‘अगर गुजरात का फार्मूला चला तो मंत्री पद के लिए नए चेहरों को मिल सकता है मौका’
स्वतंत्र समय रिपोर्टर, इंदौर
प्रदेश में भाजपा का मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा, यह संभवत: रविवार को तय हो जाएगा। इंदौर के लोगों में मुख्यमंत्री के साथ ही इंदौरी मंत्रियों की ज्यादा चर्चा है। इंदौर जिले में भारतीय जनता पार्टी को पूरी नौ सीट पर मिली और जीत के बाद सात विधायक ऐसे हैं, जो मंत्री पद के दावेदार हैं। यह तय है कि इंदौरी मंत्री भी मुख्यमंत्री के चेहरे और पार्टी के बनाए फॉर्मूले के आधार पर तय होंगे।
मुख्यमंत्री की दौड़ में राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का नाम अभी बना हुआ है, वहीं अगर गुजरात फार्मूला चला तो मंत्रीपद पर नए चेहरे आएंगे, अन्यथा कम से कम तीन मंत्री तो सरकार में इंदौर जिले का प्रतिनिधित्व करेंगे। पिछली बार दो ही मंत्री थे और शहर के किसी को भी प्रतिनिधित्व नहीं मिला था। इस बार भाजपा को नगर की पूरी पांच के साथ ग्रामीण क्षेत्र की भी पूरी चार सीट मिली है। इंदौर एक से कैलाश विजयवर्गीय, दो से रमेश मेंदोला, तीन से गोलू शुक्ला, चार से मालिनी गौड़ व पांच से महेन्द्र हार्डिया से विधायक बने हैं तो सांवेर से तुलसीराम सिलावट, महू से उषा ठाकुर, राऊ से मधु वर्मा और देपालपुर से मनोज पटेल फिर से विधायक बने हैं। इंदौर से प्रदेश सरकार में कौन मंत्री बनेगा, इसमें केवल एक नाम ही तय नजर आता है, वो है कैलाश विजयवर्गीय। बाकी नाम मुख्यमंत्री का चेहरा तय होने के बाद ही तय होगा। जो भी मुख्यमंत्री होगा, वो पार्टी के फार्मूले के हिसाब से इंदौर से नाम तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। अभी पार्टी किस लाइन पर काम करेगी, यह साफ नहीं हैं।
गोलू-मनोज दौड़ से हैं बाहर
अगर गुजरात फॉर्मूले पर काम किया गया तो मंत्री चेहरे नए होंगे। इसमें वर्तमान मंत्री तुलसीराम सिलावट व उषा ठाकुर का नाम हटकर फिर बदलेगा। इस लिस्ट में से केवल गोलू शुक्ला पहली बार विधायक बने हैं, इस कारण उनका दावा खत्म हो जाता है। वैसे भी उनके पास इंदौर विकास प्राधिकरण में उपाध्यक्ष पद है, जो मंत्री का दर्जा प्राप्त है। दूसरा मनोज पटेल है, जो युवा है इस कारण उनका दावा भी ठोस नहीं है। ग्रामीण सीट पर बाकी तीनों उम्मीदवार वरिष्ठ हैं, इस कारण उन्हें भी दावेदारों से बाहर ही माना जाएगा।
शहरी सीट से कैलाशजी तय
अभी सरकार में दोनों मंत्री ग्रामीण क्षेत्र से थे। इसमें सांवेर से तुलसीराम सिलावट और महू से उषा ठाकुर सरकार में मंत्री थे। इस बार शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों से प्रतिनिधित्व मिलने की आशा है। इस बार शहरी सीट से कैलाश विजयवर्गीय को बड़ा पद मिलना तय है। वैसे तो वो मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं लेकिन अगर किसी दूसरे को मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है, जिसकी पोजिशन में सरकार में नंबर टू की होती है। इसके अतिरिक्त गृह मंत्री जैसा तगड़ा पोर्टफोलियो भी मिल सकता है। वैसे भी पिछले गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा चुनाव हार चुके हैं। कैलाशजी काफी अनुभवी भी हैं और ऐसा पद दिया जा सकता है। कुल मिलाकर एक मंत्रीपद तो कैलाशजी के लिए तय हैं।
महिला मंत्री में मालिनी या उषा
अगर फॉमूले को देखें तो इंदौर जिले से दूसरी मंत्री कोई महिला हो सकती है। अभी उषा ठाकुर मंत्री हैं और ग्रामीण क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं। अगर वो रिपीट होती हैं तो शहरी क्षेत्र की महिला विधायक मालिनी गौड़ का दावा कमजोर हो जाएगा। अगर उन्हें हटाया जाता है तो निश्चित रूप से मालिनी गौड़ के अलावा और दूसरा महिला विधायक का विकल्प ही नहीं रह जाता है। मालिनी गौड़ चार बार से इस सीट पर विधायक हैं और इंदौर से दूसरी सबसे बड़ी लीड के साथ चुनाव जीती है।
मेंदोला के साथ हार्डिया भी
रमेश मेंदोला ने इस बार हमेशा की तरह लंबी लीड प्राप्त कर जीत हासिल की है। प्रदेश में सर्वाधिक मतों से विजय होने और चार बार के विधायक होने के कारण उनका नाम भी मंत्रिपद की लिस्ट में है लेकिन यह दूसरी परिस्थितियों पर निर्भर करेगा। अगर ग्रामीण क्षेत्र से एक मंत्री का नाम कटता है तो वो मंत्रियों की रेस में आ सकते हैं। हालांकि लगातार पांच बार से विधायक महेंद्र हार्डिया के अनुभव को नजरअंदाज करना मुश्किल होगा। यानी गौड़, मेंदोला और हार्डिया में से कोई भी एक मंत्री बन सकता है।
ग्रामीण में तुलसी नहीं तो मधु
उधर ग्रामीण क्षेत्र की बात करें तो सबसे ज्यादा मजबूत दावा सिलावट का है। ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के होने के साथ ही वो आरक्षित वर्ग से भी आते हैं। इस प्रकार अगर उन्हें मंत्री बनाया तो ग्रामीण क्षेत्र से दूसरा कोई मंत्री नहीं होगा। वहीं अगर उन्हें कहीं और एडजस्ट किया जाता है तो सबसे तगड़ा दावा मधु वर्मा का है। वो नया चेहरा भी है और अनुभवी भी। इस प्रकार पूरा मामला अब गुणा-भाग पर टिक गया है। यह रविवार के बाद ही साफ हो जाएगा कि शहर से कौन मंत्री बनेगा।
महिला मंत्री में मालिनी या उषा
अगर फॉमूले को देखें तो इंदौर जिले से दूसरी मंत्री कोई महिला हो सकती है। अभी उषा ठाकुर मंत्री हैं और ग्रामीण क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं। अगर वो रिपीट होती हैं तो शहरी क्षेत्र की महिला विधायक मालिनी गौड़ का दावा कमजोर हो जाएगा। अगर उन्हें हटाया जाता है तो निश्चित रूप से मालिनी गौड़ के अलावा और दूसरा महिला विधायक का विकल्प ही नहीं रह जाता है। मालिनी गौड़ चार बार से इस सीट पर विधायक हैं और इंदौर से दूसरी सबसे बड़ी लीड के साथ चुनाव जीती है।