स्वतंत्र समय, इंदौर
2020 और 2021 में कहर मचाने के बाद 2022 व 2023 में दो साल कोरोना से कुछ राहत मिली थी लेकिन 2024 की आहट के पहले कोरोना के डर की आहट फिर से शुरू हो गई है। विश्व के साथ ही भारत और अब अपने शहर इंदौर में भी कोरोना के मरीज मिलने की शुरुआत हो गई है। पहले मरीज की शुरुआत एक बार फिर हवाई मार्ग यानी एयरपोर्ट के माध्यम से हुई है। विदेश से आया मरीज पॉजिटिव पाया गया है। मरीजों की संख्या अधिक हो सकती है लेकिन अभी सिक्वेंसिंग या टेस्ट शुरू नहीं हुए हैं। पहले दौर में भी एयरपोर्ट पर आरंभ में सख्ती नहीं होने खामियाजा देश और शहर को भुगतना पड़ा था और अभी भी वही नजर आ रहा है। अगर बीमारी व मरीज बढ़े और हवाई मार्ग पर सख्ती नहीं की गई तो निश्चित ही स्थितियां फिर से पुरानी हो सकती हैं।
देश में कोरोना ने एक बार फिर दस्तक दे दी है। कई राज्यों में कोरोना के नए वेरिएंट के साथ नए मामले सामने आने लगे हैं। इंदौर में भी एक माह के अंदर दूसरा कोरोना पॉजिटिव मरीज सामने आया है, जिसे लेकर स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है। पलासिया क्षेत्र में रहने वाला 38 वर्षीय युवक कोरोना पॉजिटिव आया है। युवक मालदीव से इंदौर आया है। शहर में आने के बाद उसकी तबीयत खराब हो रही थी। हल्के लक्षण आने पर कोरोना की जांच करवाई तो वह पॉजिटिव निकला। फिलहाल वह होम आइसोलेशन में है। वहीं साथ गई 33 वर्षीय महिला भी 13 दिसंबर को कोरोना पॉजिटिव आई थी, जो अब स्वस्थ है। इससे पहले प्रदेश में हरदा का रहने वाला 75 वर्षीय मरीज 24 नवंबर को कोरोना पॉजिटिव आया था। इस मरीज को भी बुखार के सामान्य लक्षण थे।
हवाई मार्ग से ही प्रविष्टि
अभी सामने आए कोरोना के दोनों ही मामले हवाई मार्ग से शहर में प्रविष्ट हुए हैं। इस कारण स्वास्थ्य विभाग को अब अन्य देशों से आने वाले यात्रियों पर नजर बनाए रखने की आवश्यकता है। पहले दौर में विदेश से आने वाले लोगों ने कोरोना को शहर में खूब बढ़ाया। शहर का प्रशासन एडवाइजरी का इंतजार करता रहा और लोग कोरोना लेकर शहर में आते रहे। यहां पर मरीजों की संख्या भी बढ़ाते रहे। उस समय भी यह बात उठी थी कि अगर एयरपोर्ट पर बाहर से आने वाले लोगों पर सख्ती की जाती, उनकी जांचें होती और उन्हें सही तरह से आइसोलेशन में रखा जाता तो निश्चित ही संक्रमण की दर बहुत कम होती। इस बार भी यही करने की जरूरत है। इस समय विदेशों से आने वाले यात्रियों और खासकर एयरपोर्ट पर सख्ती करना चाहिए। यहां पर बाहर से आने वाले देशों के यात्रियों के लिए कोरोना की जांच और रिपोर्ट आने तक उन पर नजर रखी जाए तो अभी से ही कोरोना की आहट को कंट्रोल किया जा सकता है।
तैयारियों को अभी जांच रहे
कोविड के मामलों को देखते हुए एमजीएम मेडिकल कॉलेज और स्वास्थ्य विभाग ने अपनी तैयारियां जांचना आरंभ किया है। अभी तो यह तैयारियां कुछ भी नहीं है। एमजीएम मेडिकल कॉलेज ने स्थिति से निपटने के लिए तैयारियों की जांच के लिए मॉक ड्रिल कर ऑक्सीजन प्लांट का संचालन करके देखा लेकिन चेस्ट वार्ड के ऑक्सीजन प्लांट कई महीनों से बंद रहने के कारण आवश्यक मात्रा में ऑक्सीजन का उत्पादन नहीं कर सके। कॉलेज प्रशासन ने संबंधित अस्पतालों में आवश्यक दवाओं और उपकरणों की उपलब्धता की भी जांच की। स्वास्थ्य विभाग ने सभी प्राइवेट अस्पतालों से अपनी मॉकड्रिल की रिपोर्ट और वहां उपलब्ध बिस्तरों की संख्या के बारे में भेजने के लिए कहा है। 48 ऑक्सीजन प्लांट में से 36 चल रहे हैं। जरूरत पडऩे पर 5000 से अधिक ऑक्सीजन बिस्तर किसी भी समय आरक्षित किए जा सकते हैं।
प्रोटोकॉल का पालन नहीं
उधर शहर में लोग अब किसी प्रोटोकॉल का कोई पालन नहीं कर रहे हैं। शहर में बिना मास्क के फिर से लोग सडक़ों पर घूमने लगे हैं। मास्क लगभग गायब ही हो गया है। हालांकि प्रोफेशनल्स यानी मेडिकल और अन्य भीड़ वाले स्थानों पर काम करने वाले लोग मास्क लगा रहे है लेकिन इनकी संख्या बहुत कम है। उधर भीड़ भी शहर के लगभग सभी इलाकों में देखने को मिल रही है। कहीं पर कोई रोक-टोक नहीं है। अगर मरीजों की संख्या बढऩे लगे तो सबसे पहले इस पर रोक लगाना होगी। पहले दौर के कोरोना के बाद लोग इससे परिचित है इसलिए इस बार इसका पालन करवाने में कोई परेशानी नहीं आएगी।
शहर में अब तक 2,12,863 मरीज
2020 में इंदौर में कोरोना के शुरुआती दिनों से ही मरीज मिलना शुरू हो गए थे। अब तक इंदौर में 2,12,863 कोरोना पॉजिटिव आ चुके हैं। इनमें से 1472 लोगों की कोरोना के कारण मौत हो चुकी है। वहीं 211389 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं।