स्वतंत्र समय, इंदौर
अब इंदौर से उज्जैन के बीच का सफर और आसान होने के साथ ही सहूलियत भरा होगा। महाकाल नगरी को आर्थिक राजधानी से द्रुत गति से जोड़ा जाएगा। इसके लिए मेट्रो वंदे ट्रेन की शुरुआत की जाएगी। सांसद शंकर लालवानी ने इस बारे में रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव से मिलकर अनुरोध किया। इस पर रेल मंत्री ने तुरंत ही सहमति दे दी और आने वाले समय में इंदौर से उज्जैन के बीच मेट्रो वंदे ट्रेन शुरू होगी।
सांसद शंकर लालवानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का धन्यवाद करते हुए कहा कि वंदे भारत ट्रेन की सौगात के बाद इंदौर-उज्जैन के बीच वंदे मेट्रो ट्रेन मिलना इंदौर के लिए एक बड़ी उपलब्धि है और इससे दोनों शहरों के बीच आने-जाने वाले कर्मचारी छात्रों तथा आम नागरिक को सहूलियत होगी। साथ ही वर्ष 2028 में होने वाले सिंहस्थ के आयोजन को ध्यान में रखकर यह ट्रेन यातायात के दबाव को कम करने में इस ट्रेन की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
वंदे मेट्रो की ये हैं खास बातें…
- वंदे मेट्रो 100 किलोमीटर से कम दूरी वाले शहरों के बीच चलेगी।
- यह वंदे भारत एक्सप्रेस का कम दूरी का संस्करण होगा।
- यह ट्रेन यात्रियों को रैपिड शटल जैसा अनुभव प्रदान करेगी।
- ये ट्रेनें एक रूट पर दिन में 4 से 5 बार चलेंगी।
- इस ट्रेन में मेट्रो की तरह आठ कोच होंगे, सामान्य वंदे भारत ट्रेनों में 16 कोच होते हैं।
- इससे नौकरीपेशा और स्टूडेंट्स कम समय में यात्रा कर पाएंगे।
- विश्व स्तरीय लोक परिवहन सेवा प्रदान करना।
वंदे मेट्रो का मकसद- यात्रियों का दबाव कम करना
देश के कई हिस्सों में इस समय सेमी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस चल रही है। इससे आगे अब सरकार वंदे मेट्रो ला रही है, जो प्रमुख शहरों को एक दूसरे से जोड़ेगी। वंदे मेट्रो कम दूरी के मेट्रो रेल नेटवर्क पर काम करेगी। वंदे मेट्रो लोकल ट्रेनों पर भीड़ के दबाव को कम करने में मदद करेगी। यह ट्रेन दिसंबर तक तैयार हो जाएगी।
2024 की शुरुआत के साथ देश में नजर आएगी
बताया जा रहा है कि पहले रेलवे इसे 2023 के दिसंबर में देश में लाने की योजना पर काम कर रहा था। हालांकि, इसमें थोड़ा विलंब हो रहा है। अब यात्रियों को इसके लिए जनवरी या फरवरी तक इंतजार करना पड़ा सकता है। साथ ही इसे आगे चलकर 100 किलोमीटर के दायरे से विस्तारित कर 250 से 300 किलोमीटर की परिधि में चलाया जा सकता है।