डॉ. मोहन यादव
युवा शक्ति समाज की ऊर्जा है’ यह उद्घोष करने वाले स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर शत-शत नमन।
यह दिन संपूर्ण भारतवर्ष में राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। अलौकिक व्यक्तित्व के धनी स्वामी विवेकानंद जी ने मात्र 30 वर्ष की आयु में अपनी विलक्षण प्रतिभा और भारत के सांस्कृतिक गौरव से विश्व को परिचित करा दिया था। विवेकानंद जी का अध्ययन, लेखन, संबोधन और दर्शन हम सभी के लिये प्रेरणास्रोत है। समय बदला, व्यक्ति की सोच और प्राथमिकताएं बदलीं, लेकिन विवेकानंद जी का एक-एक शब्द कालजयी है। वे आज भी पथप्रदर्शक के रूप में हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं।
व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र निर्माण के लिए उनका प्रत्येक शब्द संजीवनी है। उनके जीवन से भारतीय जनमानस का दर्शन होता है। विवेकानंद जी ने मनन-चिंतन से भारत के वर्तमान और भविष्य को नई दृष्टि दी। उन्होंने जहां समूचे विश्व को भारत की आत्मा और भारतीय वाङ्मय से परिचित कराया, वहीं भारत की युवा पीढ़ी को नये उत्साह और नई चेतना से जाग्रत किया। उन्होंने युवाओं को पराधीन काल में दासत्व की पीड़ा से ऊपर उठकर जीने के लिये प्रेरित किया और जीवन का उद्देश्य दिया। युवाओं की नैतिक, आध्यात्मिक और सृजनात्मक शक्ति को जाग्रत करने वाले स्वामी विवेकानंद जी ‘उठो, जागो और तब तक न रुको जब तक लक्ष्य प्राप्ति न हो जाए…’ यह कहकर ही नहीं रुकते, बल्कि उठने व जागने के साथ भीतर की संकल्पना को स्पष्ट करने का आह्वान भी करते हैं। स्वामी जी चाहते थे कि हमारी युवा पीढ़ी सक्रिय होने के साथ आंतरिक चेतना और आत्मानुशासन से युक्त हो, उनमें आत्मविश्वास का जागरण हो ताकि वह भटकाव से बचे। स्वामी जी युवाओं को शिक्षा के साथ-साथ, राष्ट्रप्रेम, व्यवहारिक ज्ञान और संस्कारों से समृद्ध करना चाहते थे।
सशक्त और ऊजाावान पीढी निर्माण के चिंतन की झलक उनके इस वाक्य से मिलती है… ‘मुझे दस फुटबॉल खिलाड़ी पसंद हैं।’ फुटबॉल खिलाड़ी का मतलब सशक्त, ऊर्जावान और सतर्क युवा अथवा वह चाहते थे कि समाज और युवा अति सर्तक, सक्रिय और शक्तिवान हों।
स्वामी जी ने युवा पीढ़ी के निर्माण के लिये जो चिंतन किया था, उसी अनुरूप यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने युवा पीढ़ी और देश के भवष्यि के लिये युवा कल्याण की योजनाओं को धरातल पर उतारा है। युवाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से सक्षम बनाने के साथ -साथ खिलाडिय़ों के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए ‘खेलो इंडिया कार्यक्रम’ से जोड़ा।
विवेकानंद जी को युवा पीढ़ी से भविष्य की अपेक्षाएं थीं। वे युवाओं में बहुआयामी व्यक्तित्व श्रम, साधना, सामथ्र्य, शील और दूरदर्शिता का निर्माण करना चाहते थे। माननीय प्रधानमंत्री जी ने इस सिद्धांत को आगे बढाने के लिये त्रङ्घ्रहृ (गरीब, युवा, अन्नदाता, नारी) का सम्मान करने की बात की है। इसमें ङ्घ से युवा शक्ति एक महत्वपूर्ण पक्ष है। विवेकानंद जी का संदेश था-‘बनो और बनाओ’। उनके इस संदेश में व्यक्ति, समाज और राष्ट्र कल्याण का भाव है। वे युवाओं के सपनों में भारत की प्रगति देख रहे थे। विवेकानंद जी की कल्पना अनुरूप प्रधानमंत्री जी के ‘स्टार्ट-अप इंडिया’ और ‘स्टैंड-अप इंडिया’ अभियान ने विकास और उद्यमिता के नये अवसर दिये हैं। इनसे युवा आत्मनिर्भर होकर देश की समृद्धि का हिस्सा बन रहे हैं।