रामराज्य को संकल्पित नया साल

अयोध्या में स्थापित भव्य मन्दिर और इसके ऐतिहासिक आयोजन में मध्यप्रदेश की भागीदारी बेमिसाल है…

डॉ.ब्रह्मदीप अलूने

प्राध्यापक/लेखक

राम भारतीय संस्कृति की सहिष्णुता, समन्वय और सार्वभौमिक चरित्र और मान्यताओं की पहचान है। वे हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। राम का चरित्र और हमारी सभ्यता का विकास साथ साथ चलने वाली वह अवस्था है जिसने इस राष्ट्र को मजबूत करने में सदा योगदान दिया है। मानवीय मूल्यों और आदर्शों पर आधारित एक आदर्श शासन का भारतीय आदर्श है। राम राज्य,जिसकी स्थापना की हम सब कामना करते है। राम के कई अर्थ है,उनमें मर्यादा, करुणा, दया, सत्य, सदाचार भारतीय संस्कार, धर्म, दर्शन, सादगी, सद्व्यवहार और अनुपम मानवीय मूल्यों पर आधारित जीवन प्रतिबिम्बित होता है। राम अनादी अनंत से इस पावन भूमि के पालनकर्ता है।

राम का संबंध सभ्यताओं के विकास से ही रहा है और यह मानव मस्तिष्क से ही हजारों वर्षों से समृद्द होता रहा। इस समृद्धि के जीवंत दर्शन करने के लिए करोड़ों लोग लालायित है और नया साल उनके लिए अनुपम उपहार लेकर आया है। अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। आगामी 22 जनवरी राम मंदिर का उद्घाटन होने जा रहा है।

राम इस महाद्वीप के रोम रोम में है,इसलिए वे किसी भी देश की राष्ट्रीय अस्मिता से सहज ही जुड़ जाते है। दक्षिण पूर्व एशिया स्थित देश थाईलैंड भी प्रभु श्रीराम के जीवन से प्रेरित है। थाईलैंड में राजा को राम कहा जाता है। राज परिवार अयोध्या नामक शहर में रहता है। थाईलैंड में थेरावाद बौद्ध के मानने वाले बहुमत में हैं, फिर भी वहां का राष्ट्रीय ग्रंथ रामायण है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए थाईलैंड के राजा ने वहां की मिट्टी भेजी है। कंबोडिया से सुगंधित हल्दी आई है। अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा और रामलला के जलाभिषेक के लिए श्रद्धालु नेपाल की 16 पवित्र नदियों का जल लेकर अयोध्या पहुंच चुके हैं।

यह भी दिलचस्प है कि नए साल में मध्यप्रदेश में भी राम राज्य स्थापित करने की पूर्ण तैयारी है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करने के बाद से ही राम राज्य के सुशासन को धरातल पर उतारना प्रारंभ कर दिया है। अल्पकाल में ही लिये उनके लिए गये फैसले सुशासन के सशक्तिकरण के लिये बढ़ते कदमों के परिचायक हैं। राम राज्य के आदर्शों पर चलकर सुखी, सम्पन्न और खुशहाल समाज की स्थापना की जा सकती है। ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने का उनका निर्णय ऐतिहासिक और बहुउपयोगी माना जा रहा है, वहीं उन्होंने साफ किया है कि प्रशासन का हर स्तर पर विकेंद्रीकरण होगा, जिससे कि सभी विकास में बेहतर सहभागिता कर सकें।

डॉ.मोहन यादव ने विधानसभा के पहले सत्र में ही नव निर्वाचित सदस्यों के लिये प्रशिक्षण की समुचित व्यवस्था के प्रावधान करने के न केवल संकेत दिये बल्कि दिशा-निर्देश भी दिये। उन्होंने प्रदेश में जन-कल्याण के साथ ही कानून व्यवस्था को सशक्त बनाने के लिये स्पष्ट रूप से निर्देश दे दिये हैं। पुलिस अपना कार्य बेहतर ढंग से कर सके, इसके लिये समस्त आवश्यक प्रबंधों के साथ ही प्रोत्साहन भी दिया जाना जरूरी है। प्रदेश में प्रत्येक स्तर पर त्वरित पारदर्शी उत्तरदायी और संवेदनशील शासन व्यवस्था को सुनिश्चित करने की दिशा में प्रभावी कदम उठाये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बेहतर शासन-प्रशासन के लिये बेहतर पीढ़ी निर्माण पर फोकस करते हुए प्रत्येक जिले में पीएम उत्कृष्टता महाविद्यालय बनाने का अभूतपूर्व निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि इससे विद्यार्थियों के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास होगा। डॉ.यादव ने कहा है कि नई शिक्षा नीति देश के विकास का आधार बनेगी।

