मतगणना का दिन नजदीक आते-आते बढऩे लगी प्रत्याशियों की धडक़नें

स्वतंत्र समय, ग्वालियर

मतगणना की तिथि ज्यों-ज्यों नगजदीक आती जा रही है, दावेदारों की धडक़नें भी बढ़ती जा रही है। एक माह तक चले चुनावी घमासान में दावेदारों ने प्रचार अभियान में रात दिन एक कर दिए। उसके बाद 17 नबम्वर को मतदाताओं ने मतदान मे ंअभूतपूर्व रुप से शामिल होकर प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला मतपेटियों में बंद कर दिया। 3 दिसम्बर को होने वाली मतगणना के बाद ईवीएम मशीनों से किस्मत का राज उजागर होगा। अभी स्वयं प्रत्याशियों से लेकर उनके समर्थक केवल कयासों के दौर में जी रहे हैं। प्रत्येक पोलिंग बूथों पर हुए मतदान के आंकडे एकत्रित कर अपनी अपनी जीत के गुणा भाग किये जा रहे है। तो कुछ प्रत्याशियों के द्वारा अपनी जीत को सुनिश्चित करने के लिए धार्मिक स्थानो पर पहुंचक र मन्नत मांगी जा रही है। दावेदारो ंके साथ उनके समर्थक भी अपने प्रत्याशियों की जीत के लिए भी आस्था के केन्द्रों पर मन्नत मांगते हुूए दिखाई दे रहे है।
मतदान का प्रतिशत पिछले चुनावों की अपेक्षा इस बार अधिक रहने से प्रत्याशी इसे अपने पक्ष में होना मानकर चल रहे है। जीत का सेहरा किस के सिर बंधने वाला है यह तो मतगणना होने के बाद ही सामने आयेगा। लेकिन चौराहों, तिराहों पर स्थित चाय की दुकानों,पान बीडी की दुकानों पर लगने वाली भीड में भी चुनावी चर्चा शामिल रहती है। लोग कयासों में कभी फलांं की जीत तय बताते है, तो कुछ किसी अन्य की जीत होनाा तय मानते हैं।
जिले की सभी विधान सीटों पर मुकाबला कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशियों के बीच ही माना जा रहा है। लेकिन कुछ सीटों पर बसपा सपा और आप के प्रत्याशियों के द्वारा मतों को प्रभावित कर जीत के दावेदारों के समीकरण भी गडबडाए जा सकते है। ग्वालियर की शहरी विधानसभा सीटों ग्वालियर पूर्व, ग्वालियर दक्षिण और ग्वालियर सीटों पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही है। अन्य दलों के प्रत्याशी यहां परिणाम प्रभावित करने की स्थिति में दिखाई नहीं दिए। जबकि जिले की ग्रामीणों सीटों डबरा सुरक्षित, भितरवार और ग्वालियर ग्रामीण पर मतदान प्रतिशत बढऩे से साफ हो गया है कि दन सीटों पर परिणाम चौेकाने वाले आयेंगे। ग्वालियर ग्रामीण सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है यहां बसपा प्रत्याशी परिणाम को प्रभावित कर सकता है। यही हाल ड़बरा सुरक्षित सीट का भी है। इस सीट पर भी बसपा प्रत्याशी परिणाम को प्रभावित करने की स्थिति में है। जबकि भितरवार सीट पर भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई दिखाई दे रही है। सीट पर कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशियों के बीच कांटे का मुकाबला माना जा रहा है। इस सीट पर जिले में अन्य सीटों के मुकाबले 74 फीसदी से भी अधिक मतदान हुआ है। यह तो परिणाम आने पर ही सामने आयेगा कि बढ़े हुए मतदान को किस प्रत्याशी द्वारा अपने पक्ष में मोडा गया है। बहरहाल राजनीतिक गलियारे में चल रहे कयासों और संभावनाओं के दौर के बीच यह माना जा रहा है कि जिले की छह सीटों के परिणाम में भाजपा और कांग्रेस के बीच फिफ्टी- फिफ्टी का बंटबारा होता दिखाई दे रहा है। गत वर्ष हुए उप चुनाव के बाद से इन सीटों के परिणाम में कांगे्रस को छह में से चार सीटैं प्राप्त हुई थी जबकि भाजपा को 2 सीटें ही प्राप्त हो सकीं।
वर्ष 2018 में हुये विधानसभा चुनाव में जिले की छह में से पांच सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी। भाजपा के हिस्से में एक मात्र सीट ग्वालियर ग्रामीण आयी थी। लेकिन उसके बाद हुए दलबदल के घटनाक्रम के बाद उपचुनाव में मामला एक दम उलट हो गया। डबरा सुरक्षित और ग्वालियर पूर्व से कांग्रेस से जीतने वाले र्पत्याशियों के द्वारा कांग्रेस छोड कर भाजपा का दामन थाम लिया तो उप चुनाव में इन दोंनो दलबदलुओं को जनता ने सबक सिखा दिया और दोनों सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों को विजय दिला दी। इसलिये माना जा रहा है कि इस बार का मुकाबला फिफ्टी- फिफ्टी रहने वाला हो सकता है।