजार के अंतर से जीतने वाले संजय पाठक इस बार कितना करिश्मा कर पाते हैं, यह देखने लायक होगा। बड़वारा में इस बार बीजेपी ने धीरेंद्र सिंह के रूप में युवा चेहरा देकर कांग्रेस के बसन्त सिंह के सामने चुनौती पेश करने की कोशिश की है। पार्टी बड़वारा को सबसे कमजोर सीट मान रही है इसलिए जिला संगठन के तमाम नेता बाकी सीटों की तुलना में बड़वारा पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। वैसे इस क्षेत्र में बसन्त सिंह को लेकर कोई खास नाराजगी नही है, इसलिए मुकाबला कड़ा है। मुड़वारा में इस बार भाजपा के सामने कठिनाई ज्यादा है। उसके दो बागियों के मैदान में आ डटने से वोटों के नुकसान का फायदा सीधे तौर पर कांग्रेस को मिलता दिखाई दे रहा है। भाजपा प्रत्याशी सन्दीप जायसवाल की निजी टीम ही अब तक मैदान पर एक्टिव दिखी है। पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं का एक बड़ा वर्ग अब तक खुलकर मैदान में नही आया। खबर है कि पार्टी के ही कुछ लोग निर्दलीयों को सपोर्ट कर रहे हैं। भीतरघात का सबसे बड़ा खतरा इसी विधानसभा क्षेत्र में हैं। उधर कांग्रेस प्रत्याशी मिथलेश जैन के पक्ष में कांग्रेस पूरी तरह एकजुट दिखी है। जानकारों का कहना है कि अगर निर्दलीय उम्मीदवार ज्यादा वोट काटते हैं तो कांग्रेस का रास्ता आसान हो जाएगा।