स्वतंत्र समय, भोपाल
अभी तक सत्ता, संगठन और संघ के दिशा निर्देशों को दरकिनार कर मनपसंद अधिकारियों-कर्मचारियों को अपने स्टाफ में रखने के आदी मंत्रियों को बड़ा झटका लगा है। सुशासन को लेकर सीएम डॉक्टर मोहन यादव ने प्रदेश के 15 मंत्रियों की सिफारिश नोटशीट लौटा दी है। अपने अपने चहेतों के लिए मंत्रियों ने सिफारिश नोटशीट भेजी थी। दरअसल, प्रदेश के मंत्री मूल विभाग की वजह सालों से जमे निजी सहायक, निजी सचिव, विशेष सहायक के पद पर चहेतों को लाना चाहते थे। सीएम ने मंत्री दिलीप जायसवाल, संपतिया उइके, राकेश सिंह, एंदल सिंह कंसाना, नारायण सिंह कुशवाहा, राकेश शुक्ला, नरेंद्र शिवाजी पटेल, लखन पटेल, इंदर सिंह परमार, चैतन्य काश्यप, प्रतिमा बागरी, पहलाद पटेल, कृष्णा गौर और विश्वास सारंग की फाइल लौटा दी है।दरअसल, मोहन सरकार के मंत्रियों को पिछली सरकारों में मंत्री स्टाफ में रहे अधिकारियों-कर्मचारियों का मोह छोडऩा होगा। गतदिनों कैबिनेट बैठक के बाद सिर्फ पांच मंत्रियों के स्टाफ में नियुक्ति के आदेश निकले हैं। खास बात यह है कि इनमें से कोई भी कर्मचारी पहले कभी किसी मंत्री के स्टाफ में नहीं रहा है। जानकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री चाहते हैं कि पिछली सरकारों में मंत्रियों स्टाफ में रहे कर्मचारियों को इस बार मंत्री अपने स्टाफ में नहीं रखें। ज्यादातर मंत्रियों के साथ निज सचिव से लेकर विशेष सहायक तक वे अधिकारी कर्मचारी काम कर रहे हैं, जिनके नियुक्ति आदेश नहीं हुए हैं। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की कार्यप्रणाली से यह स्पष्ट हो गया है कि अब मुख्यमंत्री कार्यालय में नए अधिकारी एवं कर्मचारियों की पदस्थापना होगी। मौजूदा स्थिति में सालों से जमे जो कर्मचारी काम कर रहे हैं, उन्हें सीएमओ से बाहर किया जा सकता है। या फिर जो कर्मचारी लंबे समय से एक ही दायित्व संभाल रहे थे, उन्हें भी दूसरी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। अधिकारियों की भी सीएमओ में नए सिरे से पदस्थापना होगी। निजी स्टाफ में सरकारी कर्मियों की नियुक्ति के लिए मंत्रियों का सिफारिश भेजने का सिलसिला जारी है। हाल में दो मंत्रियों ने दो सरकारी कम्पाउंडरों, गिरीश चतुर्वेदी और लक्ष्मीकांत दुबे की नियुक्ति अपने निजी स्टाफ में करने के लिए सिफारिश भेजी है। चतुर्वेदी की सिफारिश पर्यटन राज्य मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी जबकि दुबे के लिए सिफारिश उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार की तरफ से आई है। अभी तक उप मुख्यमंत्रियों के पास ही दो पुराने निज सचिव हैं। राजेंद्र शुक्ला के यहां आनंद भट्ट और जगदीश देवड़ा के यहां अशोक डहारे। इनके आदेश पूर्व में ही हो गए।
मंत्रियों के यहां नहीं रहेगा पुराना स्टाफ
मंत्रियों के यहां पदस्थ स्टाफ को लेकर लगातार मिल रही शिकायतों के बाद डॉ. मोहन यादव सरकार ने पहली बार सख्त एक्शन लिया है। अब किसी भी मंत्री के यहां उनका पुराना स्टाफ पदस्थ नहीं हो पाएगा। इस संबंध में मंत्रियों द्वारा भेजी गई नस्ती को सीएम हाऊस ने निरस्त कर उनसे नए नाम भेजने को कहा था। मंत्रियों से कहा गया वे अब ऐसे लोगों के नाम भेजे जो कभी मंत्रियों के यहां पदस्थ न रहे हो। इसके साथ ही जीएडी को आदेश दिए हैं कि वह ऐसे लोगों की मंत्री स्टाफ में पदस्थापना करें जो पहले कभी मंत्रियों के वहां नहीं रहे हों। ऐसा राष्ट्रीय स्वयं संवक संघ की मंशा पर किया गया है। इस फैसले से मंत्रियों में हडक़ंप की स्थिति है। गौरतलब है कि मंत्रियों के यहां पदस्थ स्टाफ को लेकर लंबे समय से संगठन और संघ को शिकायते मिल रही थीं। संगठन ने कई बार मंत्रियों से आग्रह किवा था कि वे अपने वहां उस स्टाफ को न रखें जिनके खिलाफ पार्टी