दोनों प्रमुख दलों ने लगाई ताकत किसे मिलेगा जनता का आशीर्वाद?

स्वतंत्र समय, पांढुर्णा 

नया जिला बनने के बाद आदिवासी आरक्षित पांढुर्णा सीट का यह पहला चुनाव प्रतीत हो रहा है जब नगर सहित ग्रामीण अंचलों में इतनी शांति से चुनाव प्रचार प्रसार संपन्न हुआ। जनता के बीच में से कोई अति उत्साह या ज्यादा सक्रियता देखने को नहीं मिल रही है। प्रत्याक्षी तो अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, लेकिन ऐसे वातावरण को देखकर स्थानीय अधिकारी भी सकते में है। पांढुर्णा क्षेत्र में छाई शांति मतदान प्रतिशत को लेकर भी प्रशासन के लिए भी चुनौती बन सकता है। पांढुर्णा जिले की दूसरी सीट सौसर में जहां राजनीतिक घमासान और स्थानीय स्तर पर निर्वाचन को लेकर जो उत्सुकता और सक्रियता दिख रही है वह पांढुर्ना में देखने को नहीं मिल रही है। राजनीतिक पंडित भी इस स्थिति को समझ नहीं पा रहे हैं।

भाजपा खोलना चाहती है खाता…

लगातार दो विधानसभा चुनाव में हर चुकी भाजपा का केंद्रीय और प्रदेश नेतृत्व इस बार जीत के लिए पूरी ताकत लग रहा है। भाजपा ने परंपरागत रूप से पार्टी के भीतर के कार्य करने वाले प्रत्याशी को उतरने की जगह न्यायाधीश की नौकरी से त्यागपत्र देने वाले प्रकाश उईके पर अपना दाव लगाया है। प्रकाश उईके इसके पहले छिंदवाड़ा नगर निगम के चुनाव में भी चर्चा में रहे हैं और उन्हें भी नगर निगम के महापौर हेतु दावेदार के रूप में देखा जा रहा था। लगभग 1 साल से जिले के अन्य क्षेत्रों के अलावा पांढुर्णा क्षेत्र में आदिवासी समाज के बीच में वे के सक्रियता रहे है। जिन्होंने कई ग्रामों में निशुल्क ब्लैंकेट और चप्पल आदि के अलावा सामाजिक कार्य किए है। उनकी पहचान उस समय क्षेत्र के लोगों की निगाह में आई जब 1 साल पहले उन्होंने नांदनवाडी क्षेत्र में बागेश्वर धाम कथा पंडित धीरेंद्र शास्त्री के द्वारा करने हेतु तारीख का ऐलान किया। लेकिन दो बार तारीख घोषित होने के बावजूद वनवासी राम कथा संपन्न नहीं हो पाई, लेकिन इससे प्रकाश उईके को जरूर प्रसिद्धि मिली। भोपाल और दिल्ली के वरिष्ठ भाजपा नेतृत्व के संपर्क में आने के बाद इन्होंने न्यायाधीश पद से त्यागपत्र दिया और भाजपा की सदस्यता ग्रहण की इसके कुछ ही दिन बाद इन्हें पांढुर्णा विधानसभा सीट से प्रत्याशी के रूप में घोषित किया गया और बाद में अधिकृत सूची में नाम भी आया। लेकिन अचानक संगठन के बाहर से सीधे नेतृत्व द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को टिकट दिए जाने से स्थानीय भाजपा आदिवासी कार्यकर्ता और नेता नाराज हो गए और छिंदवाड़ा से लेकर पांढुर्णा तक इन्होंने प्रकाश उईके को बाहरी प्रत्याशी बताकर रैलियां तक निकाली और भोपाल तक जाकर प्रदेश अध्यक्ष और अन्य वरिष्ठ नेताओं के समक्ष विरोध जताया। चुनाव नजदीक आते-आते हालत यह थे की पांढुर्ना में परंपरागत भाजपा का नेतृत्व करने वाला एक धड़ा सदैव उनके खिलाफ नजर आया जिसमें वर्तमान पदाधिकारी की संख्या ज्यादा थी लेकिन वरिष्ठ नेताओं की संदेश के बाद कई लोगों ने चुनाव में काम करना प्रारंभ तो किया लेकिन मतदान के बाद उनके क्षेत्र के परिणाम बताएंगे कि उन्होंने काम किस प्रकार किया है। पूर्व न्यायाधीश और भाजपा के पांढुर्णा प्रत्याशी प्रकाश उईके प्रचार अभियान के दौरान जिस शैली से भाषण या बातचीत करते हैं वह आक्रमक होती है जिससे भाजपा कार्यकर्ता किस रूप में लेते हैं यह तो पार्टी के भीतर का विषय है। चुनाव प्रचार के बीच में प्रकाश उईके ने खुद की नानी मांडवी ग्राम पंचायत में आने वाले मोही की बताई और वहां उनकी जमीन होने का दावा किया था। लेकिन मांडवी की ही निवासी सकलीबाई ने जमीन के लेनदेन के संबंध में आरोप लगाए, जिसके बाद शिकायतकर्ता के पति रामसिंह उईके और प्रकाश उईके द्वारा फिर से प्रेस वार्ता लेकर उक्त जमीन की राशि दो चेक के माध्यम से देने की जानकारी उपलब्ध कराई। जमीन का लेनदेन तो दोनों पक्षों का आपसी था, लेकिन इस बीच जो संबंध भाजपा प्रत्याशी का पांढुर्णा में निवास और खेत मोही – मांडवी में बताया जा रहा था, जिस कारण उनके निवासी होने पर जरूर सवाल उठ खड़े हुए। फिर भी प्रकाश उईके ने बहुत कम समय में भाजपा की जनहितैषी योजनाओं और पांढुर्णा को जिला बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर चुनाव में जोरदार उपस्थिति दर्ज कराई है। और वह लगातार जनता के बीच में पांढुर्ना के विकास और मूलभूत सुविधाओं को बढ़ाने का विजन लेकर जा रहे हैं।

