हुकुमचंद का हक: चुनाव आयोग के ग्रीन सिग्नल के बाद सुनवाई आज

स्वतंत्र समय, इंदौर

हुकुमचंद मिल के मजदूरों के लिए बुधवार को हाई कोर्ट में हुई सुनवाई के बाद बड़ी खुशी अगले ही दिन यानी गुरुवार को मिल गई। हाई कोर्ट ने बुधावार को सुनवाई के दौरान प्रमुख सचिव को तलब किया था। वहीं सुनवाई की तारीख 5 दिसंबर तय करते हुए भुगतान करने की योजना हाउसिंग बोर्ड से मांगी थी। इस बीच चुनाव आयोग ने 30 दिसंबर को ही मामले में अपनी अनापत्ति जारी कर दी, इसी के साथ मजदूरों के बकाया के भुगतान का रास्ता साफ हो गया है। अब कोर्ट इस मामले में हाई कोर्ट 1 दिसंबर यानी शुक्रवार को सुनवाई करेगी। हुकुमचंद मिल के श्रमिकों व लेनदारों के बकाया भुगतान मामले में चुनाव आयोग ने सुनवाई की अनुमति दे दी है। इस मामले में हाई कोर्ट ने पहले सुनवाई के लिए 5 दिसंबर की तारीख तय की थी। लेकिन इस बीच 3 दिसम्बर को मतगणना और फिर उसके बाद नई सरकार बनने में देरी होने के कारण श्रमिकों ने मामले में अर्जेंट सुनवाई दायर की। इस पर हाई कोर्ट ने 1 दिसंबर को सुनवाई करना तय किया है।

आयोग की अनापत्ति, प्रमुख सचिव को सूचना भेजी

श्रमिकों की ओर से पैरवी कर रहे एडवोकेट गिरीश पटवर्धन ने बताया कि चुनाव आयोग से अनापत्ति आने पर इसकी सूचना नगरीय प्रशासन के प्रमुख सचिव को भी भेज दी गई थी। बुधवार को इस मामले में हाई कोर्ट ने प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई को अवमानना नोटिस जारी करते हुए 12 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के निर्देश दिए थे।

हाउसिंग बोर्ड ने लिखा था चुनाव आयोग को पत्र, कोर्ट ने जताई थी नाराजगी

इसके पूर्व 20 अक्टूबर को हाई कोर्ट ने आदेश जारी कर दो हफ्ते में मजदूरों सहित अन्य का बकाया भुगतान करने की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए थे। हालांकि कोई काम नहीं किया गया। सुनवाई में यह बात सामने आई कि 9 नवंबर के उक्त आदेश के बाद हाउसिंग बोर्ड ने 23 नवंबर को चुनाव आयोग को पत्र लिखा। कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए प्रमुख सचिव को तलब कर अवमानना नोटिस जारी किया। साथ ही चुनाव आयोग से भी भुगतान की अनुमति के बारे में निर्देश प्राप्त करने के आदेश आयोग के एडवोकेट को दिए।

यह विकल्प भी रखा था

हाई कोर्ट ने सरकार को 28 नवंबर तक का समय दिया था और निर्देश दिया था कि यदि इस अवधि तक भुगतान को लेकर वह चुनाव आयोग की अनुमति से लेकर बोर्ड बैठक और अन्य औपचारिक प्रक्रिया पूरा करने में असफल रहता है तो कोर्ट 20 अक्टूबर को जारी आदेश वापस ले लेगी और सरकार/बोर्ड को कोई और अवसर नहीं देते हुए मिल की जमीन कांपनीस एक्ट के मुताबिक मिल की संपत्ति नीलाम की जाएगी