स्वतंत्र समय, इंदौर
स्वच्छता सर्वेक्षण-2023 में एक बार फिर इंदौर को नंबर वन का खिताब मिला है लेकिन इस बार हमारी बादशाहत अकेली नहीं है बल्कि उसे हमने गुजरात के सूरत शहर के साथ साझा किया है। बराबरी के मुकाबले के बाद हम एक बार फिर आठवें सर्वेक्षण के लिए जुट गए है लेकिन इस बार पिछली बार की गलतियों को सुधारने के साथ ही शहर की सूरत और जज्बा को पहली-दूसरी बार जैसे नंबर वन बनाने वाली मेहनत को करने की दरकार रहेगी। भले ही हम नंबर वन है और हमारी स्वच्छता का कोई सानी नहीं है लेकिन वास्तविकता में मुख्य मार्गों से अलग हटकर कॉलोनियों तक वापस जाकर वहां पर स्थिति को संभालने की जरूरत नजर आती है।
देशभर के 4477 शहरों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा में 56 लाख से अधिक फोटो सर्वेक्षण के दौरान खींचे गए और पौने 2 करोड़ नागरिकों ने ऑनलाइन और सीधे अपनी प्रतिक्रियाएं उन्हें भिजवाई। जनता से मिली प्रतिक्रिया में इंदौर इस बार पीछे रहा और सूरत को उससे ज्यादा अंक प्राप्त हुए। सैकड़ों जीबी पीडीएफ की फाइलें दिल्ली भेजी गई और नगर निगम ने पहले के सालों में स्वच्छता को लेकर जो सफलताएं प्राप्त की, वह हमारे काम आई और हम सातवीं बार नम्बर वन आ सका।
सूरत ने कमियों से सीखा
पिछले साल भी हमारी टक्कर सूरत से ही थी। सूरत ने बिंदुवार उसमें मेहनत की और उन कमियों को पूरा कर वह हमारी बराबरी में आकर खड़ा हो गया। ऐसी मेहनत की जरूरत हमें भी थी। अगर वो होती तो हम सूरत से कही ऊपर नजर आते। खैर अभी कुछ बिगड़ा नहीं है और न ही हमारी स्थिति इतनी बुरी है क्योंकि स्वच्छता के इस आंदोलन में सबसे बड़ा सहयोग हमारी जनता का है, जो कंधे से कंधा मिलाकर निगम के साथ खड़ी है। सफाईकर्मी से लेकर अधिकारियों तक को हर नवाचार में जनता ने बढ़-चढक़र सहयोग किया है। केवल उस सहयोग को आधार बनाकर फिर से कार्ययोजना बनाने की जरूरत है।
फीडबैक वाली व्यवस्था बेहतर बनाना होगी
साथ ही जरूरत हमें उन बिंदुओं को बेहतर करने की है, जिसमें हम पीछे रहे हैं। इसमें जनता और अन्य का फीडबैक भी शामिल है। निश्चित ही कई स्थानों पर सफाई की व्यवस्था थोड़ी लचर हुई है। कचरा गाडिय़ों तो आ रही है और घरों से निकलने वाला कचरा तो इन गाडिय़ों के सुपुर्द किया जा रहा है लेकिन प्रतिदिन वाले सफाईकर्मी सडक़ों व गलियों में सफाई करने के बाद कचरों को ढेर लगाकर छोड़ जाते है। कई-कई दिन तक यह कचरा पड़ा रहता है, जो नागरिकों को खलता है। ऐसी ही स्थिति चैम्बर साफ होने के बाद होती है। चैम्बर से निकली गंदगी वही पर कई दिनों तक पड़ी रहती है और यह सडक़ों पर फैलती रहती है। इसमें भी व्यवस्था होना चाहिए कि चैम्बर साफ होते ही साथ में चल रही गाड़ी उस गंदगी को उठा लें।
आलोचनाओं को भी ताकत बनाएं
सोशल मीडिया पर भी इंदौर की जनता में से कुछ की प्रतिक्रिया थी कि इस बार इंदौर एक नम्बर के लायक नहीं था, क्योंकि सफाई व्यवस्था पटरी से उतर गई। जगह-जगह कचरे-कूड़े के ढेर नजर आते हैं। अगर यह वास्तविकता है तो इसे बदलना सबकी जिम्मेदारी है। नागरिकों की जिम्मेदारी है कि वो समय रहते निगम को बताए और निगमकर्मियों की जिम्मेदारी है कि वो इसका हल करें। किसी आलोचना को नेगेटिव लेने के बजाय उस पर काम करके उसे सुधारने की जरूरत ज्यादा है।
सर्विस लेवल प्रोग्रेस में हम आगे
सर्विस लेवल प्रोग्रेस के मामले में ही इंदौर नगर निगम ने 6 अंक सूरत से ज्यादा हासिल किए, मगर पब्लिक फीडबैक यानि जनता से मिले सुझाव में वह सूरत से पीछे रहा। सर्विस लेवल प्रोग्रेस में इंदौर को 4709 तो सूरत को 4703 नम्बर हासिल हुए, लेकिन सिटीजन वाइस स्कोर में सूरत ने बाजी मारी। उसे 2145 नम्बर हासिल हुए तो इंदौर को 2139 नम्बर ही मिल सके। दस्तावेजीकरण में अवश्य इंदौर और सूरत 2500 नम्बरों के साथ बराबरी पर रहा। एक करोड़ 58 लाख 80 हजार से अधिक लोगों ने फेसबुक, ट्विटर या अन्य तरीके से ऑनलाइन प्रतिक्रियाएं इस सर्वेक्षण के दौरान दीं, तो 19 लाख 82 हजार से अधिक प्रतिक्रियाएं सीधे प्राप्त हुईं। पूरे सर्वेक्षण के दौरान देशभर से केन्द्रीय मंत्रालय को 56 लाख 26 हजार 805 फोटो प्राप्त हुए।