स्वतंत्र समय, इंदौर
इंदौर में बढ़ते वाहन दबाव के साथ ही रफ्तार जहां हादसों को बढ़ा रही है, वहीं जानलेवा भी बन रही है। इंदौर में औसतन प्रतिदिन 9 हादसे हो रहे हैं जिसमें सबसे ज्यादा शिकार युवावर्ग है। वजह दोपहिया वाहनों की ओवरस्पीडिंग और ओवरटेकिंग है जिसकी वजह से हर साल करीब 250 मौतें हो रही हैं। इंदौर परिवहन कार्यालय के आंकड़ों की रोशनी में बात करें तो इस साल ही करीब पौने दो लाख नए वाहन रजिस्टर्ड हुए हैं, इससे सडक़ पर बढ़ रहे यातायात के दबाव को समझा जा सकता है, वहीं तीन साल पहले यह संख्या करीब एक लाख के आसपास थी। यानी महज 3 से 4 साल में वाहन खरीदी का आंकड़ा दुगना हो गया है। इसमें भी सबसे ज्यादा इस साल 1 लाख 13 हजार दोपहिया वाहन रजिस्टर्ड हुए हैं। यही दोपहिया वाहन हादसों की सबसे बड़ी वजह भी हैं। स्मार्ट सिटी का बिगड़ैल यातायात अब लोगों के लिए जानलेवा बनता जा रहा है। प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार शहर में पिछले साल के मुकाबले इस साल 230 ज्यादा सडक़ हादसे हुए हैं। 2022 में नवंबर तक 3047 और 2023 में नवंबर तक 3277 सडक़ हादसे हुए हैं। हादसों में 2586 लोग घायल और 239 लोगों की मृत्यु हुई है। सबसे ज्यादा 35 मौतें मार्च में हुई हैं।
प्रदेश में सड़क हादसों में इंदौर टॉप पर
पुलिस ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट पीटीआरआई की रिसर्च के मुताबिक प्रदेश में सबसे ज्यादा सडक़ हादसों में इंदौर बदनाम है। मप्र में पिछले साल 54,432 सडक़ हादसे हुए थे, जिनमें 13,427 लोगों की मौत हुई थी। हादसों में आधे से अधिक 25,633 दोपहिया वाहनों से हुए थे। इनमें 4,869 लोगों की मौत हुई थी। प्रदेशभर में वर्ष 2021 में 48,771 हादसों में 12,057 ने तो वर्ष 2020 में हुए 45,266 सडक़ हादसों में 11,141 लोगों की मौत हुई थी। मप्र में सडक़ हादसे और हादसों से मौतों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। 1 जनवरी 2023 से 30 जून तक छह महीने में ही प्रदेश में 29,453 सडक़ हादसे हुए। इनमें 7,528 लोगों की मौत हुई। 30,319 लोग घायल हुए। प्रदेश के 54 जिलों में से 32 में सडक़ हादसों में वृद्धि दर्ज की गई है। इंदौर शहर में हादसों में 4 फीसदी की वृद्धि हुई है।
जरूरत ट्रैफिक सुधार की, यहां अनदेखी…
- इंदौर में नियमों के प्रति सबसे ज्यादा बेफिक्री, रेड सिग्नल जंप करने का खतरनाक ट्रेंड
- सीसीटीएन से मॉनिटरिंग के बावजूद नियमों को ताक पर रख रहे वाहन चालक
- अपनी लेन में वाहन चलाने की आदत नहीं
- तेज गति से रांग साइड वाहन चलाने का जानलेवा तरीका
- शहर में ऑटो चालकों, फूड डिलीवरी बॉय सबसे ज्यादा नियमों की कर रहे अनदेखी
- ओवरटेक की सबसे बुरी लत, स्कूल और सिटी बस वाले भी बेसब्री का शिकार
- चालानी कार्रवाई से खास सुधार नहीं, नियमों की समझाइश पर ध्यान की जरूरत
- युवा चालकों के प्रेशर हॉर्न, ओवरस्पीडिंग, ओवरटेकिंग पर नकेल के प्रति गंभीर नहीं
यह कहती है विश्व स्वास्थ्य संगठन की हालिया रिपोर्ट…
- देश में 71 प्रतिशत लोगों की जान ओवर स्पीडिंग की वजह से जाती है।
