बैतूल जिले 81.80 प्रतिशत हुआ मतदान, केंद्रों में सुबह 6 बजे से लग गई थीं कतारें

 स्वतंत्र समय, बैतूल

विधानसभा निर्वाचन 2023 में मतदान दिवस पर बैतूल जिले की पांच विधानसभा सीटों पर 81.80 प्रतिशत मतदान किया गया। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी अमनबीर सिंह बैंस ने इसे युवा मतदाताओं का लोकतंत्र में बढ़ते विश्वास का परिचायक बताया। बैतूल जिले की पांच विधानसभा सीटों में सर्वाधिक 84.04 प्रतिशत मतदान भैंसदेही विधानसभा में किया गया। सबसे कम मतदान 78.09 प्रतिशत आमला विधानसभा में किया गया।

विधानसभा भैंसदेही

जिले की भैंसदेही विधानसभा सीट पर 84.04 प्रतिशत मतदान के साथ प्रथम स्थान पर रही। भैंसदेही में 1 लाख 12 हजार 561 पुरुष मतदाताओं ने मतदान किया। वहीं 1 लाख 8 हजार 410 महिला वर्ग की मतदाताओं ने वोट डाले। इस प्रकार कुल 2 लाख 20 हजार 971 मतदाताओं ने 333 मतदान केंद्र पर मतदान किया।

घोड़ाडोंगरी विधानसभा

घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्रमांक 132 में कुल 2 लाख 16 हजार 867 मतदाताओं ने मतदान किया। जिसमें से 1 लाख 9 हजार 635 पुरुष, 1 लाख 7 हजार 229 महिला एवं तीन अन्य मतदाताओं के साथ 83.43 प्रतिशत मतदान कर दूसरा स्थान रहा। इस प्रकार 333 मतदान केन्द्रों पर मतदान किया गया।

विधानसभा बैतूल

जिले की बैतूल विधानसभा सीट मतदान की दृष्टि से 81.84 प्रतिशत मतदान के साथ तीसरे स्थान पर रही। 293 मतदान केन्द्रों पर 2 लाख 8 हजार 596 मतदाताओं ने अपने अधिकारों का उपयोग कर मतदान किया। इसमें पुरुष वर्ग से 1 लाख 6 हजार 312 महिला वर्ग से 1 लाख 2 हजार 280 एवं 4 थर्ड जेंडर के मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया।

मुलताई विधानसभा

जिले की मुलताई विधानसभा सीट पर 1 लाख 86 हजार 041 मतदाताओं ने मतदान किया। इनमें 296 मतदान केन्द्रों पर पुरुष वर्ग से 95,723 एवं महिला वर्ग से 90,316 तथा थर्ड जेंडर के दो मतदाताओं ने मताधिकार का उपयोग किया। इस प्रकार कुल 80.85 प्रतिशत मतदान के साथ मुलताई चौथे स्थान पर रहा।

आमला विधानसभा

जिले की आमला विधानसभा सीट पर 78.09 प्रतिशत मतदान किया गया। इस सीट के 276 मतदान केन्द्रों पर 1,68,362 मतदाताओं ने मतदान किया। इसमें पुरुष वर्ग से 85838 महिला वर्ग से 82,523 एवं थर्ड जेंडर से एक मतदाता ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। मतदान में मतदाताओं द्वारा बढ़-चढकऱ भाग लेने का एक कारण जिला प्रशासन एवं निर्वाचन आयोग द्वारा स्वीप के माध्यम से मतदाता जागरूकता कार्यक्रमों के द्वारा मतदाताओं को निर्वाचन के लिए प्रोत्साहित किए जाने का भी परिणाम रहा है। पांच विधानसभा सीटों के लिए 49 प्रत्याशियों के भाग्य ईवीएम मशीनों में बंद हो गए हैं। मतदान का परिणाम किसी न किसी के पक्ष में तो होगा ही। कहा नहीं जा सकता परंतु मतदान के बड़े हुए प्रतिशत से आमजन का लोकतंत्र में विश्वास बढ़ता दिखाई देता है।