स्वतंत्र समय, भोपाल
मध्यप्रदेश विधानसभा में दो दिवसीय विधायकों का प्रबोधन कार्यक्रम का बुधवार को समापन हो गया। इस कार्यक्रम में संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय छाए रहे। विजयवर्गीय ने नए और पुराने सदस्यों को समझाते हुए कई टिप्स दिए और विधानसभा की लाइब्रेरी में पढऩे का जिक्र कर कहा कि विधानसभा में शेरनी का दूध मिलता है। जब सदस्य लाइब्रेरी में जाकर पढ़ेंगे तो सदन में शेर की तरह दहाड़ेंगे।
विजयवर्गीय ने कहा कि विधानसभा चुनाव एक नेता अपने स्टाफ के कारण और दूसरा व्यक्ति वह अपने परिवार के कारण हार सकता है। जनप्रतिनिधि का पर्सनल जीवन बहुत पारदर्शी होना चाहिए। मंत्री करण सिंह वर्मा का उदाहरण देते हुए विजयवर्गीय ने कहा कि वर्मा किसी की चाय तक नहीं पीते। ऐसी प्रतिष्ठा सभी को हासिल करना चाहिए।
मैं 7 बार जीता पर अब भी विद्यार्थी जैसा सीख रहा हूं
श्री विजयवर्गीय ने कहा कि कार्यक्रम से बहुत कुछ सीखने का मौका मिला है। मैं 7 बार से विधायक हूं पर मुझे बहुत कुछ यहां एक विद्यार्थी की तरह सीखने मिला है। संसद की गरिमा सांसद के आचरण से बनती है। चुनाव जीतना कठिन है लेकिन जनता की सेवा करना किसी चुनौती से कम नहीं है। विश्वास शब्द बहुत छोटा शब्द है, लेकिन इसे अर्जित करना बहुत कठिन काम है। विश्वास अर्जित करने के लिए हमें तपस्या करनी होगी।
विशेषाधिकार की जानकारी भी जरूरी: सुनील
लोकसभा में विशेषाधिकार समिति के सभापति सुनील सिंह ने विधायकों के विशेषाधिकार को लेकर कहा कि जब हम जीत कर आते हैं, तब हम अपने विशेषाधिकार के बारे में जानना जरूरी हो जाता है। यह विशेष अधिकार किसलिए है। अगर हम मध्यप्रदेश की चर्चा करें और महाकाल और नलखेड़ा की चर्चा न करें तो हमारा जीवन व्यर्थ हो जाएगा। रामराज्य का लोकतंत्र सबसे आधुनिक तंत्र है। विशेषाधिकार की चर्चा करने से पहले हमें अपने कर्तव्य बोध के बारे में पता होना चाहिए।