स्वतंत्र समय, इंदौर
इंदौर की आधी आबादी लाइफस्टाइल जनित बीमारियों का शिकार हो सकती है, हेल्थ ऑफ इंदौर अभियान के तहत 2 लाख से ज्यादा लोगों के 20 लाख से ज्यादा टेस्ट किए गए हैं, जिसमें कई पैरामीटर पर सर्वे में शामिल लोगों की स्थिति चिंताजनक है। विश्व का एक ही शहर में आयोजित हुआ यह सबसे बड़ा प्रीवेंटिव हेल्थ केयर सर्वे हेल्थ ऑफ इंदौर के नाम से इंदौर में हुआ है और इस कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मांडवीया मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला सम्मिलित हुए।हेल्थ ऑफ इंदौर का यह अभियान सांसद सेवा संकल्प, सेंट्रल लैब, रेड क्रॉस सोसाइटी एवं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा मिलकर किया गया।केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मांडवीया ने इंदौर की तारीफ करते हुए कहा कि इंदौर का प्रीवेंटिव हेल्थ केयर मॉडल बेहद अद्भुत है और इसे पूरे देश में लागू करने के लिए इंदौर से डाटा लिया जाएगा।मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने सांसद शंकर लालवानी की तारीख करते हुए कहा कि इंदौर का प्रीवेंटिव हेल्थ केयर का मॉडल पूरे मध्य प्रदेश में लागू करने के प्रयास होंगे।
सांसद शंकर लालवानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडवीया जी का आभार मानते हुए कहा कि हेल्थ ऑफ इंदौर एक बेहद यूनिक मॉडल है और पूरे देश को स्वस्थ बनाने के लिए यह एक अद्भुत पहल है।डॉ विनीता कोठारी ने हेल्थ ऑफ इंदौर अभियान के तहत 2 लाख लोगों के 20 लाख लोगों के सर्वे किस तरह से किए गए हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस डाटा की मान्यता के बारे में बताया साथ ही डॉक्टर कोठारी ने कहा कि कुछ पैमानों पर इंदौर की स्थिति बेहद चिंताजनक है।हेल्थ ऑफ इंदौर सर्वे मैं ङ्ख॥ह्र के हवाले से एक आंकड़ा प्रस्तुत किया गया, जिसके मुताबिक लाइफस्टाइल डिजीज के कारण भारत में 2030 तक 6 ट्रिलियन डॉलर का बोझ पड़ सकता है, इसी आंकड़े को जब इंदौर के संदर्भ में लागू किया गया तो इसके मुताबिक अगर लाइफस्टाइल डिजीज पर कंट्रोल न किया गया तो इंदौर को करीब 15000 करोड रुपए खर्च करने पड़ सकते हैं यह खर्च व्यक्ति पर परिवार पर समाज पर एवं राष्ट्र पर भी एक भोज है और इससे राष्ट्र की प्रोडक्टिविटी भी कम होती है।कुल मिलाकर 2 लाख से ज्यादा लोगों के 10 बायो मेडिकल पैमानों पर 20 लाख से भी ज्यादा टेस्ट किए गए हैं और 2 साल तक चले इस सर्वे के मुताबिक इंदौर की लगभग आधी आबादी एक या एक से अधिक लाइफस्टाइल जनित बीमारियों का शिकार हो सकती है इस सर्वे में शामिल करीब 49 फीसदी लोगों के एक या एक से अधिक टेस्ट की रिपोर्ट असामान्य पाई गई है।
कुपोषण एवं खराब डाइट को दर्शाता है
सर्वेक्षण के 8.02 प्रतिशत सहभागियों में सीरम प्रोटीन असामान्य रूप से कम पाया गया जो कुपोषण एवं खराब डाइट को दर्शाता है। सर्वेक्षण में 5.85प्रतिशत लोगों में ग्लूकोस और कोलेस्ट्रॉल दोनों बढ़े हुए मिले हैं जो कि भविष्य में गंभीर बीमारियों का रुप ले सकता है।
ठ्ठ सर्वे में किडनी की बीमारी के संकेत देता क्रिएटिनिन करीब 4 प्रतिशत लोगों का गड़बड़ पाया गया।
ठ्ठ इस सर्वे की खास बात यह है कि ज्यादातर असामान्य मापदंड पुरुषों में मिले हैं यानी इंदौर के पुरुष ज्यादा बीमार पड़ सकते हैं।
ठ्ठ सर्वे में एक और दिलचस्प बात यह पाई गई कि निम्न आय समूह, मध्यम आय समूह एवं उच्च आय समूह में से मध्य आय समूह के रक्त के नमूनों में असामान्यता अधिक पाई गई यानी मिडिल क्लास को लाइफ़स्टाइल डिसीज होने के खतरे सबसे ज्यादा है। इस मौके पर हेल्थ ऑफ नेशन अभियान भी लांच हुआ जहां देश के 10 से ज्यादा शहरों में 10 लाख से ज्यादा लोगों के प्रीवेंटिव हेल्थ केयर टेस्ट किए जाएंगे।
20.16 प्रतिशत लोगों का कोलेस्ट्रॉल असामान्य रूप से अधिक पाया गया
सर्वेक्षण में शामिल लोगों में से 10.99 प्रतिशत का ब्लड ग्लूकोस असामान्य रूप से ज्यादा था जो कि हाइपरग्लाइसिमिया को दर्शाता है यानी यह आबादी डायबिटीज या प्रीडायबिटीज स्टेज पर है।इसी तरह सर्वेक्षण में सम्मिलित 20.16 प्रतिशत लोगों का कोलेस्ट्रॉल असामान्य रूप से अधिक पाया गया और यह ह्रदय रोगों की तरफ ले जा सकता है। सर्वे में शामिल 6.57 प्रतिशत लोगों का एसजीपीटी असामान्य रूप से अधिक पाया गया यह लीवर की बीमारियों की ओर संकेत करता है। सर्वेक्षण में शामिल लोगों में से 10.99 प्रतिशत का ब्लड ग्लूकोस असामान्य रूप से ज्यादा था जो कि हाइपरग्लाइसिमिया को दर्शाता है यानी यह आबादी डायबिटीज या प्रीडायबिटीज स्टेज पर है। इसी तरह सर्वेक्षण में सम्मिलित 20.16त्न लोगों का कोलेस्ट्रॉल असामान्य रूप से अधिक पाया गया और यह ह्रदय रोगों की तरफ ले जा सकता है। सर्वे में शामिल 6.57 प्रतिशत लोगों का एसजीपीटी असामान्य रूप से अधिक पाया गया यह लीवर की बीमारियों की ओर संकेत करता है।