इन सबके बीच अयोध्या में स्थापित भव्य मन्दिर और इसके ऐतिहासिक आयोजन में भी मध्यप्रदेश की भागीदारी कमाल की है। यहां दीवारों की नक्काशी से लेकर पत्थर लगाने का काम किया जा रहा है। इसी में श्रीराम के साथ ही भगवान शिव का मंदिर भी बनाकर तैयार हो गया है। इसमें जल्द ही शिवलिंग स्थापित की जाएगी। यह शिवलिंग प्राकृतिक है, जिसे मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में ओंकारेश्वर से लाया गया है। ओंकारेश्वर 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है।

मध्य प्रदेश के बैतूल में सनातन धर्म का प्रचार कर रहे भोजपाली बाबा को अयोध्या श्रीराम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण आया है। निमंत्रण आने से बाबा खुश हैं और उनके भक्तों में भी खुशी है। बाबा ने संकल्प लिया था कि जब तक भव्य राम मंदिर नहीं बनेगा तब तक अविवाहित रहेंगे।

मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी और देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में हमेशा नए-नए नवाचार किए जाते हैं, जिसकी वजह से शहर की खूब तारीफ भी होती है। अयोध्या के राम मंदिर की तर्ज पर इंदौर में हूबहू राम मंदिर बनाकर तैयार किया गया है। इस मंदिर को 21 टन लोहे के कबाड़ से 3 महीने के अंदर बनाकर तैयार कर दिया गया है। मात्र 20 मजदूरों द्वारा मंदिर का निर्माण किया गया है। खास बात यह है कि इन 20 मजदूर में पांच मुस्लिम कारीगर शामिल हैं जिन्होंने बड़ा योगदान इसमें दिया है। अभी मंदिर की पूरी प्रतिकृति बनाकर तैयार कर दी गई है। ये शहर के बीचों बीच रणजीत हनुमान मंदिर के पीछे विश्राम बाग में बनाकर तैयार किया गया है।

इंदौर में बनाए गए राम मंदिर की खासियत की बात करें तो ऊंचाई में ये 27 फीट, इसकी चौड़ाई 26 फीट और लंबाई 40 फीट है। मंदिर दिखने में हूबहू अयोध्या के राम मंदिर जैसा है। वेस्ट टू आर्ट और स्पेशली आयरन स्क्रैप की मदद से 20 मजदूरों द्वारा तैयार किया गया है। दुनिया में ये ऐसी पहली प्रतिकृति होगी जिसे 21 टन स्क्रैप से बनाया गया है। इसे बनाने के लिए जो स्क्रैप का इस्तेमाल किया गया है वो इलेक्ट्रिसिटी के पोल, बगीचों में से निकलने वाले झूलों का स्क्रैप, गाडिय़ों के नट बोल्ट आदि से लिया गया है। देखने में ये प्रतिकृति बेहद सुंदर और आकर्षित है।

मध्यप्रदेश से अयोध्या के राममंदिर के लिए खुशबूदार फूल और घास के साथ कुछ खास पेड़ भेजे जा रहे हैं। ये न केवल राम मंदिर अयोध्या को हरा-भरा रखेंगे, बल्कि पूरे परिसर को हमेशा महकाते रहेंगे। मानवीय सम्बन्धों के आदर्श रूप राम युगों-युगों से भारतीय संस्कृति की विशेषताओं को अभिव्यक्त करते रहे हंै, जनमानस को आनन्द और शांति प्रदान करते रहे हैं। भारत का हर नागरिक इस राष्ट्र की संस्कृति और सभ्यता पर राम के प्रभाव को भलीभांति जानता है और उस परमसत्ता को स्वीकार भी करता है।

नया साल में भारत को अयोध्या से वह खुशियां मिलने जा रही हैं जिसका भारत भूमि की पवित्रता को स्वीकार करने वालों को सैकड़ों सालों से इंतजार था। नया साल अनगिनत अभूतपूर्व पलों को सहेजने के लिए युगों-युगों तक याद किया जाएगा तथा इस उत्सव से निकलने वाली खुशियां निश्चित है सशक्त और राम के समर्थ भारत का मार्ग प्रशस्त करेगी।