इतिहास दोहराना चाहती है कांग्रेस…

पिछले विधानसभा चुनाव में लगभग 20 हजार वोटो से चुनाव जीतने वाली कांग्रेस इस बार फिर से पांढुरना सीट पर अपना परचम लहराने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। पिछले दो विधानसभा चुनाव से पांढुर्णा सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है पिछली चुनाव में किसानो के कर्ज माफी की लहर और कमलनाथ जी के मुख्यमंत्री बनने का मुद्दा इतना हावी हुआ की पांढुर्णा सहित छिंदवाड़ा की सभी सीटों पर एक साथ कब्जा करके कांग्रेस ने नया इतिहास रचा था। इस चुनाव में पांढुर्णा सीट पर कांग्रेस के पास कमलनाथ जी को मुख्यमंत्री बनाने का एक ऐसा मुद्दा है जिसे लेकर भी जनता के बीच प्रचार अभियान में जाते रहे है। कांग्रेस प्रत्याशी निलेश वी आदिवासी अंचल के मैंनीखापा के समीप रजौला रैयत के निवासी है। विधायक बनने के पहले भी मोहखेड़ जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। निलेश वी अपने पिता पूसाराम वीक की राजनीतिक और सामाजिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। सादगीपूर्ण जीवन जीने में विश्वास रखने वाले नीलेश 5 वर्षों तक विभिन्न मुद्दों को लेकर प्रयत्नशील रहे। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के द्वारा पांढुर्णा क्षेत्र में किए गए विभिन्न विकास कार्यों को लेकर विधायक निलेश उईके और कांग्रेसी कार्यकर्ता जनता के बीच जा रहे हैं। पांढुरना से गुजरने वाला सर्व सुविधायुक्त बैतूल नागपुर राष्ट्रीय राजमार्ग, कई ट्रेनों के स्टॉपेज और दादा धाम एक्सप्रेस स्वीकृत कराई थी जिसे फिर से शुरू करने के लिए प्रयासरत है। केंद्रीय विद्यालय के अलावा नगर पालिका को केंद्रीय मंत्री रहते हुए उन्होंने लगभग 200 करोड रुपए की राशि यूआईडीएसएसएमटी उपलब्ध कराई थी जिसे आंतरिक मुख्य सडक़े, नई पेयजल बड़ी टंकीया, नई पाइप लाइन, और मोहगांव से पाइपलाइन डालकर पेयजल नगर को पेयजल उपलब्ध कराया गया। इस बीच कामठी जलाशय को निरस्त करने और श्रेय की राजनीति होने के भी आरोप प्रत्यारोप लगाते रहे है। पांडुरंग जिला बनाने को लेकर कांग्रेस ने भी ज्ञापन दिए, लेकिन इस बीच सौसर में दिए गए सांसद महोदय के बयान को लेकर पांढुर्ना में कांग्रेसियों को विरोधाभास का भी सामना करना पड़ा । लेकिन पांढुर्ना में बार-बार सांसद नकुलनाथ द्वारा पांढुर्णा जिले के सर्वांगीण विकास का संकल्प दोहराकर इन हवाओं को विराम दिया है। तिगांव को नगर पंचायत बनाने की घोषणा से उत्साह का संचार हुआ है। कांग्रेस शासन में तिगाव और चिचोली में वाटर फिल्टर प्लांट और अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में जल जीवन मिशन की जो शुरुआत कांग्रेस शासन में हुई आज वह मूर्ति रूप में दिख रही है। जहां दर्जनों पेय जल टंकिया ग्रामीण क्षेत्रों में बनाकर कर पाइपलाइन से लोगों को पेयजल उपलब्ध हो रहा है। पांढुर्णा सहित छिंदवाड़ा जिले के सर्वांगीण विकास के लिए कांग्रेसी मा कमलनाथ जी को मुख्यमंत्री बनाने का मुद्दा जोरदार तरीके से उठा रही है। निलेश उईके के द्वारा पूरे चुनाव भर स्वयं के 5 साल निरंतर जनता के लिए उपलब्ध रहने और उनके बीच में नेता नहीं बल्कि बेटा बनकर काम करने का दावा किया जा रहा है। उन्होंने हमेशा कहा कि मैं 5 सालों तक किसी को परेशान नहीं किया सिर्फ जनता की समस्याओं को सुलझाने के लिए प्रयासरत रहा हूं, लेकिन भाजपा की सरकार में मेरे उठाए मुद्दों को तरजीह नहीं मिली। यह चुनाव पांढुरना के विकास की दशा और दिशा तय करेगा मतदाता भाजपा और कांग्रेस में से किस पर विश्वास जताती है यह तो 17 नवंबर को होने वाले मतदान के बाद 3 दिसंबर को साफ हो जाएगा।