काशी का कलश, सरयू के जल से रामलला का अभिषेक

स्वतंत्र समय, अयोध्या

धर्मनगरी काशी में तैयार कलश में सरयू का जल लेकर भक्त रामलला का अभिषेक करेंगे। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा से पहले वाराणसी में एक लाख से ज्यादा तांबा, पीतल और कांसे का कलशनुमा लोटा तैयार किया जा रहा है। अयोध्या के लिए पांच लाख कलश का आर्डर काशी के कारोबारियों को मिला है। चौक में कसेरा परिवार 15 जनवरी से पहले इन कलश को तैयार कर अयोध्या भेजेगा। अयोध्या के श्रीराम मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए काशी से बनारसी वस्त्र, पूजा थाल और अन्य जीआई उत्पादों का जाना शुरू हो गया है।

वहीं, लकड़ी का श्रीराम दरबार और बनारसी दुपट्टा, रामनामी, स्टोन क्राफ्ट जाली वर्क, जरदोजी, वॉल हैंगिंग समेत अन्य उत्पाद बड़ी संख्या में अयोध्या मंगाए जा रहे हैं। कारोबारियों के अनुसार जनवरी से फरवरी माह तक काशी-अयोध्या के बीच लगभग दो हजार करोड़ का कारोबार होना तय है। जीआई विशेषज्ञ डॉ. रजनीकांत ने बताया कि उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक जीआई उत्पादों की शृंखला काशी में है। हैंडीक्राफ्ट और हैंडलूम में काशी से बेहतर उत्पाद कहीं नहीं बनता है। अयोध्या में सबसे अधिक जीआई उत्पाद काशी के बिक रहे हैं। काशी में तैयार पीतल के घंटे, हाथ की घंटी, पूजा थाल, लोटा, सिंहासन, कलश, छत्र, चंवर, पूजा डोलची, दीपदान, लकड़ी के राम दरबार, वॉल हैंगिंग में अयोध्या राम मंदिर, स्टोन क्राफ्ट जाली वर्क, बनारसी दुपट्टा, बनारसी साड़ी समेत अन्य उत्पादों के ऑर्डर मिले थे जो कि पूरे हो चुके हैं और अब उन्हें भेजा जा रहा है। चौक निवासी मेटल क्राफ्ट के स्टेट अवार्डी अनिल कुमार कसेरा ने बताया कि मेटल क्राफ्ट में ही 50 लाख से अधिक के आर्डर मिले हैं। काशी के उत्पादों के सबसे ज्यादा ऑर्डर अयोध्या से मिल रहा है। नेशनल अवार्डी रामेश्वर सिंह ने बताया कि लकड़ी के राम दरबार के सवा लाख ऑर्डर पूरे किए जा चुके हैं। अभी एक लाख ऑर्डर और मिले हैं। पहले काशी से ही अयोध्या में वस्त्र, आभूषण, बर्तन आदि भेजे जाते थे।

त्रेता युग की झलकियां

अयोध्या में मंदिर तक पहुंचने में संघर्ष न करना पड़े इसका भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है। राम, भक्ति, जन्मभूमि और धर्म पथ को संवारा जा रहा है। अयोध्या एयरपोर्ट, स्टेशन पहुंचने वाली सडक़ों के साथ-साथ पैदल यात्रियों के लिए फुटपाथ भी सजाए जा रहे हैं। अयोध्या स्टेशन का पहला चरण 2022 में ही पूरा किया जा चुका है। त्रेता युग की झलकियों को भी कलाकारों और शिल्पकारों की मदद से हर प्रमुख स्थान पर उकेरा जा रहा है। स्टेशन से एक किलोमीटर की पैदल यात्रा के बाद राम मंदिर पहुंचा जा सकेगा।