स्वतंत्र समय, मथुरा
महाभारत सीरियल में भगवान कृष्ण की भूमिका निभाने वाले नीतीश भारद्वाज ने कहा है कि भगवान राम की तरह कृष्ण को भी उनकी मथुरा की जन्मभूमि वापस मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जन्मस्थान की तुलना किसी भी अन्य स्थान से नहीं की जा सकती। एतिहासिक प्रमाणों से यह स्थापित हो गया है कि भगवान कृष्ण काल्पनिक पात्र नहीं थे। द्वारका से मिले प्रमाणों ने उन्हें इतिहास पुरुष के रूप में स्थापित कर दिया है। अब ऐसे इतिहास पुरुष भगवान कृष्ण को बिना कोई देरी किए उनकी जन्मभूमि मिलनी चाहिए। नीतीश भारद्वाज ने कहा कि भारतीय धर्म अंग्रेजी के धर्म के जैसा नहीं है। यह आध्यात्मिक उन्नति करते हुए लोगों को वासनाओं से मुक्ति का मार्ग है। उन्होंने कहा कि भगवान राम के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा केवल एक मंदिर की स्थापना नहीं है, यह लोगों की आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त करेगा। उन्होंने कहा कि यह ऐसा युग है जब राम औऱ कृष्ण दोनों को साथ लेकर चलना चाहिए। जीवन में बहुत से क्षण ऐसे आते हैं, जहां आपको राम की शिक्षा का उपयोग करना चाहिए। वहीं, कुछ समय पर आपको कृष्ण को अपनाना चाहिए।
राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा संगठन का पहला कदम
विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा है कि राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा संगठन का केवल पहला कदम है। इसका विस्तार लोगों के जीवन में भगवान राम के मंदिर का निर्माण करना है। भगवान राम के चरित्र के जरिए हिंदू समाज में व्याप्त जातिगत कमजोरियों को दूर करने का काम किया जायेगा। इसके ठीक एक दिन पहले विहिप ने सिंधु प्रदेश की मुक्ति को अपनी प्राथमिकता बताया था।
अभी राष्ट्र का निर्माण करना शेष
दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में आलोक कुमार ने कहा कि जिस दिन सिंध के राजा के ऊपर आक्रमण किया गया था, उसी दिन से हिंदुओं का स्वाभिमान नष्ट हो गया था। यह उस दिन तक चलता रहा जब तक कि अयोध्या में विवादित ढांचे को गिरा नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि विवादित ढांचे के गिरने के साथ ही हिंदुओं के स्वाभिमान का उत्थान हुआ और राम मंदिर के लोकार्पण के साथ यह उच्च स्तर पर पहुंच जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके बाद भी अभी कार्य पूरा नहीं हुआ है। अभी राष्ट्र का निर्माण करना शेष है। इसके लिए हिंदू समाज को एक करना होगा। इसके लिए लोगों को आपस में एक-दूसरे से जोडऩा होगा।