भगवान शिव का परिवार संपूर्ण भारत वर्ष के लिए एक आदर्श परिवार है

स्वतंत्र समय, ललितपुर

श्रीपवनपुत्र हनुमान मंदिर के विशाल प्रांगण में प्रारंभ होने वाली श्रीशिव महापुराण कथा के शुभारंभ में शुक्रवार को विशाल कलश यात्रा संपूर्ण नगर में निकाली गई, जिसमें अनेकों माताओं-बहनों ने मंगल कलश अपने सर पर धारण करके संपूर्ण नगर की परिक्रमा लगाई। विश्व कल्याण मिशन ट्रस्ट शाखा ललितपुर के सभी पदाधिकारी संपूर्ण कलश यात्रा में सारी व्यवस्थाओं को देखते हुए चलते रहे। स्वयं परम पूज्य चिन्मयानंद बापूजी सुंदर रथ पर सवार होकर सभी को दर्शन और अपना शुभ आशीष प्रदान कलश यात्रा के दौरान करते रहे।
नगर की अनेकों सामाजिक धार्मिक संगठनों ने जगह-जगह पर मंगल कलश यात्रा का शुभारंभ किया तो कलश यात्रा के दौरान बुंदेलखंड की पारंपरिक नृत्य झलक देखने को मिली ऐतिहासिक कलश यात्रा संपूर्ण बाजार से होते हुए वापस पवन मंदिर पहुंची, जहां पर प्रथम दिवस की शिव महापुराण कथा का भव्य शुभारंभ किया गया। महंतश्री रामलखनदास के द्वारा दीप प्रज्जवलित करते हुए कथा का शुभारंभ किया। परम पूज्य बापूजी ने प्रथम दिवस की कथा में कहा कि शिव परिवार से हमें मिलती है संगठित परिवार की शिक्षा। प्रथम दिन पूज्य बापू ने शिव पुराण की कथा का शुभारंभ करते हुए कहा कि भगवान शिव का परिवार संपूर्ण विश्व के लिए एक आदर्श परिवार का संकेत देता है। शिव परिवार में प्रत्येक पात्र एक दूसरे के विपरीत होने के पश्चात भी एक दूसरे में प्रेम और संगठित होकर रहते हैं, जहां भगवान शिव का वाहन नंदी है वही माता पार्वती का वाहन सिंह है लेकिन फिर भी दोनों में परस्पर प्रेम है। बापू ने कहा कि आज समाज में हम देख रहे हैं कितने लोग व्यस्त हो गए हैं कि पैसो के चक्कर में अपने अपने परिवारों का ध्यान भूल गए और परिवारों में बिखराव की स्थिति आ गई है। बापू ने कहा कि शिव परिवार का प्रत्येक सदस्य पूजनीय है। चाहे गणेशजी हो चाहे कार्तिकेय भगवान हो, मातारानी हो, भगवान भोलेनाथ हो अथवा भगवान शिव के गले का सर्प ही क्यों ना हो। कहा कि कथा सुनके हमारी तभी सफल होगी जब हमारे घर का प्रत्येक पात्र पूजनीय हो हम अपने बच्चों को ऐसे संस्कार दें कि वह सनातन धर्म का प्रचार करें सनातन धर्म से जुड़े और सनातन की अलग संपूर्ण विश्व में जगाए। प्रत्येक हिंदू सनातनी को चाहिए कि वह अपने मस्तक पर तिलक और हाथ में कलावा बांधे बापू ने व्यासपीठ के माध्यम से कहा कि कथा में जितने लोग आते हैं। सभी से कहूंगा कि वह कथा में तिलक जरूर लगाएं और अपने हाथ में कलावा जरूर बांधे जो हमारे हिंदू सनातन धर्म की पहचान है। हम उसको खोए नहीं और दूसरों को भी जगाए ताकि भारत पुन: विश्व गुरु की पदवी पर पहुंचे। हमारा सनातन धर्म वैश्विक है सभी का सम्मान जरूर करता है लेकिन दूसरे धर्म के लोग हमारी सरलता का फायदा उठाते हैं।