- भारत में सड़क हादसों का शिकार होने वाले 10 में से 4 की मौत हो जाती है।
- 2022 में 4,61,312 रोड एक्सीडेंट्स
- 4,33,366 लोग घायल
- 1,68,491 लोगों की मौत
- हर दिन 1,263 रोड एक्सीडेंट्स और 461 मौतें
- हर घंटे 53 एक्सीडेंट्स और 19 की मौत
देश में यह हाल : सबसे ज्यादा हाईवे पर हो रहे एक्सीडेंट
ओवर स्पीडिंग के चलते 2022 में देश में 72त्न एक्सीडेंट्स और 71त्न मौतें हुईं। नेशनल हाइवे पर 56त्न एक्सीडेंट्स हुए। भारत में कुल रोड एक्सीडेंट में जान गंवाने वालों में से 61त्न नेशनल हाइवे पर हुए एक्सीडेंट्स में मारे जाते हैं। जान गंवाने वालों में सबसे ज्यादा 64त्न पैदल और टू व्हीलर चलाने वाले लोग हैं, जबकि भारत के कुल रोड नेटवर्क में नेशनल हाइवे की हिस्सेदारी केवल 4.9त्न है।
जल्दबाज युवा और अधेड़ सबसे ज्यादा चपेट में
रोड ट्रांसपोर्ट मंत्रालय के अनुसार, भारत में सडक़ हादसों में मरने वालों में सबसे ज्यादा 18 से 45 साल के लोग हैं। भारत में हुए कुल सडक़ हादसों में 66.5त्न यानी 1,12,072 लोग 18 से 45 साल की उम्र के हैं। 2022 में 18 साल से कम के 9,528 बच्चों की जान रोड एक्सीडेंट्स में गई। इसका मतलब साल 2022 में हर दिन सडक़ हादसों की वजह से 26 बच्चों की जान गई।
आईआईटी इंदौर के स्टूडेंट्स रोड ऑडिट में होंगे शामिल
जल्द ही देश के आआईटी और एनआईटी के छात्र देश की सड़कों का ऑडिट करेंगे। केंद्र सरकार ने अलग-अलग इंस्टिट्यूट्स के स्टूडेंट्स को इस प्रोग्राम में शामिल करने के लिए प्रोजेक्ट की गाइडलाइन तैयार कर ली है। इन स्टूडेंट्स को रोड एक्सीडेंट्स की वजहें पहचानकर एक्सीडेंट्स को कम करने के तरीकों पर काम करना होगा। केंद्रीय सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवेस ऑफ इंडिया) इस प्रोजेक्ट के लिए देश के सभी टॉप इंजीनियरिंग इंस्टिट्यूट्स और इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटीज के स्टूडेंट्स से स्टडी कराएगा। इसमें मध्य प्रदेश के मैनिट और आईआईटी इंदौर के स्टूडेंट्स भी शामिल होंगे।
स्पीड ब्रेकर बनवाते हैं, पत्र लिखना भी शामिल
यातायात प्रबंधन के डीसीपी मनीष कुमार अग्रवाल के मुताबिक जहां हादसे होते हैं, वहां जांच के बाद कमी की पूर्ति के लिए संबंधित विभाग को पत्र लिखा जाता है। गड्ढे भरवाना, स्पीड ब्रेकर बनवाना, साइन बोर्ड लगवाना आदि कार्यों को पूरा कराया जाता है। यातायात नियमों के प्रति जागरूक करने के लिए लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं।
इंदौर में 2022 और 2023 में कुल सड़क हादसे…
माह 2022 2023
जनवरी 296 289
फरवरी 219 270
मार्च 286 312
अप्रैल 280 279
मई 328 313
जून 282 303
जुलाई 249 309
अगस्त 255 311
सितंबर 265 262
अक्टूबर 272 341
नवंबर 315 2088
कुल 3047 3277
शहर में कुल घायल
वर्ष 2022 2536
वर्ष 2023 2586
शहर में कुल मौतें
2022 238
2023 239
इंदौर में हादसों में मौतें
मौतें 2022 2023
जनवरी 26 23
फरवरी 13 22
मार्च 20 35
अप्रैल 27 17
मई 20 27
जून 19 18
जुलाई 17 31
अगस्त 25 19
सितंबर 27 13
अक्टूबर 29 20
नवंबर 15 14
कुल 238 239