15 करोड़ का नया सरवटे बस स्टैंड, गंदगी और जाम से हारा

स्वतंत्र समय, इंदौर

इंदौर का करीब 15 करोड़ रुपए की लागत से बना नया सरवटे बस स्टैंड देखरेख की कमी के चलते सुविधाओं के लिए पनाह मांग रहा है। स्वच्छता में छह बार डंका बजाने वाले इंदौर की सच्चाई सरवटे बस स्टैंड की चमचमाती इमारत के सामने उघड़ रही है। बदनामी की तोहमत इंदौर के नाम पर लग रही है और यहां निगरानी की कमी से यह हाल हो रहे हैं। वहीं बस ऑपरेटरों की मनमानी और समय पर गाड़ियों के नहीं निकालने से शाम को हालात बुरे हो रहे हैँ। दोपहिया वाहन निकालना भी मुश्किल हो रहा है। सरवटे बस स्टैंड पर जो हालात चार साल पहले थे, वह दोबारा बन रहे हैं। जाम और गंदगी अब यहां आम हो रहा है। शाम के समय हाथीपाला की ओर लगने वाले जाम से किसी तरह निकलने वाला वाहन चालक यहां आकर दोबारा पसोपेश में पड़ जाता है। बस ऑपरेटर जहां तहां गाड़ी खड़ी कर रहे हैं जिससे वाहन चालक परेशान हो रहे हैं।

चार साल बनने में लगे, पिछले साल शुरू हुआ और अब बदहाल

पुराने बस स्टैंड का संचालन मई 2018 से बंद किया गया था। एक साल तक नगर निगम ने जमींदोज बस स्टैंड की सुध नहीं ली। इसके बाद 2019 की गर्मियों में काम शुरू हुआ। यह काम करीब 46 महीने यानी 4 साल तक चला। सारे काम पूरे होने के बाद पिछले साल 22 मार्च को नए सरवटे बस स्टैंड का शुभारंभ हुआ और पहली बार नए यात्री इसे देखकर चौंके। हालांकि कई लोगों ने इसमें बैठक व्यवस्था सीमित होने की शिकायत भी की। दूसरी ओर बेसमेंट में पार्किंग को लेकर लोग संतुष्ट नहीं दिखे। छत छोटी होने से कारें टकराने लगीं तो जिम्मेदारों ने यहां बीम ही काट दी जिस पर छत टिकी है। वहीं अब तक केवल एक ही लिफ्ट लगी है जबकि प्रस्तावित चार थीं। हालांकि अब डेढ़ साल में ही व्यवस्थाएं दम तोड़ती नजर आ रही हैं।

बसों की संख्या कम रहे इसलिए परमिट रोके थे

इस समय नए सरवटे बस स्टैंड पर बसों की तादाद फिर बढ़ रही है। सरवटे बस स्टैंड पर बसों की संख्या सीमित रहे इसलिए यातायात निगरानी समिति ने 2017 में बसों के संचालन के लिए सरवटे से परमिट देना बंद कर दिए थे। हालांकि इस पर पूरी तरह से अमल नहीं हुआ। कुछ रसूखदारों के परमिट जारी होते रहे। इसी कारण लगातार बसों की संख्या बढ़ती गई। दरअसल यहां से संचालित होने वाली बसों के कारण स्टैंड पर जाम की स्थिति बनती है, इस कारण यह फैसला लिया गया था। नए परमिट वाली बसों का संचालन सरवटे से पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया था, लेकिन आरटीओ ने परमिट देना बंद नहीं किया।

गंदा पानी सडक़ पर बह रहा

सरवटे बस स्टैंड पर गंदगी से रूबरू हुआ जा सकता है। स्वच्छ शहर की असल तस्वीर यहां नजर आ रही है। मूत्रालय के बाहर गंदगी रिस कर जा रही है। बदबू से यहां यात्रियों का निकलना मुहाल हो रहा है। नगर निगम यहां की व्यवस्था संभालने में अक्षम नजर आने लगा तो उसने निजी एजेंसी के जिम्मे काम दे दिया। यह एजेंसी भी काम सुचारु ढंग से नहीं कर पा रही है।

निशुल्क सुविधाघर लेकिन लटक रहे ताले

यहां पर सुविधाघर की सुविधा फ्री है लेकिन यात्रियों को इसका कोई फायदा नहीं मिल रहा है। यात्रियों को सुलभ शौचालय की ओर रुख करना पड़ रहा है। इस पर ताला लगाया गया है, ऐसे में इस सुविधा का कोई मतलब नहीं रह गया है। दूसरी ओर पेयजल की मशीन भी बंद पड़ी है।

दावा फेल, सड़क बन गई पार्किंग

यहां जितनी बसें स्टैंड के अंदर खड़ी रहती हैं, उतनी ही स्टैंड के बाहर रोड पर दिख रही हैं। इससे निगम का वह दावा फेल हो गया, जो सडक़ पर बसें पार्क नहीं होने देने को लेकर किया गया था। बस संचालन के लिए बनाए नियम-कायदे ताक पर रखे हैं। बस स्टैंड से चलने वाली निजी बसों के साथ सरकारी यानी एआइसीटीएसएल की लोकल बसों के बीच रोड पर खड़े होने और सवारी बैठाने से यातायात बाधित हो रहा है।

बजट की कमी से प्रदेश के सबसे बड़े बस स्टैंड का काम धीमा

सितंबर 2019 में एमआर 10 पर आईएसबीटी यानी इंटर स्टेट बस टर्मिनल का काम शुरू किया गया था। करीब 1500 बसों की क्षमता वाले इस बस स्टैंड को प्रदेश के सबसे बड़े बस स्टैंड का दर्जा मिलेगा। इसकी क्षमता रोजाना 80 हजार यात्रियों के संचालन की है। करीब चार साल से ज्यादा समय से बन रहे इस बस स्टैंड का काम बजट की कमी की वजह से बार-बार प्रभावित हो रहा है। तीन बार इसकी डेडलाइन आगे बढ़ चुकी है। जुलाई 2023 में अंतिम तौर पर इसे शुरू करने की बात कही गई थी लेकिन अब मामला नए साल में जाएगा। आईडीए इस साल इस प्रोजेक्ट का आधा बजट ही दे पाया था। पहली डेडलाइन जून 2022 तय की गई थी, लेकिन इस डेडलाइन में कुल प्रोजेक्ट का आधा काम भी नहीं हो पाया था। देखा जाए तो 21 माह में इसका निर्माण कार्य पूरा किया जाना था। एक वजह यह भी बताई जाती है कि लॉकडाउन और किसानों की जमीन की अदला-बदली के कारण काम समय पर पूरा नहीं हो सका। इसलिए समय सीमा बढ़ाकर मार्च 2023 कर दी गई थी। अभी भी काम पूरे नहीं हो सके हैं। हालांकि असल समस्या समय पर बजट रिलीज नहीं करने की हो रही है। आईडीए ने जुलाई 2023 में ही बस स्टैंड के संचालन का दावा किया था।