- आखिरी बार 2013 में जोन 15 से बढक़र हुए थे 19
- 2011 की आबादी का हवाला देकर लगाई थी हाईकोर्ट में याचिका
- आबादी के लिहाज से करीब 13 साल पुराने ढर्रे पर चल रहा नगर निगम
स्वतंत्र समय, इंदौर
नगर निगम अब शहर के 19 जोन को 22 बनाए जाने के लिए फिक्रमंद हुआ है, असल में यह काम सात साल पहले हो जाना था। जोन का गठन शहर की बढ़ती आबादी के लिहाज से किया जाता है और राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छता समेत ढेरों इनामा अपनी झोली में करने वाली स्मार्ट सिटी के मौजूदा जोन 2011 की आबादी के हिसाब से बने हुए हैं। इस लिहाज से जोन के मामले में इंदौर 2024 शुरू होते ही 13 साल पुराने ढर्रे पर चल रहा है। इसमें आम आदमी का नुकसान यह है कि आबादी के बढ़ते मान से जोन पर काम का दबाव रहता है और उसकी समस्या का समय रहते निराकरण नहीं होता। 2016 में जोन के गठन का मामला उस समय हाई कोर्ट में भी चला लेकिन कागजों के आगे बात बढ़ी ही नहीं। अब महापौर शहर की बढ़ती आबादी के लिहाज से तीन नए जोन गठित करने के लिए कवायद कर रहे हैं। नगर निगम ने 19 जोन की बजाए 22 जोन बनाने का प्रस्ताव परिषद की बैठक में पास किया था। जिसमें जोनल कार्यालयों के नए सिस्टम को आबादी हिसाब से लागू किया जाना था। प्रस्ताव स्वीकृत होने के बाद तीन नए जोन के लिए कार्यालय, स्टॉफ और संसाधन मुहैया कराए जाने थे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। इस कारण अब तक मामला विचाराधीन ही है।
2013 में बने थे 19 जोन
नगर निगम ने 2013 में परिसीमन कर 85 वार्ड बनाए। इस दौरान जोन कार्यालयों की संख्या 15 से बढ़ाकर 19 कर दी गई। यह संख्या उस समय की जनसंख्या के अनुसार 22 होनी चाहिए थी। इस लिहाज से देखा जाए तो निर्णय देर से ही हुआ।
2016 में हाईकोर्ट पहुंचा मामला
इसे लेकर पूर्व पार्षद दिलीप कौशल ने 2016 में हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। कौशल ने याचिका में हवाला दिया था कि 2011 में नगर निगम की जनसंख्या करीब 22 लाख थी। प्रति एक लाख आबादी के हिसाब से तब शहर में 22 जोन बनने चाहिए थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस पर हाई कोर्ट ने जोन कार्यालयों की संख्या 19 से बढ़ाकर 22 करने का आदेश देते हुए कहा कि जनसंख्या के हिसाब से ही इसे लागू किया जाए। हालांकि निगम ने गंभीरता से नहीं लिया तो अवमानना याचिका भी लगी।
2017 में पास हुआ प्रस्ताव
हाई कोर्ट के आदेश के बाद आखिरकार नगर निगम ने 14 नवंबर 2017 को हुई एमआईसी की बैठक में जोन कार्यालयों की संख्या बढाकर 22 करने का प्रस्ताव पास कर दिया, लेकिन यह स्वीकृत प्रस्ताव कागजों तक ही सिमटकर रह गया। इंदौर में 3 नए जोन तो बनाए गए लेकिन न तो कार्यालय की जमीन तय की गई और न ही स्टाफ नियुक्त किया गया। एमआईसी में भी यह मुद्दा नहीं उठा।
प्रस्ताव के मुताबिक इस तरह बनेंगे जोन
14 नवंबर 2017 को निगम की महापौर परिषद में पास किए गए प्रस्ताव में जो तीन नए जोन बनाए जाना थे, उनमें कुल 9 वार्ड शामिल होने थे। जोन क्रमांक 20 में वार्ड नंबर 5,6,8, जोन क्रमांक 21 में वार्ड नंबर 72,80,81 और जोन क्रमांक 22 में वार्ड नंबर 75, 77, 78 को शामिल किया जाना थे।
एक लाख की आबादी पर एक जोन
वर्तमान जनसंख्या के लिहाज से देखा जाए तो अब जोन कार्यालयों की संख्या कम से कम 27 होना चाहिए। मध्य प्रदेश नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 48 में प्रावधान है कि एक लाख आबादी पर एक जोन कार्यालय होना अनिवार्य है। पिछली जनगणना कु अनुसार इंदौर की आबादी 21 लाख 60 हजार थी, लेकिन अब यह जनसंख्या 27 लाख से ज्यादा हो चुकी है। इस लिहाज से पांच जोन कार्यालय बढ़ाए जाने चाहिए। आबादी की रफ्तार से निगम जोन कार्यालयों को विस्तार नहीं दे पाया।
महापौर ने कहा- झोन अध्यक्षों के चुनाव कराएंगे
नगर निगम में सुविधा की दृष्टि से 19 से 22 झोन किए जाएंगे। 22 झोन में अलग-अलग वार्ड मिलाकर लोगों की सुविधा पहुंचाने के लिए वार्ड का नया परिसीमन किया जाएगा। जल्द ही नए झोन बनाकर झोन अध्यक्षों के चुनाव कराए जाएंगे।