स्वतंत्र समय, इंदौर
इंदौर में कोरोना के दो मरीज सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर आ गया है। दरअसल जिस दंपति में लक्षण मिले हैं, वे पिछले दिनों मालदीव से इंदौर आए हैं और पलासिया के रहने वाले हैं। विभाग ने नए वैरिएंट का पता लगाने के लिए भोपाल एम्स में सैम्पल भेजा है जिसकी रिपोर्ट तीन से चार दिन में आएगी। इधर महकमे ने लोगों को सुरक्षित दूरी अपनाने के साथ ही सतर्कता के निर्देश जारी किए हैं।पिछले दिनों सर्दी खांसी की शिकायत के बाद पहुंचे दो मरीजों केा डॉक्टर ने कोरोना टेस्ट कराई थी, जो पॉजिटिव पाई गई। पलासिया क्षेत्र में रहने वाले महिला पुरुष एक ही परिवार से हैं। बताया जा रहा है कि दोनों ए सिंटोमेटिक हैं। होम आइसोलेशन में रखा गया है। एक की स्थिति अब ठीक है और दूसरे मरीज को होम आइसोलेशन में रखा गया है।
परिवार के अन्य सदस्यों के सैंपल भी लिए
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार कोरोना से पीडि़त 33 वर्षीय महिला होम आइसोलेशन में ठीक हो चुकी है, वहीं पति अभी होम आइसोलेशन में है। डॉक्टरों ने परिवार के अन्य लोगों के सेंपल भी लिए है, ताकि संक्रमण फैलने से रोका जा सके।
तैयारी के लिए रखे 18 बेड रिजर्व
एमजीएम मेडिकल कॉलेज में 18 बेड कोरोना संक्रमितों के लिए रिजर्व रखने को कहा गया है। दो लहरों में इंदौर में दो लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं, जबकि कोरोना के कारण जान गंवाने वालों की संख्या 1472 है। इंदौर में कोरोना का एक्टिव मरीज फिलहाल एक है।
कोरोना से घबराने की जरूरत नहीं
कोरोना को लेकर इंदौर के नोडल अधिकारी डॉक्टर अमित मालाकार ने बताया की जो मामले अभी सामने आए हैं, इससे डरने, घबराने या पैनिक होने की आवश्यकता नहीं है। वैक्सीनेशन के चलते अब वायरस का अटैक पहली या दूसरी लहर जैसा होने की आशंका नहीं है। अलबत्ता इसके लिए सावधानी बरतना जरूरी है। मालाकार ने बताया कि इंदौर में कोरोना वायरस के किस स्वरूप से मरीज संक्रमित हैं, यह पता लगाने के लिए दोनों मरीजों के नमूने पूर्ण जीनोम अनुक्रमण जांच के लिए भोपाल के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भेजे गए हैं।
गाइडलाइन की जारी
- वायरस अपनी प्रकृति बदल-बदल कर आता है। ऐसे में जरूरी है कि सावधान रहें।
- किसी भी सर्दी-खांसी को हल्के में न लें और सावधानी बरतें।
- खांसते, छींकते वक्त मुंह पर कपड़ा अवश्य रखें।
- सर्दी-खांसी के मरीज द्वारा इस्तेमाल कपड़े इत्यादि को बगैर अच्छी तरह से साबुन से धोएं बगैर इस्तेमाल न करें।
प्रदेश स्तर पर की तैयारी, केरल में आया था पहला मामला
प्रदेश में टीटीटी की रणनीति के तहत टेस्ट, ट्रैक और ट्रीटमेंट का पालन करते हुए व्यापक रूप से योजनाबद्ध तरीके से पहले की तरह संभावित रोगियों की जल्द पहचान और तुरंत इलाज की प्रक्रिया का पालन किए जाने के आदेश दिए गए हैं। कोरोना के तुरंत नियंत्रण के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन सर्पोटेड बेड, आईसीयू बिस्तर, वेंटिलेटर समेत सभी सुविधाएं सुनिश्चित किए जाने के आदेश दिए गए हैं। देश में कोरोना वायरस के नये जेएन.1 स्वरूप का पहला मामला आठ दिसंबर को केरल में सामने आया था।