कार्यकत्र्ताओं या पदाधिकारियों की शिकायतें है, पर इस पर कभी मॉत्रयों ने ध्यान नहीं दिया। डॉ. मोहन यादव सरकार में गोविंद सिंह राजपूत, प्रद्युम्न सिंह तोमर, तुलसीराम सिलावट, इंदर सिंह परमार, विश्वास सारंग और विजय शाह पिछली सरकार में भी मंत्री थे। इन मंत्रियों ने अपने पुराने स्टाफ को ही फिर से पदस्थ करने के लिए जीएडी को नोटशीट भेजी थी पर इन मंत्रियों के यहां से भी पुराना स्टाफ रवाना करने की तैयारी है। यहां भी नए लोगों को पदस्थ किया जाएगा। इस मामले में फिलवक्त उपमुख्यमंत्रियों को छोड़ दिया गया है। उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और राजेन्द्र शुक्ला के यहां अभी भी कुछ ऐसे अधिकारी कर्मचारी काम कर रहे है जो पूर्व में भी उनके यहां पदस्थ थे। सूत्रों ने बताया कि जल्द ही इन्हें भी बदला जाएगा।
सरकारें बदली, मंत्री बदले, स्टाफ फिर भी वही
दिलचस्प यह है कि सरकार बदली, मंत्री बदलते रहे पर मंत्रियों के यहा पदस्थ स्टाफ नहीं बदला। कुछ अधिकारी और कर्मचारी ऐसे हैं जिनका पूरी नौकरी मंत्रियों के स्टाफ में ही काम करते निकल गई। कोई मंत्री बदलता है तो वे दूसरे मंत्री के यहां अपनी जुगाड़ लगाकर पहुंच जाते है। यह स्टाफ मंत्रियों के यहां की पूरी कार्यप्रणाली जानता है, लिहाजा मंत्री भी इन्हें प्राथमिकता से अपने साथ रखते है। मसलन 2018 में जब कांग्रेस सरकार आई तो संगठन ने यह फैसला लिया कि भाजपा सरकार के मंत्रियों के यहां काम कर रहे स्टाफ को वे अपने यहां नहीं रखेंगे पर इस फैसले का अधिकांश मंत्रियों ने पालन नहीं किया। कांग्रेस के अधिकांश मंत्रियों के पास वही स्टाफ आ गया जो भाजपा सरकार के मंत्रियों के यहां काम करता था। बाद में भाजपा की सरकार बनने पर अधिकतर स्टाफ नए मंत्रियों के यहां आकर जम गया। मंत्रियों के यहां पदस्थ स्टाफ के व्यवहार और आचरण को लेकर भाजपा संगठन की बैठकों में कई बार मामला उठता रहा है। 2013 से इसको लेकर शिकायतों का क्रम चल रहा है, पर इस पर कभी गंभीर एक्शन नहीं लिया गया। सूत्रों की माने तो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की सीएम और संगठन के आला नेताओं के साथ हुई बैठक में संघ ने साफ कर दिया था कि अब मंत्रियों के यहां से पुराने स्टाफ की विदाई की जाए और उन लोगों की पदस्थापना की जाएगा जो इससे पहले मंत्रियो के यहां न रहे हो।
15 मंत्रियों की सिफारिशी नोटशीट लौटाई
मूल विभाग के बजाय सालों से मंत्रियों के स्टाफ में जमे निज सहायक (पीए), निजी (पीएस) सचिव और विशेष सहायकों (एसए) को इस बार बड़ा झटका लगा है। जिन 15 मंत्रियों ने चहेतों की पदस्थापना के लिए सिफारिशी नोटशीट सीएम डॉ. मोहन यादव को भेजी थी, सभी को सामान्य प्रशासन विभाग ने लौटा दिया। संकेत भी दे दिए गए कि बहुत जरूरी हुआ, तभी संबंधित व्यक्ति का पूरा फीडबैक लेने के बाद मंत्री स्टाफ में पदस्थापना होगी। मंत्रियों ने जिनकी नोटशीट भेजी, वे अभी बिना पोस्टिंग आदेश के ही काम कर रहे हैं। मंत्रियों की सारी सिफारिशी नोटशीट बिना असर दिखाए ही सीएमओ से जीएडी में आ गईं। अब तक सिर्फ पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह और जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह के लिए विशेष सहायकों की नियुक्ति के आदेश ही जारी हो सके हैं। ये भी नए हैं। राहुल सिंह, कमिश्नर छिंदवाड़ा नगर निगम को पीडब्ल्यूडी मंत्री और लक्ष्मीकांत खरे को जनजातीय कार्य मंत्री के विशेष सहायक के आदेश ही जारी हो सके हैं। इसके अलावा सात मंत्रियों के नए स्टॉफ के आदेश हुए हैं। इस बीच, अब सवाल है कि जो करीब एक महीने से मंत्रियों के यहां बिना आदेश के ही काम कर रहे हैं, उनका वेतन कहां से आएगा। गौरतलब है कि जीएडी से विशेष सहायक, मंत्रालयीन सेवा से निजी सहायकों की नियुक्ति होती है।