स्वतंत्र समय, इंदौर
कोरोना अब डराने लगा है। घनी बसाहट वाले क्षेत्र में स्थिति चिंताजनक बन सकती है। स्वास्थ्य विभाग अपने स्तर पर अब तैयारियों में जुट गया है। हालांकि सावधानी में ही समझदारी है और कोरोना जिस ढंग से आंकड़ों में दस्तक दे रहा है, वह कभी-भी भयावह हो सकता है। विभाग हालांकि अब तक मिले मरीजों के बारे में यही राय दे रहा है कि घबराने वाली बात नहीं है लेकिन वायरस की प्रकृति लगातार बदल रही है। ऐसे में सुरक्षा जरूरी है। बुधवार को कोविड के दो और मामले सामने आए हैं। वहीं पलासिया क्षेत्र की कोविड पॉजिटिव आई महिला की कोलकाता की गत दिनों कोलकाता यात्रा की ट्रेवल हिस्ट्री मिली है।
इस समय कोविड के लिए 5800 बेड का इंतजाम है और जरूरत पडऩे पर इसकी क्षमता 12 हजार तक की जा सकती है। इस साल अब तक कुल पांच मरीज सामने आ चुके हैं, जिनमें से तीन एक्टिव केस हैं। कोरोना का शिकार हुए तीन मरीजों की ट्रेवर्ल्स हिस्ट्री मिली है। वे दूसरे शहरों में घूमने गए थे और कोरोना का शिकार हुए। उनके संपर्क में आए परिजनों व लोगों की जांच भी की जा रही है। वहीं अब अस्पतालों में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ इलाज किया जा रहा है।
12 टेस्टिंग सेंटर चल रहे : स्वास्थ्य विभाग
कोरोना के नए मरीजों के आने के बाद ही अब स्वास्थ्य विभाग अपने इंतजामों की समीक्षा में जुट गया है। इसमें दवाओं के स्टॉक के साथ ही ऑक्सीजन की उपलब्धता आदि का जायजा लिया जा रहा है। वहीं कोविड के नोडल अधिकारी डॉ. अमित मालाकार के मुताबिक इस समय कोविड के 12 टेस्टिंग सेंटर चल रहे हैं जिसमें से छह शहरी क्षेत्रों में तो छह ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे हैं। वहीं ऑक्सीजन उत्पादन के 36 प्लांट भी काम कर रहे हैं। इसमें 12 को मामूली रखरखाव की जरूरत है।दूरी के साथ ही अब मास्क पर फिर जोर स्वास्थ विभाग के अनुसार बुधवार को मिले दो मरीज पलासिया क्षेत्र के हैं, जबकि एक मरीज त्रिवेणी कॉलोनी का है। तीनों मरीज ए सिम्टोमेटिक है और होम आइसोलेशन में ठीक हो रहे है। फिलहाल इंदौर में तीन एक्टिव मरीज है, बाकी दो पहले से स्वस्थ हो चुके हैं। कोरोना के नए मामले आने के बाद फिर लोग मास्क पहने नजर आने लगे हैं। क्लिनिकों में भी मरीजों को सोशल डिस्टेंस के साथ बैठाकर डॉक्टर इलाज कर रहे हैं।
इस साल जनवरी और अप्रैल में कोरोना से गई दो की जान!
कोरोना जानलेवा अब भी बना हुआ है। इसका उदाहरण इसी साल शहर में एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की मौत से मिलता है। बताया जाता है कि मरीज को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था और इसके बाद से ही उसकी हालत गंभीर थी। मृतक नवल किशोर शर्मा एक स्वतंत्रता सेनानी थे और 1942 में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वे 18 दिनों के लिए जेल भी गए थे। नवरतन बाग कॉलोनी मरीज 2 अप्रैल को पॉजिटिव आए थे, 7 अप्रैल तक होम आइसोलेशन में रहे और 8 अप्रैल को सांस लेने में तकलीफ पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। भर्ती होने के बाद से उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। उसे ब्लड प्रेशर और डायबिटीज भी था। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने अभी तक आधिकारिक आंकड़ों में उसकी मौत की गिनती नहीं की है और समीक्षा करने की बात कही थी। वहीं जनवरी में भी एक मौत आंकड़ों में दर्ज की गई थी।
कोविड मृतकों के आंकड़ों में नहीं जोड़ा था
इस मामले में जिला कोविड-19 के नोडल अधिकारी डॉ अमित मालाकार ने कहा कि आधिकारिक आंकड़ों में मामला नहीं जोड़ा गया क्योंकि लगभग 10 दिन पहले उनका परीक्षण सकारात्मक था। उन्होंने कहा था कि हम मामले की समीक्षा करेंगे और उस पर निर्णय लेंगे। अगर यह कोविड से मौत का मामला था, तो इसे आधिकारिक आंकड़ों में जोड़ा जाएगा। 2023 में जनवरी के पहले सप्ताह में भी एक मौत हुई थी।
वैरिएंट का पता लगाने सैंपल भेज रहे, लेकिन रिपोर्ट का अता-पता नहीं
कोविड 19 ने यह तय है कि बदले हुए स्वरूप में दस्तक दी है और स्वास्थ्य विभाग बतौर एहतियात भोपाल एम्स में सैंपल भी भेज रहा है। इसका मकसद कोरोना के नए सब वैरिएंट का पता लगाना है। मजे की बात यह है कि पूर्व में भेजे गए तीन सैंपलों की रिपोर्ट अभी तक आई नहीं है। ज्ञात हो कि शहर में अब तक कोरोना के दो लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके है और 1400 से ज्यादा लोगों की कोरोना की वजह से मौत हो चुकी है।
होम आइसोलेशन में भेजा, रिपोर्ट का इंतजार
जिला महामारीविद डॉ. अंशुल मिश्रा के मुताबिक तीनों एक्टिव केस होम आइसोलेशन में है। वहीं भोपाल एम्स में सैम्पल भेजे गए हैं जिसकी रिपोर्ट का इंतजार है। एमजीएम के डीन डॉ. संजय दीक्षित के मुताबिक हमें जीनोम रिपोर्ट का इंतजार है।