स्वतंत्र समय, आमला
नगर के क्राइस्ट-द-किंग स्कूल की भूमि जो कि रेलवे के अधीन बताई जा रही है। प्राइवेट संस्था को रेलवे ने भूमि लीज पर दी थी। सूत्रों की माने तो रेलवे द्वारा उक्त भूमि में नर्सरी संचलित करने के लिए भूमि लीज पर दी गई थी लेकिन प्राइवेट संस्था द्वारा रेलवे की भूमि को गुमराह करके उक्त भूमि पर स्कूल संचलित कर रखा है। जबकि राज्य शासन द्वारा सीएम राइज स्कूल का निर्माण किया जाना है लेकिन भूमि पर्याप्त नही होने के कारण स्कूल का निर्माण कार्य शरू नही हो पा रहा है। बताया जा रहा है कि क्राइस्ट द किंग स्कूल की दो एकड़ भूमि की लीज को कलेक्टर ने निरस्त कर दी है। लेकिन उसके बाद भी सीएम राइज स्कूल के निर्माण में भूमि की कमी पड़ रही है।
ऐसे में क्राइस्ट द किंग स्कूल की भूमि की लीज को निरस्त किया जाना चाहिए लेकिन शासन द्वारा भूमि पर्याप्त नही होने पर भी सीएम राइज स्कूल के भवन के निर्माण का टेंडर दे दिया गया है। जबकि पर्याप्त भूमि नही है। वही सीएम राइज स्कूल के लिए तीन द्वार बनाए जाना है । द्वार के लिए भी भूमि की कमी पड़ रही है ऐसे में क्राइस्ट द किंग स्कूल की भूमि की लीज को निरस्त करने की मांग उठने लगी है।
बिना रास्ते के कैसे संचलित किया जा रहा है स्कूल
प्राइवेट स्कूल खोलने के लिए सबसे पहले संस्था की भूमि होना अनिवार्य है। वही भवन के साथ साथ बच्चों के आने जाने के लिए रास्ते का होना भी अनिवार्य है।लेकिन क्राइस्ट द किंग स्कूल जहाँ संचलित किया जा रहा है। वहा आने-जाने के लिए रास्ता ही नही है। जिस भूमि से बच्चे आना-जाना कर रहे है वो भी रेलवे के अधीन है ऐसे में स्कूल के पास आने-जाने के लिए रास्ता ही नही है ऐसे में राज्य शासन द्वारा स्कूल को कैसे मान्यता दी गई है। कही ना कही शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के चलते नियम विरुद्ध स्कूल को मान्यता दे दी गई है।
स्कूल की मान्यता रद्द करने की मांग
क्राईस्ट-द-किंग स्कूल नियम विरुद्ध संचलित किया जा रहा है। क्योंकि शिक्षा का अधिकार कानून के तहत स्कूल संचलित नही किया जा रहा है। जबकि स्कूल में आने-जाने का सुलभ रास्ता ही नही है। ऐसे में स्कूल को किस आधार पर मान्यता दी गई है सवाल के घरे में मान्यता आ रही है। लेकिन नियम विरुद्ध मान्यता देने के बाद भी शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों के द्वारा कोई कार्यवाही क्यों नही की जा रही है। जागरूक लोगो का कहना है कि प्राइवेट संस्था को नियमो का पालन करना चाहिए लेकिन यहां तो अधिकतर स्कूल नियम के विरुद्ध ही संचालित किए जा रहे है और शिक्षा विभाग के आला अधिकारी भी कोई कार्यवाही नही कर रहे है।