स्वतंत्र समय, सीधी
छात्रों की देखरेख व संस्था संचालन की जिम्मेदारी जिसे दी जाती है वही आतताई बने हुए है। छात्रों की डिमांड पर उन्हे गाली-गलौच एवं मारपीट भी की जाती है। कुछ इस तरह का मामला आदिम जाति कल्याण विभाग अन्तर्गत मड़वास में संचालित आदिवासी जूनियर बालक छात्रावास का मामला प्रकाश में आया है। जहां के अधीक्षक राघवेन्द्र सिंह द्वारा छात्रावास में छात्रों के बीच अपने साथियों संग बैठकर मधुशाला का जाम भिड़ाते है और अत्यधिक शराब का सेवन करने के बाद जब वह छात्रावास भवन के भीतर उल्टी कर देते है तो उसकी सफाई भी छात्रावास में रहने वाले छात्रों से करवाते हैं।
एक छात्र ने इस पूरे मामले पर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए बताया कि अधीक्षक राघवेन्द्र सिंह के साथ सोनगढ़ के अधीक्षक भी आते है वह आये दिन छात्रावास में शराब पीते है और गाली गलौच करते है। यही नही जब हम लोग कुछ बोलते है तो मारने भी लगते है। हैरानी की बात यह है कि इस पूरे मामले की शिकायत छात्रों द्वारा जिम्मेदार अधिकारियों से भी की गई लेकिन किसी के द्वारा अधीक्षक के खिलाफ कोई कार्रवाई नही की गई है। उल्लेखनीय है कि शिक्षा की मुख्य धरा से जोडऩे हरिजन एवं आदिवासी परिवार के बालक-बालिकाओं को सरकार तमाम योजनाएं संचालित की है लेकिन योजनाओं का क्रियान्वयन करने वाले ही इनके भविष्य का रोड़ा बन रहे है। मीडिया से छात्रों ने पीड़ा व्यक्त करते हुए बताया कि जुलाई माह से छात्रावास का मोटर खराब है जिसके चलते पानी के लिए हम लोगों को हैंडपंप जाना पड़ता है कई बार जलबाहक द्वारा अधीक्षक से मोटर पंप सुधार के लिए कहा गया लेकिन अधीक्षक राघवेन्द्र सिंह द्वारा इस ओर ध्यान नही दिया जा रहा है। खास बात यह है कि इस 50 विस्तरा छात्रावास में महज एक दर्जन छात्र ही रहते है उन्हे भी अधीक्षक द्वारा शासन से मिलने वाली सुविधाओं के लिए मोहताज किया जाता है। छात्रों ने पीड़ा व्यक्त करते हुए बताया कि महीने में जो खाद्यान छात्रावास के लिए मिलता है वह अधीक्षक अपने घर ले जाते है। छात्रों के अनुसार गत माह गेंहू,चावल के अलावा कंबल,चद्दर एवं तकिया भी आई थी जिसे अधीक्षक द्वारा अपने घर उठा ले गया है।
अधीक्षक की करतूत कैमरे में कैद
आदिवासी जूनियर बालक छात्रावास मड़वास के अधीक्षक राघवेन्द्र सिंह द्वारा छात्रावास को मिलने वाली राशन सामग्री के साथ-साथ कंबल,चद्दर,तकिया एवं अन्य सामग्री अपने घर उठा ले जाते थे और छात्रावास में रहने वाले छात्रों को दाने-दाने के लिए मोहताज होना पड़ता था। ऐसे में गत माह अधीक्षक की इस करतूत को छात्रों ने अपने मोबाईल में कैद कर लिया है। जानकारी के अनुसार स्थानीय मीडिया को भी छात्रों द्वारा अधीक्षक के इस करतूत का वीडियो उपलब्ध कराया गया है।
निकलवा लेते है शिष्यवृत्ति की राशि
अनुसूचित जाति एवं जनजाति के छात्रों को सरकार द्वारा दी जाने वाली शिष्यवृत्ति भी अधीक्षक के लिए अवैध कमाई का जरिया बना हुआ है। छात्रों ने तैयार किये गए वीडियो में इस बात का भी उल्लेख किया है कि सरकार द्वारा 1 हजार रूपये प्रतिमाह शिष्यवृत्ति की राशि दी जाती है वह भी अधीक्षक द्वारा हम लोगों को बैंक ले जाकर निकलवा लिया जाता है। एक छात्र ने वीडियो में यह भी खुलाशा किया है कि अभी हाल ही में 6 माह की शिष्यवृत्ति आई थी जिसे अधीक्षक द्वारा ले जाकर बैंक से निकलवा लिया गया है।
अधीक्षक की पत्नी भी दिखाती है रौब
आदिवासी जूनियर छात्रावास मड़वास के छात्रों ने यह भी आरोप लगाया है कि एक तरफ जहां अधीक्षक राघवेन्द्र सिंह द्वारा छात्रों के साथ अभद्र व्यवहार किया जाता है वहीं दूसरी तरफ उनकी पत्नी भी छात्रावास में आकर हम लोगों को रौब दिखाती है। छात्रों ने बताया कि हाल ही में अधीक्षक की पत्नी छात्रावास में रहने वाले छात्रों को परिसर की साफ-सफाई करने के लिए कहा गया था लेकिन जब सफाई नही किये तो उनकी पत्नी हम लोगों को धमका रही थी। 50 विस्तरा इस छात्रावास में भले ही कागजों में यह संख्या 50 दर्ज हो लेकिन इस बात का खुलाशा वहां रहने वाले छात्रो ने स्वयं किया है कि 10 से ज्यादा संख्या कभी नही रहती। ऐसे में यहां रहने वाले छात्रों को जहां मीनू के आधार पर भोजन तो कभी नही दिया जाता वहीं इस कडक़ड़ाती ठंड में कंबल गद्दा भी अधीक्षक द्वारा नही दिया जाता। एक छात्र ने वीडियो में इस बात का खुलाशा किया है कि हाल ही में अधीक्षक द्वारा कंबल,गद्दा की खरीदी की गई है लेकिन जब हम लोगों द्वारा इसकी मांग की गई तो देने की बात तो दूर उल्टा गाली गलौच करने लगे। कुल मिलाकर यह छात्रों की पीड़ा ने साफ कर दिया है कि आदिवासी जूनियर बालक छात्रावास मड़वास में अधीक्षक की तानाशाही जमकर चल रही है यहां रहने वाले छात्र शिक्षाध्यन करने में सफल हो या न हो लेकिन अधीक्षक की मधुशाला का गुण जरूर ग्रहण कर सकते है।
इनका कहना है
यह मामला हमारे जानकारी में आया है लगातार कार्यक्रमों की व्यस्तता के चलते इसकी जांच नही कराई जा सकी थी। अभी मैं सीईओ को बोलता हूं वह कल पहुंचकर इस पूरे मामले की जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगें। प्रतिवेदन के उपरांत ही आगे की जानकारी दी जा सकती है।
– डॉ. डीके द्विवेदी, सहायक आयुक्त, सीधी