मतदान में हर वर्ग ने ली रुचि, पिछली बार से ज्यादा हुई वोटिंग

 स्वतंत्र समय, कटनी

क्या अपने खाते में 1250 रुपये आने की खुशी से लबरेज लाड़ली बहना ने भारतीय जनता पार्टी पर अपना लाड़ लुटा दिया या सूबे की सत्ता बदलने की चाह रखने वाले मतदाताओं की बढ़ी हुई तादात घर से बाहर निकली, यह सवाल वोटिंग के बाद से सबके जेहन में है। राजनैतिक पंडित कटनी जिले की तीन सीटों पर 2018 के इलेक्शन की तुलना में बढ़े लगभग 2 फीसद वोटों के असर को लेकर आंकलन में जुट गए हैं। प्रत्याशियों के दफ्तरों में भी वोटिंग पैटर्न और बढ़े हुए मतदान प्रतिशत को लेकर माथापच्ची जारी है। राजनैतिक नजरिये से कांग्रेस इसे बदलाव के पक्ष में दिया हुआ जनादेश मानकर उत्साहित है तो भाजपा के रणनीतिकारों की नजर में लाड़ली बहना ने मतदान केंद्र पहुंचकर अपना फर्ज निभा दिया। जिले की चारों सीटों पर मतदान का औसत 75.43 फीसद रहा, जो 2018 के मुकाबले लगभग डेढ़ प्रतिशत बढ़ा हुआ है। विधानसभा क्षेत्र बड़वारा में 73.05 प्रतिशत, विजयराघवगढ़ में 77 प्रतिशत, मुड़वारा में 70.58 प्रतिशत और बहोरीबंद में 81.33 प्रतिशत मतदान हुआ है। केवल बड़वारा विधानसभा में मतदान का प्रतिशत 2018 के समकक्ष ही रहा, किंतु तीनों सीटों पर लगभग 2 प्रतिशत वोटों का इजाफा हुआ है। आंकड़ों के मुताबिक 2018 में बड़वारा क्षेत्र में 73.32, विजयराघवगढ़ में 75.29, मुडवारा 68.38 तथा बहोरीबंद में 79.70 फीसद मतदान दर्ज किया गया था।चारों सीटों पर महिला मतदाताओं की बात की जाए तो बड़वारा में 72.86. विजयराघवगढ़ में 79.14, मुडवारा में 68.94 तथा बहोरीबंद 81.6 महिला मतदाताओं ने वोट डाले। महिला वोटर्स की संख्या को देखकर अनुमान लगाया जा सकता हैकि मतदान के प्रति इनमें उत्साह अधिक था। जिले में लाडली बहना का लाभ लेने वाली महिलाओं में से कितने फीसदी महिलाओं ने भाजपा को पसंद किया चुनाव के नतीजे इस तथ्य को प्रभावित करेंगे। उधर दूसरी ओर प्रदेश में 18 साल की भाजपा सरकार के खिलाफ चुनाव के पहले नजर आती रही एंटीइंकबेंसी ने कांग्रेस को कितना फायदा पहुंचाया यह भी परिणामों से जाहिर होगा। वैसे कांग्रेस के नेता इस बात को लेकर आश्वस्त है कि पूरे प्रदेश में बदलाव की लहर ने काम किया है, जबकि भाजपा के नेता मान रहे हैं कि लाडली बहना का मास्टर स्ट्रोक चल गया।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

चुनाव विश्लेषक बताते हैं कि बीजेपी ने चुनाव से पहले अपना टारगेट सेट किया था कि दोपहर 12 बजे तक 50 फीसदी के आंकड़ें को छूना है। कहीं न कहीं बीजेपी इसमें सफल होती दिखी। ग्राउंड पर महिलाओं की बढ़ी सं या मतदान केंद्रों पर नजर आई। इसका मतलब है कि लाड़ली बहना योजना ग्राउंड पर काम करती दिखी है, जिसकी वजह से ही जिले में मतदान का ग्राफ बढ़ता हुआ दिखा है। आमतौर पर माना जाता है कि जब चुनावों में मतदान की संख्या बढ़ती है तो लोग सत्ताधारी दल के खिलाफ वोट देते हैं। डाटा कहते हैं कि केवल एक दो परसेंट के वोटों का अंतर भी सीटों में बहुत उलटफेर कर देता। उधर दूसरी ओर विश्लेषक मानते हैं कि कम वोटिंग ये कहती है कि मतदाता उदासीन है और जो चल रहा है वो चलते रहने देना चाहता है जबकि ज्यादा वोटिंग का मतलब वह बदलाव चाहता है। कई बार मिक्स रुझान भी होता है। वैसे कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में चुनावों में वोट परसेंट बढ़ा था और उसका नतीजा वहां बदलाव के तौर पर देखने को मिला।