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना मेंआसानी से उपलब्ध ऋण ने नवोदित और प्रगतिशील उद्यमियों के नवाचार को प्रोत्साहित किया है। यह योजना लाखों सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमियों को कार्पोरेट व्यवस्था की ओर बढाने में सहायक हुई है। युवाओं को सशक्त बनाने के लिये किये गये कायों में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से शिक्षा प्रणाली का कायाकल्प, स्कूल और उच्च शिक्षा प्रणाली में ज्ञान केंद्रित आदर्श बदलाव प्रमुख हैं। आईआईटी, आईआईएम, मेडिकल कॉलेज और नये विश्वविद्यालयों की संख्या में बढोतरी, पीएमश्री स्कूलों का निर्माण नए भारत की मजबूत नींव रख रहे हैं। स्वनिधि योजना से स्ट्रीट वेंडर और रेहडी व्यापारियों को आर्थिक उन्नति के अवसर मिले हैं। पीएम कौशल विकास योजना से कौशल प्रशिक्षण और रोजग़ार मेले के माध्यम से युवाओं को रोजग़ार प्रदान किया जा रहा है।
भारत युवा देश है और मध्यप्रदेश में लगभग दो करोड़ युवा हैं। युवाओं के इस जनसांख्यिकी लाभांश यानी डेमोग्राफिक डिविडेंड को महसूस करते हुए माननीय प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से मध्यप्रदेश ने युवा नीति तैयार की। इस नीति में युवाओं को सशक्त बनाने के साथ-साथ प्रदेश निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका सुनिश्चित की जा रही है। प्रधानमंत्री जी की मंशानुरूप मध्यप्रदेश में शिक्षा के लिए नई शिक्षा नीति पर आधारित सीएम राइज स्कूल, पीएम श्री स्कू ल और पीएम उत्कृष्ट महाविद्यालय शिक्षा का स्वर्णिम त्रिभुज बन रहे हैं। रोजगार के लिए शासकीय नौकरियों में भर्ती निरंतर जारी है। रोजगार दिवस के माध्यम से प्रतिमाह औसतन 3 लाख लोगों को स्व-रोजगार के लिए 1 हजार 800 करोड़ रुपए से अधिक के ऋण वितरित किए जा रहे हैं। कौशल के लिए ग्लोबल स्क्लि पार्क की स्थापना भोपाल में की गई है। ग्वालियर, जबलपुर, सागर और रीवा में ग्लोबल स्किल पार्क की स्थापना की जाएगी। यह योजनाएं युवाओं को आत्मनिभार बनाने के लिये प्रेरक हैं, साथ ही स्वत्व, स्वाभिमान, स्व-शिक्षा और सामथ्र्य पर केंद्रित हैं। इनसे युवाओं में एक सकारात्मक चेतना जागी है।
स्वामी जी ने जहां भारतीयों को रूढियों से दूर कर जाग्रत किया, वहीं विश्व मंच पर भारतीयता को प्रतिष्ठित किया। इस सापेक्ष स्वरूप की विलक्षणता का श्री रामकृष्ण परमहंस ने बरसों पहले आकलन कर कहा था- ‘मेरा यह शिष्य इस दुनिया का शिक्षक बनेगा…’ उनका उद्घोष फलीभूत हुआ और विवेकानंद जी ऐसे विश्व शिक्षक बने, जिन्हें सबने सुना भी और जाना भी। विश्व धर्म सम्मेलन में ओजस्वी भाषण देकर उन्होंने भारतभूमि को जो आत्मविश्वास दिया है, उससे राष्ट्र अभिभूत है।
स्वामी जी ने भारत के भविष्य को लेकर आह्वान किया था। स्वामी विवेकानंद जी ने भारत के भवष्यि की जो संकल्पना की थी, वह वर्तमान में एक और नरेन्द्र (प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी) के नेतृत्व में आकार ले रही है। भारत समृद्ध और शक्तिशाली राष्ट्र बनकर विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है। प्रधानमंत्री जी के संकल्प के अनुरूप स्वाधीनता की 100वीं वर्षगांठ पर भारत को विश्व शक्ति बनाना है तो युवाओं में नवशक्ति का जागरण करना होगा। यही सार स्वामी विवेकानंद जी की शिक्षा का है और यही स्वर्णिम भारत निर्मार्ण के लिए आवश्यक है।
युवा दिवस के अवसर पर मैं युवाओं से स्वामी विवेकानंद जी के ध्येय वाक्य और कठोपनिषद् के इस घोष को सार्थक करने का आह्वान करता हूं- ‘उत्तिष्ठित जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत…,’ अर्थात उठो, जागो और योग्य बनो।
(-लेखक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं)