स्वतंत्र समय, शिवपुरी
जिले भर की अधिकांश ग्राम पंचायतों में गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य करवाए जा रहे हैं, फिर भी जिम्मेदार अधिकारी उन्हें पास कर देते हैं। ऐसी स्थिति में लाखों रुपये खर्च करके किए जा रहे अधिकांश निर्माण कार्य के बाद चंद महीने भी नहीं टिक पाते और जो साल-दो साल टिके भी रहते हैं, वे किसी काम के नहीं रहते। इसकी वजह कमीशनखोरी है। सबकुछ डिजिटल होने के बावजूद कमीशन खोरी खत्म होने के बजाय तेजी से बढ़ती जा रही है।
गौरतलब है कि जिले अन्तर्गत आठ जनपद पंचायतों की ग्राम पंचायतों में अधिकांश घटिया निर्माण और जेसीबी व ठेके से मनरेगा योजना के कार्य करवाने की शिकायतें मिल रही हैं, फिर भी जिम्मेदारों द्वारा गड़बड़ी करने वाले सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक से लेकर कमीशनखोरी करने वाले अन्य अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती है। इससे अधिकांश पंचायतों में करवाए जा रहे निर्माण कार्यों की गुणवत्ता गायब हो गई है। सूत्रों की मानें तो निर्माण कार्यों की 50 फीसद के करीब राशि तो सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक से लेकर इंजीनियर व सहायक यंत्री स्तर के अधिकारियों को कमीशन के तौर पर बांट दी जाती है। शेष बची हुई 50 फीसद राशि से ठेकेदार को काम करवाना होता है। इसमें मटेरियल से लेकर उसकी मजदूरी और मुनाफा भी शामिल रहता है। इस वजह से निर्माण कार्यों की गुणवत्ता में सुधार नहीं हो पा रहा है। ठेकेदार के कारिंदे दबी जुबान इस स्थिति को स्वीकार करते हैं, लेकिन ऑन रिकार्ड मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं।
मजदूरों के मोबाइल पर बस टिन-टिन का मैसेज, खेल सरपंच-सचिव कर रहें!
मेघोनाबड़ा ग्राम पंचायत के दर्जनों मनरेगा मजदूर ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया हमारी टीम को, उनके मोबाइल में सिर्फ मजदूरी का पैसा आने का टिन-टिन का मैसेज आता है, उन्हें आज तक न तो पंचायत ने काम दिया है नहीं, एक रुपये की मजदूरी का भुगतान। ग्रामीणों का कहना है कि गांव के सभी जॉबकार्डधारी मजदूरों के बैंक खाता खुलवाने के बाद उनके एटीएम सरपंच-सचिव ने रख लिए हैं। एटीएम से मजदूरों से खातों का पैसा निकालकर बंदरबांट होता है। ऐसें हालत कई पंचायतों में हैं और कुछ पंचायतों के सरपंच-सचिव व रोजगार सहायक ने अपने परिचित के नाम से कियोस्क बैंक खुलवा लिए हैं, जिससे मनरेगा मजदूरों का पैसा फर्जी तरीके से खुद निकाल रहे हैं।
236 के 236 मजदूर कर रहे कागजों में मजदूरी
मेघोनाबड़ा के सचिव पुरुषोत्तम कुशवाहा पर ही रोजगार सहायक का प्रभार होने की वजह से सचिव पुरुषोत्तम कुशवाहा के द्वारा पंचायत में मनचाही मनमानी की जा रहीं है गौरतलब है की पंचायत सचिव ने लुज बोल्डर निर्माण कार्यों में 236 मजदूरों की उपस्थिति हाजिरी डाली जिसमें हमारी टीम ने मौका मुआयना किया तो एक भी मजदूर उपस्थित नही मिला और जब इन मजदूरों के बारें में सचिव से फोन पर जानकारी लेना चाही तो सचिव का फोन बंद बताया।
कार्य पूर्ण के बाद भी डालें जा रहे फर्जी मस्टर
जनपद पंचायत में मॉनिटरिंग करने के लिए अधिकारी तो पदस्थ है लेकिन इनकी मॉनिटरिंग कागजों तक ही सिमटकर रह रहीं है। उल्लेखनीय है की ग्राम पंचायत मेघोनाबड़ा में सीसी सडक़ का निर्माण होना था जोकि सरपंच-सचिव ने पूरा तो करा दिया लेकिन उक्त निर्माण में फर्जी मस्टर डालें पिछले सप्ताह डाले गए और लाखों रुपये की राशि फर्जी तरीके से निकाली जा रहीं है और इस राशि को निकलवानें में मॉनिटरिंग अधिकारी भी पंचायत कर्मियों की मदद कर रहें है। सबसे बड़ा सवाल यह है की मजदूरों के नाम से फर्जीवाडा़ किया जा रहा हैं।