स्वतंत्र समय, भोपाल
मप्र के मुख्यमंत्री ‘मोहन’ यादव ‘मौन’ क्यों हैं मध्य प्रदेश की राजनीति में आए इस नए सवाल ने, नए सिरे से, नई बहस खड़ी कर दी है! बहस का जरिया हैं कुछ ऐसे तीखे सवाल, जिन्होंने तीर की भांति भाजपा की रीति-नीति को भेद दिया है। मध्य प्रदेश की इस नई राजनीतिक महाभारत के धनुर्धर हैं, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी। क्योंकि, सवालों के यह तीर पटवारी के तरकश से ही निकले हैं।
दरअसल, पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने सोशल मीडिया के जरिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के पास सवालों की एक सूची भेजी है। इसमें दर्ज प्रश्न प्रदेश की बिगड़ी कानून व्यवस्था के साथ, भाजपा के वादों और घोषणाओं से भी जुड़े हुए हैं। पांच सवालों के इस पंच को प्रदेश की राजनीति में पंजे का नया प्रहार माना जा रहा है। भाजपा के लिए दुविधा से भरा यह दृष्टिकोण इसलिए भी मुश्किल भरा है, क्योंकि जीतू पटवारी ने ऐस३े सवालों पर ही निशाना लगाया है, जिनसे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव खुले रूप से साफ-साफ बचते दिखाई देते हैं।
पटवारी के पांच सवाल…
पहले नंबरः प्रदेश की लगातार बिगड़ती हुई कानून व्यवस्था। पटवारी ने पूछा है कि, “मुख्यमंत्री जी, पिछले दो दिन का ही अनुपात निकाला जाए, तो प्रतिदिन ड्यूटी कर रहे एक पुलिसकर्मी की हत्या हो रही है! अपराधियों के हौसले बुलंद हैं! लेकिन, आप ‘मौन’ हैं! कांग्रेस ने आम जनता की चिंता को अपने सवालों के जरिए साधा है! पटवारी पहले भी यह सवाल उठा चुके हैं कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव प्रदेश के गृहमंत्री भी हैं और पिछले एक महीने से संभाग स्तरीय बैठकों में कानून-व्यवस्था की समीक्षा भी कर रहे हैं। लेकिन, प्रदेश की कानून व्यवस्था लगातार बिगड़ती जा रही है। जब पुलिसकर्मी ही अपराधियों का निशान बन रहे हैं, तो बेकसूर जनता की स्थिति का आकलन आसानी से किया जा सकता है।
दूसरा सवालः पटवारी ने पूछा है कि, मध्य प्रदेश में रोजगार के लिए सरेआम बेटी की आबरू मांगी जा रही है! लेकिन, आप मौन हैं!” पटवारी के इस सवाल की पृष्ठभूमि यह है कि पिछले दिनों ग्वालियर में बीज विकास निगम में भर्ती के लिए कृषि विश्वविद्यालय में साक्षात्कार हुआ था। साक्षात्कार लेने वाले दल में बीज निगम के प्रोडक्शन असिस्टेंट भी शामिल थे। इंटरव्यू के बाद उन्होंने एक छात्रा को फोन लगाया और उससे आबरू की मांग कर डाली।
तीसरा सवालः मध्य प्रदेश की राजनीति में चर्चा का बड़ा विषय बनने वाली लाड़ली बहनों से जुड़ा है। पटवारी ने पूछा है कि, ‘मोदी की गारंटी’ वाले वादे के बाद लाड़ली बहनें 3000 रू. प्रतिमाह की मांग कर रही हैं! लेकिन, आप ‘मौन’ हैं! बीते विधानसभा चुनाव में भाजपा ने लाड़ली बहनों को 3000 रू प्रतिमाह तक देने की घोषणा की थी। पटवारी अब इसी मांग और घोषणा-पत्र में दर्ज ‘मोदी की गारंटी’ को पूरा करने की मांग कर रहे हैं। पटवारी पूर्व में भी यह बयान दे चुके हैं कि ‘शिवराज भैया’ के जाने से मध्य प्रदेश की बहनें चिंतित नहीं हों। उनके ‘जीतू भैया’ मैदान में हैं और बहनों का हक दिलाने के लिए वे हर संभव लड़ाई लड़ेंगे।
