स्वतंत्र समय, अयोध्या
प्रधानमंत्री मोदी ने प्राण प्रतिष्ठा के बाद राम मंदिर में मौजूद जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा ‘दैवीय आशीर्वाद और दिव्य आत्माओं की वजह से यह कार्य पूरा हुआ है। मैं इन सभी दिव्य चेतनाओं को भी नमन करता हूं। मैं आज प्रभु श्रीराम से क्षमा याचना भी करता हूं। हमारे पुरुषार्थ, हमारे त्याग, तपस्या में कुछ तो कमी रह गई होगी कि हम इतनी सदियों तक ये कार्य कर नहीं पाए।’
पीएम बोले- प्रभु राम हमें अवश्य क्षमा करेंगे
प्रधानमंत्री ने कहा ‘आज वो कमी पूरी हुई है। मुझे विश्वास है कि प्रभु राम आज हमें अवश्य क्षमा करेंगे। लंबे वियोग से आई आपत्ति का अंत हो गया। त्रेता युग में तो वह वियोग केवल 14 वर्षों का था, तब भी इतना असह्य था। इस युग में तो अयोध्या और देशवासियों ने सैकड़ों वर्षों का वियोग सहा है। हमारी कई-कई पीढिय़ों ने वियोग सहा है।’
देश की न्यायपालिका का आभार व्यक्त किया
प्रधानमंत्री ने कहा भारत के संविधान की पहली प्रति में भगवान राम विराजमान हैं। संविधान के अस्तित्व में आने के बाद भी दशकों तक प्रभु श्रीराम के अस्तित्व को लेकर कानूनी लड़ाई चली। मैं भारत की न्यायपालिका का आभार व्यक्त करूंगा, जिसने न्याय की लाज रखी। न्याय के पर्याय प्रभु राम का मंदिर भी न्यायबद्ध तरीके से ही बना। ‘प्रधानमंत्री ने कहा गुलामी की मानसिकता को तोडक़र उठ खड़ा हुआ राष्ट्र, अतीत के हर दंश से हौसला लेता हुआ राष्ट्र ही नए इतिहास का सृजन करता है। आज से हजार साल बाद भी लोग आज की तारीख को याद करेंगे और आज के इस पल की चर्चा करेंगे।’
‘प्रभु राम भारत की आत्मा के कण-कण से जुड़े हैं’
अपने 11 दिनों के व्रत-अनुष्ठान के दौरान मैंने उन स्थानों को चरणस्पर्श करने का प्रयास किया, जहां प्रभु राम के चरण पड़े। मेरा सौभाग्य है कि इसी पुनीत पवित्र भाव के साथ मुझे सागर से सरयू तक की यात्रा का अवसर मिला। प्रभु राम तो भारत की आत्मा के कण-कण से जुड़े हुए हैं। राम भारतवासियों के अंतर्मन में विराजे हुए हैं। हम भारत में कहीं भी किसी की अंतरात्मा को छुएंगे तो इस एकत्व की अनुभूति होगी और यही भाव सब जगह मिलेगा। प्रधानमंत्री बोले ‘हर युग में लोगों ने राम को जिया है। हर युग में लोगों ने अपने-अपने शब्दों में, अपनी-अपनी तरह से राम को अभिव्यक्त किया है। ये रामरस जीवन प्रवाह की तरह निरंतर बहता रहता है। आज हमारे राम आ गए हैं। सदियों की प्रतिक्षा के बाद हमारे राम आ गए हैं। सदियों के अभूतपूर्व धैर्य, अनगिनत बलिदान, त्याग और तपस्या के बाद हमारे प्रभु राम आ गए हैं।’