दिनेश सोलंकी, इंदौर
करीब 9 महीने से इंदौर जिले में तेंदुए और बाघ की आहट नजर आ रही है। सीसीटीवी में ये नजर आए लेकिन वन विभाग की टीम इन तक अपनी पकड़ नहीं बना सकी। आबादी इलाकों में इनकी धमक से दहशत है और विभाग की लाचारी लोगों की जान पर भारी पड़ रही है। तेंदुए ने कुछ वक्त पहले एक बुजुर्ग को अपना निवाला बनाया था। जाम गेट के खुले पहाड़ी पर्यटन स्थल पर क्रिसमस, शीतकालीन अवकाश और न्यू ईयर के लिहाज से बड़ी तादाद में पर्यटक उमड़ेंगे, ऐसे में जंगल में मंगल वालों के साथ कहीं अमंगल न हो जाए। इन दिनों में जंगल से खतरनाक जानवरों का ग्रामीण और शहरी आबादी के निकट पहुंचने का सिलसिला शुरु हो सकता है। दरअसल, जंगल सूखने पर पानी की चाह में जानवर शहर ओर दौडऩे लगते हैं।
नर्मदा की पेयजल लाइनें भी दे रहीं तेंदुए और बाघ को आमंत्रण
तेंदुए और बाघ सामान्यत: वहां रहना पसंद करते हैं जहां उन्हें भोजन-पानी सहजता से नियमित मिलता रहे। रालामंडल, महू, मानपुर, बलवाड़ा आदि में पहाडिय़ां होने से उनके रिहायश, भोजन और पानी के सुरक्षित इंतजाम हैं। यहां से नर्मदा की लाइनें जंगल से गुजरी हुई हैं जिनके रिसन से भी कई जगह पर पानी संग्रह हो जाता है, इसलिये जंगल के जानवर महू की ओर दौड़ पड़ते हैं।
शहरी हिस्सों में पहुंचने का खतरा, नए निर्माण बढ़ा रहे है खतरा
महू के माल रोड के नजदीक आर्मी वार कॉलेज और एमसीटीई तक तो तेंदुए ने दस्तक दे दी है। यह एक तरह से शहरी आबादी के लिए खतरा है। मानपुर महू रेंज के प्रभारी रेंजर चौहान बताते हैं कि अब जानवरों की दस्तक आबादी के निकट होने का समय जनवरी से जुलाई तक रहता है। महू के जंगलों में तेंदुए अधिक संख्या में हैं। नई सडक़ों के निर्माण से जंगल का सुरक्षित कॉरिडोर प्रभावित होने से जंगली जानवर भटककर भी महू की आबादी की ओर दौड़ रहे हैं। गौरतलब है कि महू के जंगलों में तेंदुओं की संख्या बहुतायत है जबकि बाघ भी यहां पर है जिन्होंने भी बीते दिनों महू तक आकर अपनी उपस्थिति दर्शाई थी।
जानवर का पीछा करते समय कुएं में गिरा तेंदुआ
पिछले दिनों एक जानवर का शिकार करने के बाद संभवत: दूसरे जानवर का पीछा करते हुए एक तेंदुआ ग्राम खुर्दा में चर्च के पीछे कुएं में जा गिरा। पता चलने पर वनविभाग ने कुएं में पिंजरा उतारा और जिस स्थान पर तेंदुआ अपनी जान बचाकर घंटों बैठा था वहाँ पिंजरा आने पर वह उसमें घुस गया। कर्मियों ने पिंजरे में कैद करके बाद में उसे जंगल में छोड़ दिया। उल्लेखनीय है कि 40 साल पहले गवली पलासिया के कुएं में भी एक तेंदुआ जंगल से भटककर आ गिरा था। तत्कालीन कलेक्टर अजीत जोगी ने सीढ़ी डालकर तेंदुए को बाहर निकालने में मदद की थी।
नील गाय की मौत