चौथा सवालः मध्यप्रदेश के लाखों बेरोजगारों के साथ, युवाओं को भी सीधे तौर पर जोडऩे वाला है। पटवारी ने डॉ. मोहन यादव से पूछा है कि ‘पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज जी के प्रतिमाह 1 लाख नौकरियां के वादे पर युवा जवाब मांग रहे हैं! लेकिन, आप ‘मौन’ हैं! दरअसल मध्य प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बहुत पहले से हमलावर हैं। उन्होंने न केवल सार्वजनिक सभाओं, बल्कि बड़ी-बड़ी चुनावी रैलियां से लेकर विधानसभा में भी इस मांग को मुखरता से रखा है। हाल ही में उन्होंने पटवारी भर्ती घोटाले को लेकर भी जांच रिपोर्ट में देरी को लेकर तर्क और तथ्य के साथ कई सवाल उठाए थे। पटवारी भर्ती घोटाले को लेकर पहली बार मध्य प्रदेश के किसी नेता ने न केवल सवाल उठाए, बल्कि मुख्यमंत्री को याद दिलाने के लिए पूरे घटनाक्रम का ब्यौरा भी बहुत विस्तार से दिया।
पांचवां सवालः जीतू पटवारी के पांचवें प्रहार में ऐसा सवाल शामिल था, जिससे मध्य प्रदेश के लाखों घर सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। विधानसभा चुनाव में घोषणा-पत्र के जरिए भाजपा ने मध्य प्रदेश की जनता से वादा किया था कि महंगाई से निजात दिलाने के लिए 450 रुपए में गैस सिलेंडर दिया जाएगा। पटवारी ने अपने प्रश्नों को विस्तार से देते हुए मुख्यमंत्री से पूछा कि, महिलाओं को महंगाई से निजात दिलाने के लिए 450 रुपए में सिलेंडर देने का वादा भाजपा ने ही किया था! महिलाएं उम्मीद लगाए बैठी हैं! लेकिन, आप ‘मौन’ हैं!”
महत्व पूर्ण यह भी है कि इस राजनीतिक महाभारत में पटवारी के प्रश्नों की परिधि जैसे-जैसे खत्म हो रही थी, वैसे-वैसे उसकी धार तेज हो रही थी! क्योंकि, तरकश से निकले तीरों के बाद, पटवारी ने तंज के जरिए भी भाजपा के साथ मुख्यमंत्री की कार्यशैली पर तीखा प्रहार किया है। डॉ. मोहन यादव को सुझाव देते हुए पटवारी ने कहा कि ‘मोहन’ ही बने रहें, ‘मौन’ में न रहें! क्योंकि, आपका ‘मौन-व्रत’ अब मध्य प्रदेश की मुसीबत बढ़ा रहा है!
‘अंधेरनगरी-मुखिया मौन’
पांच सवालों के इस राजनीतिक यज्ञ की अंतिम आहूति में डाले गए, यह दो शब्द क्या मध्य प्रदेश की राजनीति में ‘नया नैरेटिव’ ला रहे हैं यह एक ऐसा सवाल है, जिस पर मध्य प्रदेश के राजनीतिक पंडित अगले कई दिनों तक लंबी और निर्णायक बहस कर सकते हैं। क्योंकि, उज्जैन के राजनीतिक ‘विक्रम’, यदि बोलेंगे तो मप्र के ज्वलंत मुद्दों का ‘बेताल’ कंधे से उतरकर खुद चीखने लग जाएगा! और यदि ‘मौन’ रहेंगे, तो पटवारी द्वारा ‘अंधेरनगरी’ की व्याख्या भाजपा की सत्ता और संगठन को नि: शब्द करती रहेगी।