स्वतंत्र समय, शहडोल
जिले की जयसिंहनगर, जैतपुर, ब्यौहारी सभी तीन विधानसभा सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों ने भारी मतों से जीत हासिल की है। 3 दिसंबर को हुई मतगणना के अनुसार जो नतीजा सामने आया उसमें कोई परिवर्तन दिखाई नहीं पड़ा है। जिले में पूर्व की भांति इस बार भी कांग्रेस प्रत्याशी लम्बी दूरी से पिछड़ गए। नतीजों ने साफ जता दिया कि चुनाव के लिए जहां प्रदेश का भाजपा शासन प्राणपण से जुटा, सीएम ने बार बार यात्राएं कीं वहीं कांग्रेस के पास अपनी केई ठोस तैयारी और योजना नहीं थी। इसके अलावा जनता तक कांग्रेस प्रत्याशी की पहुंच भी कम से कम से रही।
नतीजों पर एक नजर
शहडोल विधानसभा सीटों के नतीजे इस तरह रहे जयसिंहनगर सीट से भाजपा प्रत्याशी मनीषा सिंह ने 1 लाख 14 हजार 442 वोट प्राप्त किया जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के नरेन्द्र मराबी ने 75 हजार 667 वोट प्राप्त किए। इस तरह 38775 वोटों से भाजपा प्रत्याशी ने जीत हासिल की। जैतपुर विधानसीट से भाजपा के जयसिंह मराबी को 1 लाख 6 हजार 761 वोट मिले वहीं कांग्रेस की उमा धुर्वे को 74 हजार 918 वोट मिले। इस तरह 31843 वोटों से भाजपा प्रत्याशी की जीत हुई। ब्यौहारी से भाजपा प्रत्याशी शरद कोल ने 1 लाख 2 हजार 542 वोट मिले जबकि कांग्रेस प्रत्याशी राम लखन सिंह को 75 हजार 274 वोट प्राप्त हुए। इस तरह 27 हजार 268 मतों से भाजपा प्रत्याशी की जीत हुई।
एक अभिशाप भी
जिले में प्रभारी मंत्री रह चुके रामखिलावन पटेल को भारी मतें से हार का सामना करना पड़ा; जिले में कई समाजों को तोडऩे का इन्हेने काम किया था। जिसका लोगों पर तो अधिक असर नहीं हुआ लेकिन उसका खामियाजा अंतत: श्री पटेल के भुगतना पड़ा।उन्ही के विधानसभा में उन्हे अपमानजनक पराजय का मुंह देखना पड़ा। सतना जिले की अमरपाटन सीट से उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी ने उन्हे भारी मतें से पराजित किया। जबकि आसपास की सभी विधानसभा सीटों पर भाजपा ने कब्जा किया है।
चाणक्य नीति सफल रही
नरेन्द्र मोदी, अमित शाह और शिवराज सिंह चौहान की चाणक्य नीतियों ने शहडोल की तीनो विधान सभाओं सहित पूरे प्रदेश में भारी मत हासिल कर अपनी विजय का परचम लहरा दिया है। समय समय पर केन्द्र व प्रदेश सरकारों द्वारा उठाए गए कदम काफी अनुकूल साबित हुए। प्रदेश में लाड़ली बहना, किसान सम्मान निधि एवं हिन्दुत्व की भावना ने पूरे प्रदेश में भाजपा को भारी मतों से विजय के गोल तक पहुंचा दिया। जबकि दूसरी ओर कांग्रेस अपनी नीतियों का स्पष्ट रूप से न खुलासा कर सकी और न जनता तक उन्हे पहुंचा सकी।
इसलिए हार गई कांग्रेस
परिवर्तन की लहर को कांग्रेस के नेताओं ने जीत स्वीकार कर ली थी और उन्हे अहम सा हो गया था कि नतीजे उन्ही के पाले में आने वाले हैं। जनता ने उनके अहम को तत्काल खारिज कर दिया। चुनाव के कुछ समय पूर्व से सुना जाने वाला परिवर्तन का यह जुमला केवल भ्रामक प्रचार ही था। कांग्रेस इस बात को सुनकर खुश होती रही कि अब समय परिवर्तन का आ गया है, अब तो विजय उन्ही की होनी है। इसलिए उन्होने अधिक मेहनत करना जरूरी नहीं समझा। इसी भूल से कांग्रेस गच्चा खा गई। अब कांग्रेस के ही कुछ लेग यह बता रहे हैं कि चुनाव में कहां कहां चूक हुई है।
साझा प्रयास हुआ सफल
भाजपा जिला अध्यक्ष कमल प्रताप सिंह ने नतीजों को लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भाजपा के पक्ष में जो नतीजे सामने आए हैं वे केन्द्रीय नेतृत्व, प्रदेश नेतृत्व सहित जिले के सभी भाजपा पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओं के सच्चे प्रयासों के सुपरिणाम हैं। तीनो सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी इसी कारण अपनी जीत दर्ज करा सके हैं। भाजपा प्रत्याशियों की हुई जीत से विकास को गति मिल सकेगी।