मी-लॉर्ड को सैल्यूट… 52 हजार केस निपटाए

स्वतंत्र समय, नई दिल्ली

देश की अदालतों में पेंडिंग केसों की लगातार बढ़ती संख्या पर न्यायपालिका अब कमी लाने के लिए एक्टिव हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने केवल इसी साल 52 हजार से ज्यादा केसों का निपटारा करके इस दिशा में तेजी दिखानी शुरू कर दी है। यह पिछले साल से 13 हजार ज्यादा है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी एक प्रेस रिलीज में बताया गया है कि 2022 में सिर्फ 39 हजार 800 केसों का निपटारा किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस साल तीन हजार से ज्यादा उन केसों का निपटारा किया, जो पुराने थे। इसके अलावा 49,191 केस सुनवाई के लिए नए आए।

मुख्य न्यायाधीश की पहल

पांच करोड़ से ज्यादा केस अदालतों में विचाराधीन हाल ही में संसद में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया था कि देश की अदालतों में 5 करोड़ से ज्यादा केस विचाराधीन हैं। अकेले सुप्रीम कोर्ट में ही 80 हजार से ज्यादा केसों का निपटारा होना बाकी है।  इस साल तीन हजार पुराने केसों की सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट की प्रेस रिलीज के मुताबिक मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने ज्यूडिशियल सिस्टम को और बेहतर बनाने के लिए पहल की है। सबसे पहला काम यह किया गया है कि अब केसों के दाखिल होने के बाद उसकी सुनवाई की समय सीमा कम कर दी गई है। यानी पहले केस के दाखिल होने के बाद सुनवाई में 10 दिन लगते थे। अब यह 5 या 7 दिन के अंदर हो जाती हैं।

जमानत और अग्रिम जमानत पर तुरंत सुनवाई

इसी तरह अब जमानत और अग्रिम जमानत के मामले एक दिन में या फिर तत्काल सुनवाई पर लगा दिए जाते हैं। इससे केस निपटाने की रफ्तार बढ़ी है। इस साल जिन खास केसों की सुनवाई हुई है, उनमें जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधान खत्म करने के केंद्र के फैसले को मंजूरी देने वाली ऐतिहासिक व्यवस्था तथा समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने से इनकार करना शामिल है। विज्ञप्ति में कहा गया है उनके कार्यकाल में, मामलों को सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया में उल्लेखनीय बदलाव आया। मामले के सत्यापन के बाद सूचीबद्ध होने तथा दाखिल करने तक का समय 10 दिन से घटाकर सात से पांच दिन कर दिया गया है।