ढोल की पोल, भाजपा-कांग्रेस की गले की बनी हड्डीः एग्जिट पोल के बाद इंदौर जिले की सीट पर आकलन का दौर

स्वतंत्र समय, इंदौर

मध्यप्रदेश में 17 नवंबर को हुए चुनावों के बाद अभी तक संशय की स्थिति साफ नहीं हुई है। गुरुवार शाम आए एग्जिट पोल में अधिकांश सर्वे में अब भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाने के कयास लगाए जा रहे हैं, जबकि प्री-पोल में कांग्रेस की सरकार बनाना बताया जा रहा था। हालांकि दोनों ही दल अपनी-अपनी स्थिति मजबूत बता रहे हैं। इस स्थिति के बाद रिजल्ट के समीकरण बिगडऩे की उम्मीद है। अब इंदौर जिले की नौ विधानसभा सीटों पर जीत-हार का गणित लगाना शुरू हो चुका है। वैसे स्थिति 3 दिसंबर को साफ हो जाएगी लेकिन उससे पहले भाजपा-कांग्रेस के दिग्गजों में संशय की स्थिति पैदा हो गई है।

चुनावों के पहले से ही इस पर रिजल्ट कांग्रेस के पक्ष में होने की बात कही जा रही थी। कमलनाथ व दिग्विजय सिंह उसी आधार पर अपनी तैयारियां कर रहे थे लेकिन एक्जिट पोल के अधिकांश नतीजों ने कांग्रेस को पीछे बता दिया है। कुछ ने कांग्रेस को आगे बताया। इससे संशय की स्थिति बन गई है। उधर भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में अधिकांश एग्जिट पोल जाने के बाद मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान सहित अधिकांश नेता फिर से सक्रिय हो गए हैं।

आठ  वर्तमान विधायक मैदान में

एग्जिट पोल में उलटफेर की आशंका के बाद इंदौर जिले की नौ सीट पर दोनों की दल अपनी-अपनी जीत-हार के दावे करते नजर आ रहे हैं। निश्चित ही परिणाम में उलटफेर हुआ तो इन सीटों के परिणाम भी बदल सकते हैं। जिले की कुल नौ विधानसभा सीट पर आठ में वर्तमान विधायक चुनाव लड़ रहे हैं। केवल विधानसभा क्रमांक तीन में भाजपा के आकाश विजयवर्गीय का टिकट कटा है। विधानसभा एक में कांग्रेस के संजय शुक्ला, दो में भाजपा के रमेश मेंदोला, चार में भाजपा की मालिनी गौड़, पांच में भाजपा के महेंद्र हार्डिया, राऊ में कांग्रेस के जीतू पटवारी, महू में भाजपा की उषा ठाकुर, सांवेर में भाजपा के तुलसी सिलावट, देपालपुर में कांग्रेस के विशाल पटेल फिर से मैदान में हैं।

दोनों दलों को नई उम्मीद

कांग्रेस को अपनी सीटें बचाने के साथ ही विधानसभा तीन और पांच से भी उम्मीद है। विधानसभा तीन में पिंटू जोशी के जीतने के कयास लगाए जा रहे हैं तो विधानसभा पांच में सत्यनारायण पटेल की जीत के दावे किए जा रहे हैं। उधर भाजपा विधानसभा एक में अपने कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय की जीत पक्की मानकर चल रही है। अगर यह सही हुआ तो दोनों ही पार्टियों के एक-एक विधायक हारेंगे। वहीं, अगर विधानसभा क्रमांक तीन कांग्रेस जीतती है और दूसरी सीटों पर कोई परिवर्तन नहीं आता है तो इस बार कांग्रेस की एक सीट बढ़ जाएगी। वहीं विधानसभा एक के नतीजे कैलाश विजयवर्गीय के पक्ष में आने पर यह हिसाब बराबर हो जाएगा। उसके बाद अगर पांच नंबर कांग्रेस जीतती है तो वो फिर प्लस में रहेगी। हालांकि पिछले चुनावों में उसके पास सांवेर की सीट भी थी लेकिन तुलसी सिलावट के भाजपा में जाने के बाद यह सीट उपचुनाव में भाजपा के पास पहुंच गई थी। महेंद्र मंडोरिया ने भी किसान संदीप की प्रशंसा करते हुए कहा, कि मेरी वर्षों की सर्विस में यह पहली बार ही देखने को मिला है। निश्चित तौर पर संदीप जैसे किसान सम्मान के हकदार है। उनकी ईमानदारी अन्य लोगों को भी प्रेरित करती रहेगी।

इधर भारतीय किसान संघ के पूर्व जिला अध्यक्ष नागर ने कहा, कि हमारा किसान हमेशा से ही ईमानदार रहा हैै। वह किसी का हक नहीं छीनता। संदीप ने ईमानदारी दिखाते हुए रुपए लौटाए, लेकिन इसी फर्म ने एक ट्रॉली से सिर्फ 6 बोरी खरीदकर पूरा माल वापस कर दिया। एक बार नीलामी होने पर किसान का माल खरीदने के लिए संबंधित फर्म बाध्य है। जिस फर्म को संदीप ने एक लाख रुपए लौटाए, उसी ने पूरा माल नहीं खरीदा। हमारे किसान ने तो रुपए लौटाकर अपना फर्ज निभाया, अब मंडी प्रशासन को भी पूरा माल नहीं खरीदने पर संबंधित फर्म पर मंडी अधिनियम के अंतर्गत कार्रवाई करना चाहिए। श्री नागर ने कहा कि अगर तीन दिनों में संबंधित फर्म पर कार्रवाई नहीं होती है तो हम आंदोलन करेंगे।

महू-देपालपुर में किस करवट बैठेगा परिणाम

सबसे ज्यादा चर्चा महू और देपालपुर विधानसभा क्षेत्र की है। यहां पर बागियों के कारण मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है। इनके जीतने की उम्मीद तो नहीं है लेकिन इनके दूसरे प्रत्याशियों के खेल बिगाडऩे की पूरी उम्मीद है। देपालपुर में भाजपा से जुड़े रहे राजेन्द्र चौधरी मैदान में हैं तो महू में कांग्रेस के पूर्व विधायक अंतरसिंह दरबार खम ठोंक रहे हैं। इन दोनों ने चुनाव भी अच्छे तरीके से अंतिम समय तक लड़ा है। इन दोनों के अच्छे वोट लाने की बात कही जा रही है। अब यह किस दल को नुकसान पहुंचाएंगे, यह तो रिजल्ट आने पर ही पता चल पाएगा।