स्वतंत्र समय, बरेली
17 नवम्बर मतदान के बाद और पूरे चुनाव के दौरान उदयपुरा-बरेली विधानसभा क्षैत्र में भाजपा, कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही थी। 30 नवम्बर की शाम को एग्जिट पोल टीवी पर आते ही जिस प्रकार भाजपा सरकार की प्रदेश में वापसी के समाचार आए, उससे भाजपा के नेता, कार्यकर्ता उत्साहित नजर आने लगे है। वही कांग्रेसी नेता कार्यकर्ता 3 दिसम्बर मतगणना के परिणाम आने का इंतजार करने का कहते नजर आ रहे है। जब विधानसभा क्षैत्र में 81 प्रतिशत से अधिक रिकार्ड मतदान हुआ, तभी से यह कहा जा रहा था, कि शिवराज सिंह चौहान द्वारा प्रारंभ की गई लाड़ली बहना योजना और महिनों के बैंक खातो में प्रतिमाह राशि आने से महिलाओं ने भाजपा के पक्ष में हवा बना कर जमकर मतदान किया।
एक बार जीत हार की परंपरा
2003 के विधानसभा चुनावों से यह परंपरा बनी हुई है। जो एक बार विधायक चुना गया वह यदि दूसरी बार चुनाव लडा तो हार गया। यह भी परंपरा बनी है, कि एक बार भाजपा तो एक बार कांग्रेस विधानसभा चुनाव जीतने में सफल होती है। 2003 के चुनाव में भाजपा के भगवत सिंह पटैल विधायक चुने गए थे। 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के भगवान सिंह राजपूत चुनाव जीतने में सफल हुए। 2013 के विधानसभा चुनाव में भगवान सिंह राजपूत भाजपा के रामकिशन पटैल से पराजित हो गए। 2018 के चुनाव में भाजपा के रामकिशन पटैल कांग्रेस के देवेन्द्र पटैल से पराजित हो गए। 2023 में भाजपा के युवा नये प्रत्याशी नरेन्द्र शिवाजी पटैल के बीच चुनाव संघर्ष रहा। 3 दिसम्बर को मतगणना परिणाम आने पर यह स्पष्ट होगा कि पिछले 20 वर्षो से चली आ रही परंपरा बनी रहती है, या टूटती है। भाजपा-कांग्रेस के नेताओं, कार्यकर्ताओं ही नहीं क्षैत्र के मतदाताओं को भी बेसब्री से इंतजार बना हुआ है।
लाड़ली बहनों का असर
उदयपुरा-बरेली विधानसभा क्षैत्र में 261320 मतदाता थे। जिनमें से 213787 द्वारा मतदान किया गया। जिसमें से 98 हजार से अधिक महिला मतदाताओं ने मतदान किया। 84 प्रतिशत से अधिक और 78 प्रतिशत से अधिक महिलाओं ने जमकर मतदान किया गया। पहली बार 308 में से 207 मतदान केन्द्रों पर 80 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ। विधानसभा में 81 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ तो रिकार्ड बन गया है। बढा मतदान भाजपा के पक्ष में माना जा रहा है।