Guruvaar Vrat 2023: इस तरह करना चाहिए गुरुवार का व्रत प्रारंभ, जानें कब और कितने उपवास रखना होता हैं बेहद शुभ, मिलती हैं श्री हरि विष्णु की विशेष कृपा

Guruvar Vrat Lord Vishnu Puja Niyam and Significance: मार्गशीर्ष मास के पहले गुरुवार अर्थात बृहस्पतिवार को दिन हिंदू पंचांग के अनुसार बृहस्पतिवार के दिन श्री नारायण का उपवास और पूजन कीर्तन और आराधना का विशेष अधिक महत्व बताया गया है इसलिए इस दिन भगवान नारायण और बृहस्पति देव को पूर्णतया अर्पित होता है। जहां उस शख्स को वीरवार के दिन श्री नारायण का उपवास, पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ करता है उस पर धन की लक्ष्मी शीघ्र खुश होकर जातक के धन धान्य के भंडार भर जाते हैं, और उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है जिससे उसका गृह धन-संपदा और सुख-शांति से लबालब रहता है।

इसके साथ इस उपवास को रखने के बाद से यह ग्रह भी काफी ज्यादा प्रबल होता है। इसी के साथ जो मनुष्य गुरुवार का उपवास रखता है उसका वैवाहिक जीवन सुखमय बना रहता हैं। जिस मनुष्य के विवाह होने में या फिर रिश्ता तय होने या जुड़ने किसी भी तरह की दिक्कत आ रही हैं उनके लिए वीरवार का व्रत रखना अत्यंत हितकारी माना जाता है। जहां अविवाहित युवक और युवक हेतु उन्हें अपनी इच्छानुसार वर पाने के लिए इस उपवास को रखती हैं। यदि आप भी वीरवार का उपवास रखनेका मनोरथ रखते हैं।

शुभ और मंगल होता है 16 गुरुवार व्रत

यदि आपका मन है तो वीरवार के उपवास आप 1, 3, 5, 7, एक , आजीवन या प्रण के अनुरूप भी रख सकते हैं। लेकिन जैसे 16 सोमवार का व्रत रखना बेहद शुभ होता है उसी तरह 16 वीरवार उपवास भी अत्याधिक शुभ और अत्यंत स्पेशल माना जाता है। यदि आप 16 वीरवार उपवास रख रहे हैं तो 17 वें गुरुवार पर इसका विधि विधान के साथ इसका उद्यापन जरूर करें। यहां यदि कोई मनुष्य वीरवार व्रत ले रहा हैं तो वो निरंतर 16 गुरुवार का फास्ट भी रख सकते हैं। वहीं महिलाएं राजोधर्म के उपरांत व्रत छोड़ सकती हैं और फिर 8 दिन बाद साफ होने के बाद व्रत को पूर्ण कर सकती हैं।

गुरुवार व्रत कब करें प्रारंभ

यहां किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम वीरवार से आप इस उपवास का प्रारंभ कर सकते हैं। वहीं यदि आप अनुराधा नक्षत्र से यह व्रत का धारण करे। वीरवार से व्रत शुरू करना बेहद ज्यादा शुभ तो ये बेहद शुभकारी माना जाता है और भगवान सत्यनारायण आप पर अपनी विशेष कृपा दृष्टि बरसाते है। यहां आप गौर फरमाए की पौष मास में गुरुवार का व्रत भूलकर भी प्रारंभ न करें। लेकिन यदि आपने पूर्व से ही उपवास किया हुआ है तो आप पौष महीने में ही व्रत और पूजन कर सकते हैं।