स्वतंत्र समय, भोपाल
विधानसभा चुनाव में मिली बंपर जीत के बाद भाजपा मप्र में सभी 29 लोकसभा सीटों को जीतने की रणनीति पर काम कर रही है। पार्टी एक-एक सीट के गणित पर मंथन कर रही है। क्षेत्रीय समीकरणों को साधने के लिए जमावट की जा रही है। इस जमावट में यह तथ्य सामने आया है कि प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से 6 सीटें ऐसी हैं जहां से मप्र मंत्रिमंडल में कोई मंत्री नहीं है। ऐसे में पार्टी इन सीटों पर अधिक फोकस करेगी।
इन लोकसभा क्षेत्रों की विधानसभा क्षेत्रों में मंत्रियों की सक्रियता बढ़ाई जाएगी। मंत्रिमंडल विस्तार के पहले ही इस बात की पूरी उम्मीद थी कि पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए क्षेत्रीय समीकरणों पर विशेष ध्यान देगी। केंद्रीय नेतृत्व से भी इसी तरह के निर्देश मिलने की बात सामने आ रही थी। वैसा ही हुआ भी। मोहन मंत्रिमंडल में इसकी झलक भी देखने को मिली। कुल मिलाकर इन लोकसभा क्षेत्रों में भाजपा की जीत के लिए भी इन मंत्रियों को जी-जान से जुटना पड़ेगा। विधानसभा चुनाव में पार्टी द्वारा संकल्प पत्र में किए गए वादों को सरकार के माध्यम से अपने-अपने क्षेत्र में पूरा करने की जिम्मेदारी इन पर रहेगी। सरकार में ओबीसी मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव, एक अनुसूचित जाति और एक अनारक्षित उप मुख्यमंत्री के साथ 13 ओबीसी, पांच एसी और पांच एसटी ( इनमें पांच महिला शामिल हैं) मंत्री बनाकर सबका साथ, सबका विकास-सबका विश्वास और सबका प्रयास सिद्ध करने का प्रयास हुआ है।
गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने प्रदेश की 29 में से 28 सीटें जीती थी। इस बार पार्टी ने छिंदवाड़ा सीट को भी जीतने का टारगेट रखा है और इसकी रणनीति पर पहले से ही काम किया जा रहा है। लेकिन विधानसभा चुनाव में यहां भाजपा को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। छिंदवाड़ा की एक भी सीट भाजपा नहीं जीत पाई है। इसलिए लोकसभा चुनाव को लेकर यहां अधिक फोकस की रणनीति पर काम किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि नई सरकार बनते ही प्रदेश में सत्ता-संगठन की बैठकों का मुख्य एजेंडा अब मिशन 2024 ही हो गया है। प्रदेश में भाजपा के पास अभी 29 में से 28 सीटें हैं, छिंदवाड़ा एकमात्र सीट है जो कांग्रेस के पास है। भाजपा ने अब आगामी लोकसभा चुनाव में सभी 29 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। मप्र भाजपा के मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल का कहना है कि संगठनात्मक तौर पर नेतृत्व की सभी क्षेत्रों पर नजर है। मंत्रिमंडल में भी सभी वर्गों और क्षेत्रों को ध्यान रखा है। आगामी चुनाव की दृष्टि से संगठन की ओर से सभी क्षेत्रों के प्रभारी भी तैनात किए जाएंगे। किसी क्षेत्र की अनदेखी जैसी बात नहीं है। विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत के बाद भाजपा ने मिशन-2024 यानी लोकसभा चुनाव में जीत के लिए बिसात बिछा दी है। प्रदेश के 29 लोकसभा क्षेत्रों में से 23 का मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व हो गया है। बालाघाट, छिंदवाड़ा, धार, गुना, खंडवा और खरगोन लोकसभा क्षेत्र से कोई मंत्री नहीं है। छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में आने वाली सभी सात विधानसभा सीटों से कांग्रेस जीती थी। इस कारण यहां से किसी को मंत्री बनाना संभव नहीं था। धार लोकसभा क्षेत्र में आने वाली आठ विधानसभा सीटों में तीन में भाजपा और बाकी में कांग्रेस जीती थी।
मंत्रियों का प्रभार देकर किया जाएगा तैनात
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में भले ही भाजपा ने प्रचंड बहुमत के साथ 163 सीटों पर जीत दर्ज कराई लेकिन प्रदेश की 29 में से आधा दर्जन लोकसभा सीटें ऐसी भी हैं जहां वोट प्रतिशत में कांग्रेस को बढ़त मिली है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सहित 31 सदस्यीय मंत्रिमंडल में भाजपा हाईकमान ने सियासी, जातीय और क्षेत्रीय समीकरण साधने के प्रयास किए। इसके बावजूद बालाघाट, छिंदवाड़ा, धार, गुना, खंडवा और खरगोन को प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया। छिंदवाड़ा लोकसभा की सातों सीटों पर कांग्रेस काबिज हुई है। इसलिए माना जा रहा था कि पड़ोसी सिवनी-बालाघाट जिले को प्रतिनिधित्व देकर भरपाई होगी लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। अब सत्ता-संगठन के सूत्रों का दावा है कि सभी 29 सीटें जीतने के लिए हर संभव जतन करेंगे। मंत्रियों को विभाग वितरण के साथ जिलों का प्रभारी बनाकर ऐसे क्षेत्रों को प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। मध्यप्रदेश में मोहन मंत्रिमंडल गठन के साथ ही भाजपा हाईकमान ने सत्ता-संगठन के प्रमुख नेताओं को अब लोकसभा की सभी सीटें जीतने का टारगेट दे दिया है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि डैमेज कंट्रोल के लिए कैबिनेट गठन में छिंदवाड़ा के पड़ोसी जिले सिवनी अथवा बालाघाट को प्रतिनिधित्व देकर इसकी भरपाई होने की उम्मीद थी। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया, अब मंत्रियों को विभाग वितरण के बाद सभी लोकसभा क्षेत्रों के जिलों का प्रभार सौंपकर इसकी भरपाई की जाएगी। भाजपा हाईकमान ने इस बार छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर भी कमल खिलाने का संकल्प लिया है। कांग्रेस को प्रदेश के सात लोकसभा क्षेत्रों (मुरैना, मंडला, खरगोन, छिंदवाड़ा, धार, ग्वालियर और भिंड) में तुलनात्मक रूप से भाजपा से ज्यादा वोट मिले थे। इनमें से मुरैना, मंडला, ग्वालियर और भिंड को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व मिल गया, लेकिन बाकी जिलों की अनदेखी हो गई।