700 करोड़ रुपए का स्मार्टपोल प्रोजेक्ट खा रहा धूल

स्वतंत्र समय, भोपाल

स्मार्ट सिटी के स्मार्ट पोल शहरवासियों के लिए फुस्सी बम निकले। 400 स्मार्ट पोल से शहर के हर गली, कोने, सडक़ की मॉनीटरिंग करने का दावा था। इलेक्ट्रिकल व्हीकल को चार्जिंग पाइंट के साथ प्रदूषण का रियल टाइम डाटा और वाइफाइ सुविधा मिलना थी, लेकिन स्मार्ट सिटी मिशन ही समाप्त होने वाला है ओर ये खंभे सामान्य स्ट्रीट लाइट की तरह रह गए हैं। हैरानी ये कि इस पूरे प्रोजेक्ट पर शहर की आमजनता की गाढ़ी कमाई के 700 करोड़ रुपए खर्च किए गए। अब इस खर्च का हिसाब कौन मांगेगा ये भी बड़ा सवाल है। नई सरकार का गठन होना है और इस बड़े भ्रष्टाचार पर उसे ध्यान देने की जरूरत है।

यहां सफल हैं स्मार्ट पोल

नई दिल्ली नगर निगम ने 55 स्मार्ट पोल कनाट प्लेस पर स्थापित कराए। इसमें एनर्जी सेविंग एलइडी जो उजाले के अनुसार कम या ज्यादा होती है, वाइफाइ कनेक्टिविटी है, ताकि इनके आसपास हर मोबाइल धारक को बेहतर इंटरनेट सेवाएं मिल सकें। एयर सेंसर से वायु प्रदूषण की स्थिति रियल टाइम मिल पा रही है। आसपास के 46 स्कूल-कॉलेजों में इससे पेनिक बटन लिंक किया, दिक्कत में इससे तुरंत राहत ली जा रही है। 360 डिग्री पर 100 मीटर दूरी तक नजर रखने वाले कैमरे भी काम कर रहे हैं। गुवाहाटी में 48 स्मार्ट पोल स्थापित किए गए। ये पार्क के अंदर और बाहर के साथ बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, विवि, स्टेडियम जैसी जगह पर भी लगाए। इनसे अब सर्विलांस सिस्टम जोडकऱ इन क्षेत्रों की मॉनीटरिंग मजबूत कर दी है, जिससे अपराध घटे। वाइफाइ दिया, ताकि पार्क, स्कूल-कॉलेज में आसानी से इंटरनेट सुविधा मिल जाए, पेनिक बटन जोड़ दिया, ताकि तुरंत राहत मिल जाए, इवी चार्जर पाइंट जैसी सुविधाएं बेहतर तरीके से काम कर रही है।

भोपाल में मनमर्जी से लगाए खंभे, बेकार हो गए

भोपाल में 400 स्मार्ट पोल में से महज 100 ही स्थापित हुए। मुख्य रोड के बीच में खंभे लगा दिए, जिससे इवी पाइंट लगाने की स्थिति ही नहीं रखी। फायर अलार्म का दावा है, लेकिन खंभे ऐसे लगे जहां आग लगने पर भी धुआं नहीं पहुंच सकता। चलती रोड पर वाइफाइ चालू भी रहते तो किसी को लाभ नहीं मिलता। सर्विलांस कैमरा, एयर सेंसर जैसी सुविधाएं भी नहीं है। सिर्फ एलइडी लाइट है और डिजिटल बोर्ड लगा है, जिसपर इनकी स्पॉसरशीप वाली कंपनियों के फ्री में विज्ञापन चलते रहते हैं।

इस मामले में ये कहते हैं

एक्सपर्टत्न वीके चतुर्वेदी ने कहा कि रिटायर्ड प्रशासनिक अधिकारी जब तक जो चल रहा चलने दो की नीति रहेगी। बिना प्लान के ऐसे ही प्रोजेक्ट लगेंगे और फेल होंगे। यदि सर्विलांस कैमरा है तो देखना होगा कि ये वहीं लगे जहां अपराध ज्यादा होता है या मॉनीटरिंग की जरूरत ज्यादा है। वाइफाइ लगाना है तो सार्वजनिक स्थलों को चुनना चाहिए। इवी पाइंट के लिए भी मुख्यमार्ग के पास, लेकिन चलती रोड से हटकर स्थापना हो। यहां ऐसा कुछ नहीं हुआ, जिसका नुकसान शहर को हुआ। जांच ओर कार्रवाई की जाना चाहिए।