जंगलों से भागकर और भटकते हुए हर साल नील गाय भी शहर तक आ धमकती है। इस बार भी एक नील गाय तेलीखेड़ा महू में देखी गई जो बाद में महू शहर के पुराने दशहरा मैदान पर सेना द्वारा की गई फेंसिंग में फंसकर अपनी जान गवां बैठी। बाद में वनविभाग ने पंचनामा बनाकर नील गाय को दफना दिया।
रालामंडल और मानपुर में भी तेंदुआ
इंदौर से सटे रालामंडल में इन दिनों तेंदुए की हलचल तेज होती जा रही है। वहीं महू और मानपुर में तेंदुए के साथ दो महीने से लगातार बाघ नजर आ रहा है। वन विभाग ने इंदौर के आसपास घूम रहे बाघ और तेंदुए के लिए अलर्ट जारी किया है। इन दिनों शहरी क्षेत्र से लेकर जंगलों से सटे गांवों तक में तेंदुए नजर आ रहे हैं। महू में जहां मादा तेंदुआ दो शावकों के साथ घूम रही है, वहीं मानपुर में जानापाव के रास्ते में दो तेंदुए रात के वक्त घूमते हुए लोगों को दिख जाते हैं।
बारिश में बुजुर्ग को निवाला बना चुका बाघ
बारिश के दिनों में महू और मानपुर क्षेत्र में बाघ ने एक बुजुर्ग का शिकार भी कर लिया था। रालामंडल अभयारण्य, जो कि शहरी क्षेत्र का ही हिस्सा हो गया, यहां पर भी तेंदुए ग्रामीणों को नजर आ रहे हैं। इनके शिकार को खाते हुए कई वीडियो भी मिले हैं।
सारी कोशिशें नाकाम, पिंजरे में बकरे का शिकार कर भागा था तेंदुआ
पिछले महीने महू स्थित आर्मी वार कॉलेज परिसर में तेंदुए को पकडऩे की वन विभाग की सारी कोशिश नाकाम हो गई। महीनेभर से परिसर में लगाए पिंजरे को तेंदुए ने तोड़ दिया था। यहां तक कि उसमें रखे बकरे का शिकार भी कर लिया। बाद में परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरे में तेंदुआ नजर आया। उसे जंगल की तरफ जाते देखा गया। घटना के बारे में इंदौर वनमंडल के वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी लगी तो उन्होंने खराब व्यवस्था पर नाराजगी जताई।
पिंजरा घटिया या तेंदुआ ताकतवर
इंदौर-एदलाबाद हाईवे का निर्माण होने से जंगल में वन्य प्राणी प्रभावित हो रहे हैं। वे रिहायशी इलाकों की तरफ जा रहे हैं। कई महीनों से आईआईटी इंदौर और महू आर्मी वार कॉलेज में तेंदुए की मौजूदगी को लेकर प्रमाण मिले थे। दोनों स्थानों पर रेस्क्यू टीम ने तेंदुए को पकडऩे के लिए पिंजरे लगाए लेकिन कामयाबी नहीं मिली। पिछले महीने पिंजरे के नजदीक तेंदुआ आया और उसमें रखे बकरे का शिकार कर भाग गया। बताया जाता है कि पिंजरा जर्जर था जिसमें तेंदुए ने संघर्ष कर खुद को छुड़ा लिया। ऐसे में वन विभाग पर घटिया पिंजरे के इस्तेमाल का आरोप भी लग रहे हैं।
बड़गोंदा में बाघ की मौजूदगी फिर बदल लिया क्षेत्र
इस साल अप्रैल में बडग़ोंदा से लगे सैन्य परिसर में बाघ नजर आया था। फिर जून तक कई मर्तबा बाघ को देखा गया था। सर्चिंग ऑपरेशन के दौरान तीन से चार टीमें बाघ को पकडऩे का प्रयास करती रही। मगर जून-जुलाई में बाघ का मूवमेंट मानपुर में रहा। इसके चलते वहां से वन विभाग ने अपनी टीमें हटा दीं लेकिन अगस्त से बाघ ने अपना नया अधिकार क्षेत्र बना लिया।