Kartik Purnima 2023: इस दिन मनाई जाएगी कार्तिक पूर्णिमा, जानें गंगा स्नान का सही महत्व और पूजा विधि

Kartik Purnima 2023 Date: हिंदू धार्मिक मान्यताओं के आधार पर कार्तिक पूर्णिमा का बेहद महत्वपूर्ण अर्थ बताया गया हैं। इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर बेहद अद्भुत संयोग बनने जा रहा है। दरअसल कार्तिक मास की पूर्णिमा को कार्तिकी पूर्णिमा भी कहा जाता है। किंतु उस दिन कृतिका नक्षत्र होने से खास संयोग बन रहा है जिसके चलते इसे महाकार्तिकी पूर्णिमा भी कहा जाएगा और इसके फल भी बेहद शुभ होते हैं। जिसपर कृतिका नक्षत्र का साथ दोपहर 1:35 तक मिलेगा उसके बाद रोहिणी नक्षत्र लग जाएंगी। वैसे भरणी होने पर भी खास और शुभ फलों की प्राप्ति होती है, जबकि रोहिणी नक्षत्र होने पर इसका खास महत्व बताया गया है। इस बार कार्तिक पूर्णिमा जिसे कुछ लोग कतकी भी कहते हैं, 27 नवंबर सोमवार को बड़े धूमधाम से मनाई जाएगी।

त्रिपुरी पूर्णिमा

इसी दिन महादेव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था, इसीलिए इसे त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहते हैं। मत्स्य पुराण के मुताबिक इस दिन सायंकाल के वक्त मत्स्यावतार हुआ था। इस दिन गंगा स्नान के बाद दीपदान करना बेहद जरूरी बताया गया हैं। ऐसा करने से 10 यज्ञों के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन ब्राह्मणों को पूरे सम्मान भाव के साथ निमंत्रित कर भोजन और दान दक्षिणा करना अत्यंत जरूरी बताया गया हैं। यहां गरीबों को भी दान दक्षिणा अवश्य ही देना चाहिए। सायंकाल में त्रिपुरोत्सव करके दीपदान करने से पुनर्जन्मादि का पाप नहीं होता है। कृतिका नक्षत्र होने के चलते विश्व स्वामी का दर्शन करने मात्र से ब्राह्मण सात जन्मों तक वेदपाठी और मूल्यवान बना रहता है। इस दिन चंद्रोदय होने पर शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा कृतिकाओं का अवश्य ही पूजन कीर्तन करना चाहिए।

कैसे करें इस दिन पूजा

वहीं कार्तिक पूर्णिमा की रात के वक्त उपवास करके वृषभ का दान करने से भगवान शंकर जी की असीम कृपा मिलती है। यहां गाय हाथी घोड़ा रथ और घी का दान करने वाले मनुष्य की धन संपदा बढ़ती है। जो लोग पूर्णिमा का उपवास करना चाहते हैं उन्हें इसका प्रारंभ कार्तिक पूर्णमासी से ही करना चाहिए। इस दिन से पूर्णिमा व्रत प्रारंभ कर फिर हर पूर्णिमा में व्रत और रतजगा करते हुए भजन साधना करने से सभी प्रकार की मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं।